पश्चिम बंगाल में जब से ममता बनर्जी ने सत्ता संभाला है तब से राज्य की स्थिति दयनीय हो गई है। अपराध ,दंगा ,हत्या के कई घटनाओं ने बंगाल को आज एक असुरक्षित राज्य घोषित होने पर मजबूर कर दिया है। पश्चिम बंगाल के लोगों ने कभी नहीं सोंचा होगा की वामपंथी राज में हुए जघन्य अपराध के बाद जब ममता राज्य की सत्ता संभालेगी तो राज्य की स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी। पिछले साल 2021 में जब बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे उसके बाद राज्य में सिलसिलेवार तरीके से दंगे हुए थे।
इस दंगे का आरोप तृणमूल सरकार और तृणमूल के कार्यकर्ताओं पर लगा था और इन दंगों में भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या की गई थी। विधानसभा चुनावों में टीएमसी पार्टी की जीत के बाद हुई चुनाव के बाद हुई हिंसा में कई भाजपा कार्यकर्ताओं की जान चली गई है। उनके खिलाफ हुई हिंसा ने भाजपा पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और समर्थकों को अपने परिवारों के साथ अपने गांवों से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। भाजपा के अलावा माकपा ने भी टीएमसी पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाया था।
और पढ़ें: नदिया गैंगरेप केस: ममता ने पश्चिम बंगाल की सीएम बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है
यही नहीं बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले, कथित तौर पर बीजेपी का समर्थन करने के लिए टीएमसी के गुंडों द्वारा कई हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी, और यहां तक कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को भी टीएमसी कार्यकर्ताओं ने नहीं बख्शा था। चुनाव के बाद की हिंसा में, टीएमसी की जीत के जश्न में हिंदुओं के घर और दुकानें जला दी गईं और राज्य मशीनरी ने कार्रवाई करने के लिए कुछ नहीं किया। स्थिति इतनी खराब है कि केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल में भाजपा विधायकों की सुरक्षा बढ़ानी पड़ी, क्योंकि टीएमसी सरकार के अधिकारियों का पार्टी के गुंडों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
चुनावी नारे के बीच न्याय गायब
बंगाल चुनाव को लेकर ‘खेला होबे’, चुनावी नारा सीएम ममता बनर्जी ने गढ़ा था। अपनी चुनावी रैलियों के दौरान, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए उकसाना जारी रखा। इस प्रकार मतदान के विभिन्न चरणों के दौरान हिंसा के कई मामले सामने आए और चुनाव के बाद से अब तक जारी है। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव के बाद की हिंसा के विरोध में आज कोलकाता में एक मेगा रैली आयोजित कर रही है। 2 मई 2021 में ममता बनर्जी-सरकार के सत्ता में लौटने की सालगिरह है। पिछले साल 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के कुछ घंटों बाद राज्य में कथित तौर पर चुनाव के बाद हिंसा भड़क उठी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर, पहले से ही 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद हुई हत्या और बलात्कार के आरोपों की जांच कर रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित राज्य इकाई के शीर्ष भाजपा नेता सोमवार दोपहर मध्य कोलकाता में रैली का नेतृत्व करने वाले हैं।भाजपा इस रैली के माध्यम से ममता सरकार के नेतृत्व में हुए अपराध को लेकर लोगों में सन्देश पंहुचा रही है की यदि पश्चिम बंगाल राज्य में अगले कुछ वर्षों में शासन परिवर्तन नहीं होता है, तो राज्य में हिन्दुओं की स्थिति और भी भयावह हो जाएगीऔर पीड़ितों को न्याय भी नहीं मिलेगा।
और पढ़ें: बंगाल उपचुनाव में मिली ‘भयंकर’ जीत के साथ ही बंगाल में शुरू हो गई है TMC की उल्टी गिनती