कांग्रेस के नेता किस हद तक मानसिक तौर पर दिवालिया हो चुके हैं- यह वक्त-वक्त पर वो दिखाते रहते हैं। इस तरह का दोगलापन और दिवालियापन दूसरे नेताओं में ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। हां, बंगाल की ‘दीदी’ और दिल्ली के ‘मालिक’ अरविंद केजरीवाल अपवाद हैं।
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चिदंबरम के आरोप
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा मामले में केजरीवाल ने मुंह की खाई। अपनी सनक में केजरीवाल ने न सिर्फ लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाईं बल्कि पंजाब पुलिस को भी शर्मसार करवा दिया। पूरे देश में लोगों ने उनका विरोध किया। केजरीवाल की तानाशाही के विरुद्ध सोशल मीडिया पर भी लोगों ने ख़ूब लिखा। केजरीवाल को मानसिक तौर पर बीमार बताया गया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को कठपुतली की तरह नचाकर केजरीवाल जो खेल खेलना चाहते थे उसमें ख़ुद ही फंस गए। इस पूरे मामले के दौरान आम आदमी पार्टी के पैसों पर पलने वाले ट्रोलर्स बड़ी नैतिक बातें करते दिखे। नैतिकता की चरम सीमा पर पहुंचते दिखे। नैतिकता कि पुलिस को भिड़ा दिया। नैतिकता कि तीन राज्यों की पुलिस आपस में भिड़ गई। केजरीवाल के षड्यंत्र ने दम तोड़ दिया था। ऐसे में कांग्रेस की कुलबुलाहट और ज्यादा बढ़ गई।
कांग्रेस के एक सिद्धपुरुष, जो कभीं वित्त मंत्री और गृह मंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न देखते थे- उन्हें क्रोध आ गया। क्रोध ऐसा कि ट्विटर पर प्रलाप करने लगे। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “ऐसा किसी न किसी दिन होना ही था। पंजाब, दिल्ली और हरियाणा पुलिस का टकराव इस बात का उदाहरण है कि भविष्य में क्या होने वाला है। अपने-अपने राजनीतिक आकाओं की सेवा करने वाली पुलिस संघवाद को तोड़ देगी जो पहले से ही संकट में है।
मैंने तभी चेतावनी दी थी जब असम पुलिस ने गुजरात में पोस्ट किए गए एक ट्वीट के लिए विधायक जिगेश मेवाणी को गिरफ्तार किया था! प्रत्येक राज्य पुलिस बल की “स्वायत्तता” दूसरे राज्य की सीमा पर रुकनी चाहिए और पहले राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य की सहमति लेनी चाहिए। नहीं तो संघवाद मर जाएगा और दफन हो जाएगा।” उनके ट्वीट का कुल सारांश था की भाजपा शासित राज्यों की पुलिस ने बग्गा को बचाकर और असम की पुलिस ने अभद्र ट्वीट के आधार पर जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार कर संघवाद को कमजोर किया है।
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हिमन्ता का जवाब
पी. चिदंबरम सोच रहे थे कि वो ऐसा ट्वीट करेंगे और उन्हें कोई जवाब नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें जवाब मिला और मुंहतोड़ जवाब मिला। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें जवाब दिया। मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा ने उन्हें जवाब देते हुए लिखा, “सेब और संतरे की तुलना मत कीजिए। असम पुलिस एक अनुशासित बल है। हाल ही में यूपी, राजस्थान और गुजरात से लोगों को गिरफ्तार किया गया था। प्रत्येक मामले में निर्धारित कानून-प्रक्रिया का पालन किया गया- स्थानीय पुलिस की सहमति मांगी गई। ट्रांजिट रिमांड प्राप्त किया गया और आरोपी को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।’
सीएम हिमन्ता बिस्वा सरमा का ये जवाब सिर्फ पी. चिदंबरम के लिए नहीं था बल्कि जिग्नेश मेवानी के नाम पर पिछले कुछ दिनों से कांग्रेसियों ने, तथाकथित उदारवारियों ने और वामपंथियों ने जो हंगामा खड़ा किया था- उन सबको जवाब था। असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा के जवाब के बाद एक सवाल भी उठता है। सवाल कांग्रेसी पी. चिदंबरम से है। सवाल कि खुद को दिल्ली का मालिक समझने वाले अरविंद केजरीवाल पंजाब पुलिस का दुरुपयोग कर रहे हैं- उस पर चिदंबरम साहब ट्वीट नहीं करते।
पंजाब पुलिस एक शख्स को उसके घर से अवैध तरीके से उठा ले जाती है मानो कि अपहरण हो- उस पर चिदंबरम साहब ट्वीट नहीं करते। एक शख्स को पंजाब पुलिस उसकी धार्मिक पहचान पगड़ी नहीं पहनने देती उस पर ट्वीट नहीं करते। तानाशाह केजरीवाल को पंजाब पुलिस का दुरुपयोग करने के लिए- देश से माफी मांगनी चाहिए तो वहीं जब केजरीवाल से सवाल पूछने चाहिए उस वक्त भी बीजेपी की आलोचना करने के लिए- बीजेपी शासित राज्यों की आलोचना करने के लिए-कांग्रेसी पी. चिदंबरम को शर्म आनी चाहिए।
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