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Tata, Ambani, Adani: जानें कैसे पीएम मोदी ने इन सुपरहीरो के साथ भारत को बदल कर रख दिया

इन त्रिदेवों ने बदल दिया है कायाकल्प !

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
19 April 2022
in समीक्षा
संपत्ति

Source- TFI Post

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एक राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के चार आधार हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य, सेना और संपत्ति। नरेंद्र मोदी की सरकार इस तथ्य को भलीभांति समझती है। शायद इसीलिए, स्वतंत्र भारत कीयह प्रथम ऐसी सरकार है जिसने इन चारों क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। मोदी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए नई शिक्षा नीति लेकर आई है। ठीक उसी तरह अपने राष्ट्र के समस्त नागरिकों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए आयुष्मान भारत योजना को आगे बढ़ाया गया। सैन्य क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन को सर्वोपरि रखते हुए सैन्य आधुनिकीकरण के कार्य को शीघ्रता शीघ्र पूरा किया जा रहा है। अब बात रही राष्ट्र-श्रेष्ठता के चौथे स्तम्भ यानि संपत्ति की।

हम सभी नागरिकों के मन में सर्वदा से यह कौतूहल का प्रश्न रहा है कि आखिरकार नरेंद्र मोदी की सरकार ने राष्ट्र-संपत्ति के उत्थान के लिए क्या किया है?

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संपत्ति/ सम्पदा और धन के बीच का अंतर

सबसे पहले तो हमें संपत्ति/ सम्पदा और धन के बीच के अंतर को समझना होगा। एक संज्ञा के रूप में संपत्ति और धन के बीच का मूल अंतर यह है कि संपत्ति मूल्य को प्रदर्शित करता है जबकि पैसा कानूनी या सामाजिक रूप से बाध्यकारी वैचारिक अनुबंध है। यह आंतरिक मूल्य से रहित है और सभी ऋणों और करों के लिए देय है। यह आपूर्ति में विनियमित है।

चलिये, आपको सरल भाषा में समझाते हैं। हम अक्सर पैसे को सम्पदा से तुलना करने की गलती कर देते हैं। धन केवल वस्तुओं या सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक मुद्रा है।  वास्तव में, अमीर होने का मतलब अक्सर यह हो सकता है कि आप बहुत सारा पैसा खर्च कर रहे हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि आप पर बहुत कर्ज है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपका खर्च आपकी आय से अधिक है। यदि आप प्रति वर्ष 200,000 कमाते हैं, लेकिन, 225,000 प्रति वर्ष खर्च करते हैं, तो आप अमीर हैं भले ही आप कर्ज में क्यों ना हो?

पर, यदि आपका वार्षिक आय 225,000 है। आपके पास 200,000 का वार्षिक खर्च और 25,000 का निवेश है, तो आप धनवान हैं।

आपने भारत के जीडीपी, विकास गति, व्यय और धन संचय के बारे में तो बहुत सुना होगा। आय दिन ऐसे आंकड़े समाचार चैनलों और पत्रों में प्रदर्शित होते रहते हैं।  प्रथम बार किसी सरकार ने भारत को अमीर नहीं बल्कि वैभवशाली और संपत्तिशील बनाने का प्रयत्न किया है। सरकार के इस अथक प्रयास में सहभागी बने हैं देश के तीन आर्थिक सुपरहीरो- अंबानी, अदानी और टाटा।

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अंबानी

आज मुकेश अंबानी का जन्मदिन है। टेक्सटाइल से लेकर टेलीकॉम तक रिलायंस ने कई सेक्टरों में बदलाव किया है। इसका अधिकांश श्रेय इसके राष्ट्र भावना को जाता है। ईएसपीएन क्रिकइन्फो के अनुसार एलन बॉर्डर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक है। मुकेश अंबानी संघर्षशील पूँजीपति के प्रतीक थे। रिलायंस पूंजीवाद के प्रयासों का प्रतीक है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2002 से छह गुना बढ़ गया है, 2021 में $0.5 ट्रिलियन से $3.2 ट्रिलियन हो गया है। इसमे रिलायंस $18 बिलियन है। 2021 के बाद से रिलायंस का राजस्व 12 गुना बढ़ गया है। इसी अवधि में इसका बाजार पूंजीकरण कम से कम दस गुना बढ़ा है।

रिलायंस पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करती है। इसकी जामनगर रिफाइनरी की क्षमता प्रतिदिन 1.24 मिलियन बैरल प्रति स्ट्रीम है। रिलायंस रिटेल भारत की सबसे बड़ी रिटेलर बनने के लिए तैयार है। इसके 3,800 से अधिक रिटेल आउटलेट हैं। रिलायंस के पास कई शक्तिशाली ब्रांड हैं- रिलायंस फ्रेश, रिलायंस स्मार्ट, रिलायंस डिजिटल, रिलायंस ट्रेंड्स, अजियो और जियो मार्ट।

Reliance ने Jio Platforms के साथ केवल चार वर्षों में 387.5 मिलियन ग्राहक जोड़े हैं और बाजार में इसका 34 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। जियो को 2.4 अरब डॉलर का राजस्व मिलता है। रिलायंस अब सिर्फ एक कंपनी नहीं बल्कि भारत के आर्थिक ताकत का प्रतीक बन चुकी है। रिलायंस भारत के खुदरा व्यापार पर आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश कर रही amazon से लड़ रही है तो वही सऊदी के सबसे बड़ी कंपनी आरामको में निवेश कर भारत को मजबूत भी कर रही है। यह भारत को ग्रीन ऊर्जा में महाशक्ति बनाते हुए पर्यावरण को भी सुरक्षित करने का अथक प्रयास कर रही है।

और पढ़ें: मुकेश अंबानी ने जेफ़ बेजोस से खुदरा बाजार छीन लिया!

अदानी

यह एक ऐसे व्यक्ति की असाधारण गाथा है जो एक कॉलेज ड्रॉप आउट थापर, उसने सभी बाधाओं को तोड़ कॉर्पोरेट जगत में एक ठोस छाप छोड़ने का फैसला किया। अदानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी अब ऊर्जा और रसद क्षेत्रों के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित संगठन है।

अदानी समूह एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है, जिसके छह प्रमुख क्षेत्रों में परिचालन, ऊर्जा और संसाधन, रसद, कृषि व्यवसाय, वित्तीय सेवाएं, रियल एस्टेट, और रक्षा और एयरोस्पेस शामिल हैं। अदानी समूह की यह शक्ति उसे एक विश्वस्तरीय रसद और उपयोगिता अवसंरचना पोर्टफोलियो बनाते हैं जिसमें पैन- भारत नेटवर्क और वर्तमान में मुंद्रा पोर्ट सहित दस बंदरगाहों के साथ भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह डेवलपर और ऑपरेटर होने की ख्याति भी हासिल है। चार IG रेटेड निगमों के साथ, यह भारत में एकमात्र इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ग्रेड जारीकर्ता है। हाल ही में अदानी अंबानी को पछाड़ते हुए एशिया के सबसे धनी व्यक्ति बने हैं।

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टाटा

1868 में अपनी स्थापना के बाद से, टाटा समूह भारत के विकास गाथा की रीढ़ की हड्डी है। पिछले 150 वर्षों से, टाटा कंपनियां राष्ट्र के लिए प्रगति की एक अदृश्य शक्ति रही हैं, साथ ही साथ भारत के अरबों से अधिक लोगों की आकांक्षाओं को भी पूरा किया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) दुनिया की दूसरी सबसे मूल्यवान सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी है। टाटा समूह के पास लगभग 100 कंपनियों का निजी स्वामित्व है जिसमें कई प्राथमिक व्यावसायिक क्षेत्र शामिल हैं: रसायन, उपभोक्ता उत्पाद, ऊर्जा, इंजीनियरिंग, सूचना प्रणाली, सामग्री और सेवाएं। 1991 में जेआरडी के भतीजे, रतन टाटा, टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए। समूह का नेतृत्व संभालने पर, रतन ने आक्रामक रूप से इसका विस्तार किया और तेजी से उन्होंने इसके व्यवसायों के वैश्वीकरण पर ध्यान केंद्रित किया। 2000 में समूह ने लंदन स्थित टेटली टी का अधिग्रहण किया और 2004 में उसने दक्षिण कोरिया के देवू मोटर्स के ट्रक-विनिर्माण कार्यों को खरीदा। 2001 में टाटा समूह ने बीमा कंपनी टाटा-एआईजी बनाने के लिए अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप, इंक. (एआईजी) के साथ भागीदारी की।

2007 में टाटा स्टील ने एक भारतीय कंपनी द्वारा विशाल एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस समूह का अधिग्रहण कर सबसे बड़ा कॉर्पोरेट अधिग्रहण किया। कहानी लंबी है और सफलताएँ अनंत। आज टाटा ने ना सिर्फ हमारे एयरलाइन्स इंडस्ट्री का पुनरुद्धार किया बल्कि जागुआर और landrover को खरीद हमारे आटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी गौरवान्वित किया। नमक से लेकर घड़ी तक बनाने वाले टाटा आज हमारे इलेक्ट्रिक वाहन और हरित ऊर्जा की नींव है।

तो सबसे बड़ा प्रश्न ये है की आखिर ऐसा क्यों हुआ? ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मोदी सरकार ने इन पूँजीपतियों के उपयुक्त व्यापारिक माहौल तैयार किया। इनका शोषण बंद कर कानून में बदलाव किया। निवेश के लिए इन्हे प्रोत्साहित किया। इन पर भरोसा जताया जिसका परिणाम अब दिखने लगा है। सरकार के इन्ही प्रयासों से ये पूंजीपति हमारे देश के विकास की नयी नींव रख रहें हैं।

और पढ़ें:  आ रही है Suzuki और Toyota की भारत में बनी पहली मिड साइज़ इलेक्ट्रिक व्हीकल

Tags: अदानीमुकेश अंबानीमोदी सरकाररतन टाटा
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