चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पिछले कुछ दिनों से निरंतर ख़बरों में बना हुआ है. राजस्थान से लेकर केरल तक इस चरमपंथी संगठन का नाम ‘हिंसक गतिविधियों’ में आया है. अब एक बार फिर PFI ने वही किया जिसके लिए उसका गठन हुआ है. केरल में इस अतिवादी धार्मिक संगठन ने एक मार्च निकाला. इस मार्च का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में करीब 10 साल का एक लड़का, एक शख्स के कंधों पर बैठा दिख रहा है.
उस शख्स के कंधों पर बैठे-बैठे यह लड़का नारे लगा रहा है. नारे इतने ख़तरनाक हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. 10 साल का लड़का एक तरह से नरसंहार की धमकी दे रहा है. वो अपने नारों में कहता है, ‘अपने घर पर चावल, फूल और अंतिम संस्कार के सारे सामान का इंतजाम करके रखो, कुछ भी मत भूलना, कुछ भी मत भूलना, तुम्हारा काल बनकर हम तुम्हारे पास आ रहे हैं’।’
केरल के अलाप्पुझा की यह घटना है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया पर लगातार हंगामा मचने के बाद जब लोगों ने इस पर कार्रवाई की मांग की तब केरल पुलिस जागी. इसके बाद पुलिस ने कहा कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं.
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रिपोर्ट्स के अनुसार 1,000 से अधिक पीएफआई समर्थकों और सदस्यों की भीड़ ने सड़क पर उतरकर हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की धमकी देने वाले नारे लगाए. पीएफआई के चरमपंथियों की भीड़ ने हिंदुओं और ईसाइयों को शांति से नहीं रहने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. ऐसा नहीं है कि इस दौरान वो लड़का ही धमकी और चेतावनी दे रहा हो बल्कि उस मार्च में शामिल हर चरमपंथी धमकी दे रहा था. भीड़ में नारेबाजी हो रही थी कि वे 2002 के गुजरात दंगों को भूले नहीं हैं.
चरमपंथी संगठन पीएफआई के सदस्य मलयालम भाषा में कहते हैं, ‘आप चुपचाप नहीं रहेंगे (हिंदुओं के लिए) तो आपको बुरा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. हम जानते हैं कि आपको कैसे चुप कराना है.’
इसके अलावा भीड़ ने अयोध्या में जहां कथित बाबरी मस्जिद थी, उस स्थल पर फिर से ‘सुजुद’ (एक तरह की नमाज़) करने की कसम खाई. इसके साथ ही उन्होंने कथित ज्ञानवापी मस्जिद में ‘सुजुद’ को जारी रखने का फैसला किया.
इस तरह से दो समुदायों को खुलेआम नरसंहार की धमकी देना. उन्हें डराना. उन्हें धमकाना. एक तरह से दबाव बनाने की रणनीति का एक हिस्सा है. यह पहली बार नहीं हो रहा है. ऐसा ही पैटर्न हमने कश्मीर में भी देखा था. जब कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था. जब उन्हें उनके ही घर से निकाल दिया गया था. जब उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया गया था. जब कश्मीरी पंडितों की बहन-बेटियों के साथ बलात्कार किया गया था. जब घाटी पंडित विहीन हो गई थी.
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उस आग के लगने से पहले ऐसे ही नारे घाटी में सुनाई देते थे. नारे थे- रालिव (Raliv), गालिव (Galiv) और चालिव (Chaliv) इसका अर्थ है, रालिव यानी धर्मांतरण कर लो. गालिव यानी मौत को स्वीकार करो. चालिव यानी भाग जाओ. यह नारे उस वक्त कश्मीर में गूंजते थे. कश्मीर की मस्जिदों से यह नारे सुनाई देते थे. उस वक्त यह नारे कश्मीरी पंडितों के लिए थे कि अपना धर्म बदलकर मुस्लिम बन जाओ, अगर नहीं तो तुम्हें मार दिया जाएगा और अगर मौत से बचना चाहते हो तो यहां से भाग जाओ.
क्या आज जो केरल में हो रहा है वो रालिव, गालिव और चालिव की पुनरावृत्ति नहीं है? क्या केरल को दूसरा कश्मीर बनाने का कोई बड़ा षड्यंत्र चल रहा है ? सभी को पता है कि पीएफआई की जड़ें हमेशा से देश-विरोधी रही हैं. इससे पहले कई दंगों में पीएफआई का नाम आ चुका है.
अब तक ऐसे कई घटनाक्रम रहे हैं, जिनमें पीएफआई की संलिप्तता पाई गई है. फिर चाहे वो हिजाब विवाद हो या पूर्व में हुए कई ऐसे दंगें जिसने देश को हिलाने का काम किया. CAA और NRC प्रोटेस्ट की बात हो या वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की बात. इसके अलावा अगस्त 2020 में बेंगलुरु में हुए दंगे हों या अन्य कोई वीभत्स घटना. इन सभी में PFI का सीधा हाथ बताया गया था.
अब इस तरह की नारेबाजी देश को एक संकेत है कि अब वक्त आ गया है कि PFI को पूरी तरह से बैन कर दिया जाए.
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