पत्रकारिता को पत्तलकारिता बना देने वाले कुछ अखबार और मीडिया समूह अपने एजेंडे अर्थात भारत विरोध से बाहर आने से रहे। टाइम्स ऑफ़ इंडिया इसका एक सबसे निकृष्ट उदाहरण है। पाकिस्तान में तख्तापलट के चलते इन दिनों पाकिस्तान ख़बरों में बना हुआ है। भारतीय मीडिया समूह भी उसे अपने स्तर पर प्रकाशित कर पाठकों को जागरूक करने का काम करने का दावा कर रहा है। वहीं इतना जागरूक करने की सीमा पार करते हुए टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने हाल ही में अपने अखबार में छपे लेख के लिंक को ट्विटर पर शेयर किया, समस्या यह नहीं है कि लेख लिखा, समस्या यह है जिस लेख के साथ पाकिस्तान का नक्शा प्रकाशित किया गया उसमें विवादित स्थान अर्थात पूरे पीओके को पाकिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया।
ऐसे में यह पाकिस्तान के प्रति टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अपार स्नेह और भारत विरोधी रवैये और एजेंडे को चलाने वाले समूह की पोल खोल रहा है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया यह भूल गया कि कश्मीर का पूरा हिस्सा जिस पर पाकिस्तान और चीन का अवैध कब्जा है, वह भारत का अभिन्न अंग है था और रहेगा, अपने झूठे एजेंडे की आड़ में रोटियां सेंकने की इस प्रवृत्ति में टाइम्स ऑफ़ इंडिया का कोई सानी नहीं है।
To be continued … #Pakistan will likely see more political soap opera. Its economic crisis & strategic weakness will deepen too
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— The Times Of India (@timesofindia) April 4, 2022
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टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ये क्या कर दिया
दरअसल, 4 अप्रैल को, अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने पाकिस्तान का एक गलत नक्शा साझा किया जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) को पूरा पाकिस्तान को ही दे दिया था जैसे खैरात में बाँट रहे हों देश का हिस्सा। राजनीतिक उथल-पुथल और सियासी संकट पर आधारित इस लेख में आर्थिक संकट से लेकर रणनीतिक कमज़ोरी का राग अलाप रहे टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने पूरा पीओके पाकिस्तान को ऐसे दे दिया जैसे ईद की ईदी दे रहे हों। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपने ट्वीट में जो कार्टून प्रकाशित किया, उसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (गिलगित-बाल्टिस्तान) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल था।
यह तो बिलकुल वेलकम मूवी के उस क्षण की भांति हो गया जहाँ कहा गया था कि “तेरा बाप यहां छोड़के गया था या तेरी माँ? जो खैरात में पीओके बांटने में लगा है। यह पहली बार नहीं है जब टाइम्स ऑफ़ इंडिया या अन्य किसी मीडिया समूह ने ऐसे कृत्य करने की हिम्मत की है। कोरोनाकाल में भारत के टीकाकरण पर टाइम्स ऑफ इंडिया के ट्वीट से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भारत में अनेकों नागरिक वैक्सीन की मूलभूत सुविधा से अभी भी वंचित हैं। उनके ट्वीट के अनुसार, “वर्ष 2021 के अंत तक देश के 25 प्रतिशत वयस्क पूर्णतया टीकाकृत नहीं हो पाएंगे।” और उस वक्त तक कुल 93 करोड़ लोगों को टीके लग चुके थे। सरकार ही नहीं देश के गौरव खिलाडियों पर भी यह टाइम्स ऑफ़ इंडिया कई बार अपनी असलियत दर्शा चुका है। पीवी सिंधु के एक बयान को गलत दृष्टिकोण देते हुए उसने एक बयान छापा था जिसके बाद सिंधु में टाइम्स ऑफ़ इंडिया और पत्रकार मान्ने रत्नाकर को ट्वीट पर लताड़ भी लगाई थी। ऐसे में जिस समूह का दीन-ईमान ही नहीं है उससे और क्या ही अपेक्षा की जा सकती है।
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है
यह पहली बार नहीं है जब किसी न्यूज एजेंसी ने पीओके को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए गलत नक्शा दिखाया हो। पूर्व में यही हरकत, इंडिया टुडे, सीएनएन, आज तक, गूगल और ट्विटर ने भी की हैं पर वो अन्तोत्गत्वा क्षमाप्रार्थी तो होते हैं, टाइम्स ऑफ़ इंडिया के भीतर तो वो शर्म भी नहीं है। अब तक माफ़ी न मांगना टाइम्स ऑफ़ इंडिया की बेशर्मी ही है और कुछ नहीं, सत्य तो यह है इन्हें अपनी तिजोरी भरने से मतलब है देश और देश की जनता की भावनाओं से उसका कोई सरोकार न कल था न आज है और न आगे होगा। सारगर्भित बात यही है कि, यह टाइम्स ऑफ़ इंडिया नहीं है, यह टाइम्स ऑफ़ एंटी इंडिया हो गया है।