किसी भी देश की कानून व्यवस्था में भाषा का भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत जैसा विशाल देश जहां हर क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं है इसलिए बड़े संस्थानों में अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता है ताकि एक भाषा संवाद करने के लिए हो। पर देश की आधे से ज्यादा आबादी ग्रामीण है इसलिए सभी अंग्रेजी बोलने में सक्षम नहीं है ,और अगर बात की जाए न्यायपालिका की तो वहां भी सुनवाई अधितकर अंग्रेजी में ही होती है जिससे न्यायप्रक्रिया से कुछ लोग भाषा के कारण छूट जाते है। इसी मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अदालतों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग के लिए सुझाव दिया। उन्होंने आगे कहा कि इससे न्याय प्रणाली में आम नागरिकों के विश्वास को बढ़ाएगा और वे इससे अधिक जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। यह न केवल न्याय प्रणाली में आम नागरिकों के विश्वास को बढ़ाएगा, बल्कि वे इससे अधिक जुड़ा हुआ महसूस करेंगे, ”मोदी ने मुख्यमंत्रियों के एक संयुक्त सम्मेलन और यहां उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से भी अपील की कि न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाई है, एक न्यायिक प्रणाली के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए जहां न्याय आसानी से उपलब्ध हो, जल्दी और सभी के लिए हो। उन्होंने आगे कहा “हमारे देश में, जबकि न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक की है, विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मेरा मानना है कि इन दोनों का संगम देश में एक प्रभावी और समय-समय पर न्यायिक प्रणाली के लिए रोडमैप तैयार करेगा। न्याय तक पहुंच में सुधार करने पर, प्रधानमंत्री ने कानून का अध्ययन करने और अभ्यास करने के लिए स्थानीय भाषा का उपयोग करने पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , “मुझे खुशी है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने स्थानीय भाषाओं का उपयोग करके उच्च न्यायालयों का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा, इसके लिए एक लंबा समय लगेगा, लेकिन यह न्याय तक पहुंच में सुधार करेगा।
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नई पहल पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने न्यायपालिका के भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए, न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों से 2047 में राष्ट्र के लिए दृष्टि निर्धारित करने का आग्रह किया, जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा और वहीं उन्होंने कहा “डिजिटल इंडिया के साथ न्यायपालिका का एकीकरण बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम गांवों में भी डिजिटल इंडिया को अपनाते हैं, नागरिकों को न्यायपालिका से भी ऐसी ही उम्मीदें होंगी।
इस तरह के क्षेत्रीय भाषा को न्यायपालिका में आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह पहल की है की न्याय सभी को मिलनी चाहिए और नये की भाषा भी सभी को समझ आए इस पर एक कानून और कदम उठाना चाहिए जिससे न्यायप्रक्रिया आसान हो सके।