कहते हैं, जो दिखता है, वही बिकता है। कुछ लोग क्रांति लाकर भी अनजान रह जाते हैं, और कुछ लोग तो नाखून काटकर भी अपने आप को हुतात्मा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन अब ऐसा और नहीं चलेगा और यूपी में तो बिल्कुल भी नहीं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कभी दंगाई प्रदेश कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज हर क्षेत्र में बुलंदियों को छू रहा है। चाहे वह कानून व्यवस्था की बात हो, प्रदेश की अर्थव्यवस्था की बात हो, रोजगार की बात हो, शांति और समृद्धि की बात हो या फिर शिक्षा की, योगी के छत्रछाया में यूपी बदल रहा है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से यूपी के उस शिक्षा मॉडल (UP Education Model) के बारे में जानेंगे, जिसे वामपंथी मीडिया उतने ज़ोर शोर से प्रसारित नहीं करता, जितने ज़ोर शोर से वे दिल्ली सरकार के खोखले और संदेहास्पद शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा पीटते हैं।
यूपी में हैं देश के सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज
हाल ही में संभल और महाराजगंज जिले में पीपीपी मॉडल पर खुलने वाले मेडिकल कॉलेज का एमओयू हुआ है। इसके साथ ही प्रेस से बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि कैसे राज्य में मेडिकल कॉलेज की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। अमर उजाला की रिपोर्ट अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि “59 जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो चुकी है। 16 असेवित जिलों में PPP मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया चल रही है। उत्तर प्रदेश अब देश में सर्वाधिक मेडिकल कॉलेज खोलने वाला राज्य बन रहा है” –
Massive achievement.
Imagine the noise Kejriwal would have made; he has done no more than repaint existing classrooms in Delhi schools, but look at the Goebbelsian propaganda! https://t.co/gUzFYo8jGz
— Vinod Sharma (@vinod_sharma) April 8, 2022
देश में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक मेडिकल कॉलेज वाला राज्य बने, ये अपने आप में किसी अभूतपूर्व उपलब्धि से कम नहीं है। लेकिन क्या कहीं इसकी राष्ट्रीय या किसी बड़े मीडिया हाउस में चर्चा मात्र भी हुई? क्या योगी सरकार को उनके ‘शिक्षा मॉडल’ (UP Education Model) के लिए सराहा गया? सराहना तो छोड़िए, प्रशंसा में एक ट्वीट तक नहीं किया गया। लेकिन इसी तुलना में अगर अरविन्द केजरीवाल ने यही काम का दावा मात्र कर दिया होता, तो उन्हे ‘देश का मसीहा’, ‘अगला प्रधानमंत्री’, ‘युवकों का तारणहार’ जैसे न जाने कितनी उपाधियाँ मीडिया अभी तक दे डालती। जैसा हमने पहले भी कहा था, जो दिखता है, वही बिकता है, और इसमें अरविन्द केजरीवाल काफी निपुण है, चाहे उनका शिक्षा मॉडल वास्तव में कितना भी खोखला क्यों न हो!
योगी सरकार लॉन्च करने वाली है स्कूल चलो अभियान
लेकिन योगी आदित्यनाथ का शिक्षा मॉडल तनिक भी खोखला नहीं है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हम प्राथमिक शिक्षा में हुए क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में देख चुके हैं। यदि आपके विद्यालय की नींव ही सशक्त न हो, तो आप कब तक खोखले दावों के दम पर अपना ढिंढोरा पीट पाओगे? यूपी की गिनती प्राथमिक शिक्षा के मामले में सबसे पिछड़े राज्यों में से एक में हुआ करती थी, लेकिन योगी प्रशासन में जो क्रांतिकारी बदलाव आया है, उससे स्पष्ट हुआ है कि बदलाव पर ज्ञान बाँचने और बदलाव को आत्मसात करने में आकाश पाताल का अंतर है। ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 1.56 लाख सरकारी विद्यालयों में से 1.23 लाख विद्यालयों का सुन्दरीकरण सम्पूर्ण हुआ है, जिसमें सभी को कम से कम मूलभूत सुविधाएँ जैसे बिजली, पानी, शौचालय, इत्यादि सुनिश्चित कराए गए हैं।
इतना ही नहीं, गरीब बच्चों को मुफ़्त यूनिफ़ॉर्म, जूते, पुस्तकें, बैग, इत्यादि तक उपलब्ध कराने में योगी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब वास्तविक परिवर्तन पर केजरीवाल सरकार के प्रयासों की जितनी कम चर्चा करें, उतना ही अच्छा। लेकिन योगी आदित्यनाथ अभी रुकने वाले नहीं हैं। उनका मानना है कि कोई भी विद्यार्थी स्कूली शिक्षा से वंचित न रहे और उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तर्ज पर ‘स्कूल चलो अभियान’ को लॉन्च करने का निर्णय किया है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के शिक्षा मॉडल (UP Education Model) और उससे संबंधित मीडिया कवरेज ने एक बात तो स्पष्ट की है कि यदि दिखावे की दुनिया है, तो दिखा दो!
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