दूसरों को ज्ञान बांटना और उपदेश देना उन शक्तियों पर अच्छा लगता है जिनकी कोई औकात होती है। पाकिस्तान जैसा ‘कटोरा प्रिय’ देश जब भारत जैसी उभरती महाशक्ति को ज्ञान दे दे तो यह सूरज को दीप दिखाने जैसा ही होता है।
भारत के आंतरिक मामलों में अपनी टांग अड़ाने की आदत से विलक्षण रूप से ग्रसित पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के अविभाज्य अंग जम्मू और कश्मीर में बढ़ते राजनीतिक पदचिन्हों को मिटाने के लिए और उन्हें रोकने के लिए अपनी तुच्छ सोच का बखान करना शुरू कर दिया है. पाकिस्ताव यह तब कर रहा है जब उसके लिए अवैध रूप से हथियाए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को संभालना ही मुश्किल पड़ रहा है।
यही नहीं पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए भारत ने सोमवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) को तीखा जवाब देते हुए कहा कि वह एक देश के इशारों पर सांप्रदायिक एजेंडे को पूरा करने से परहेज करे। नई दिल्ली ने भारत के आंतरिक मामलों पर “अनुचित” टिप्पणियों के लिए समूह की आलोचना की जिसके बाद तो मानों बवंडर सा ही आ गया है।
विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब
दरअसल, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन अभ्यास पर “अनुचित” टिप्पणियों के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) पर निशाना साधा और समूह को एक देश के इशारे पर अपने “सांप्रदायिक एजेंडे” को आगे बढ़ाने से परहेज करने के लिए कहा। पाकिस्तान को और उसकी तुच्छ सोच को संदर्भित करते हुए भारत की यह तीखी प्रतिक्रिया ओआईसी द्वारा जम्मू और कश्मीर में परिसीमन अभ्यास पर नई दिल्ली की आलोचना करने के तुरंत बाद आई।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हम इस बात से निराश हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर जो भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है उस पर ओआईसी सचिवालय ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामलों पर अनुचित टिप्पणी की है।” ज्ञात हो कि 57 देशों के अंतर सरकारी संगठन OIC ने 5 मई को परिसीमन आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट पर “गहरी चिंता” व्यक्त की थी।
OIC ने सोमवार को कहा कि भारत “जम्मू और कश्मीर की चुनावी सीमाओं को फिर से बनाने का प्रयास कर रहा है, क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना को बदल रहा है और कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।”
भारत ने OIC के साथ-साथ पाकिस्तान को भी लताड़ा। विदेश मंत्रालय ने सख्ती से कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रस्ताव की निंदा करने के लिए पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश किए गए एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम जम्मू और कश्मीर, भारतीय केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन अभ्यास के विषय पर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली द्वारा पारित हास्यास्पद प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं।”
OIC को भी भारत का जवाब
मंत्रालय ने आगे मांग की कि पाकिस्तान को सीमा पार से आतंक का निर्यात करना बंद कर देना चाहिए और भारत विरोधी सभी गतिविधियों को तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसमें कहा गया है, “पाकिस्तान के पास पाकिस्तान के अवैध और जबरन कब्जे के तहत भारतीय क्षेत्रों सहित भारत के आंतरिक मामलों में बोलने या हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। बयान में आगे लिखा गया है, “जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन अभ्यास व्यापक हितधारक परामर्श और भागीदारी के सिद्धांतों पर आधारित एक लोकतांत्रिक अभ्यास है। यह खेद की बात है कि पाकिस्तान का नेतृत्व अपने घर को व्यवस्थित करने के बजाय भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है और आधारहीन और भारत विरोधी प्रचार में संलग्न रहता है।”
यह तो वही बात हुई, “मैं कौन जी, मैं खामखां।” इसी ढर्रे पर चल रहे OIC को भी सही समय पर सही जवाब देना समय की मांग थी और जिसकी पूर्ति भारत के विदेश मंत्रालय ने की भी। ओआईसी के बयान के बारे में मीडिया के सवालों के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जवाब दिया, “ओआईसी को एक देश के इशारे पर भारत में अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने से बचना चाहिए।”
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OIC ने यह भी कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस तरह के ‘परिसीमन’ अभ्यास का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।
मतलब खिस्यानी बिल्ली तो खम्बा नोचे ही नोचे, बिलौटे को भी चैन नहीं है। OIC के अंतर्गत कुल 57 देश आते हैं पर उसे पाकिस्तान की भाषा बोलने का चस्का इसलिए है ताकि सुर्खियों में बना रहे। अब यह तो सर्वविदित है कि पाकिस्तान बिना भारत के मामलों में टांग अड़ाए रह नहीं सकता, बाप जो ठहरा।
पाकिस्तान के साथ-साथ OIC गालियां खाने को इतना आतुर दिखता है कि वो भारत जैसे देश के एक राज्य के परिसिमन पर इतना संजीदा हो गया मानों विश्व युद्ध की अगली जड़ यही परिसीमन रिपोर्ट होने वाली है। कोई बता नहीं छोटा आदमी गुंडई करना चाह रहा है तो करने दो- अब भारत ने भी पाकिस्तान और OIC को भी उसी तरीके से निपटाना शुरू कर दिया है क्योंकि ऐसे तत्वों को यदि गंभीरता से लिया गया तो यह समय ख़राब करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा।