जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है, समय की मांग व्यक्ति को बड़े निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती है। यह सर्वविदित है राजनीति संभावनाओं का खेल है और आज का राजा कल का रंक और फ़कीर भी हो सकता है। इसका सबसे उदाहरण वो भाजपा है जो कभी 2 सीटों पर विराजती थी और आज 302 नॉट आउट के साथ देश की संसद में खेल रही है। इसी क्रम में आंध्र प्रदेश की राजनीति में नए मोड़ आने की तैयारी है। समय आ गया है कि तीन दलों का मिलन होना है और 2024 के विधानसभा चुनाव में साथ जाने की रणनीति तय होने वाली है। अब राज्य में ऐसे समीकरण स्थापित हो रहे हैं जैसे आंध्र का भविष्य मोदी-नायडू-कल्याण के गठबंधन में निहित है।
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नायडू ने दिये गठबंधन के संकेत
दरअसल, जन सेना प्रमुख और टॉलीवुड स्टार पवन कल्याण के बयान ने कई बड़े राजनीतिक निर्णयों के द्वार खोल दिए हैं। कल्याण ने हाल ही में कहा कि, वह 2024 के चुनावों के लिए भाजपा नेतृत्व को अपने और TDP के साथ गठबंधन के लिए मनाएंगे जो राज्य में एक नए राजनीतिक पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक हो सकता है। हालांकि सार्वजनिक रूप से पवन की घोषणा शुक्रवार देर रात हुई बैठक में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस की तीखी आलोचना हुई। राजनीतिक परिदृश्य को बदलने के लिए पवन ने सत्ता विरोधी वोट को अविभाजित रखने की आवश्यकता पर बल दिया और इसे प्राप्त करने के लिए उन्होंने भाजपा, टीडीपी और जन सेना के बीच गठबंधन का सुझाव दिया।
यह पहली बार नहीं है जब कोई क्षेत्रीय दल आंध्र प्रदेश में भाजपा के साथ आने के संकेत और सुझाव दे रहा है। टीडीपी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं लेकिन बीजेपी ने अभी इसको लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दरअसल, बीजेपी जानती है कि ये वही चंद्रबाबू नायडू हैं जिन्होंने 2019 में बीजेपी को धोखा दिया था। उस वक्त चंद्रबाबू नायडू राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की तरफ झुक गए थे और नायडू ने बीजेपी के विरोध में बने कांग्रेस के गठबंधन को भी ज्वॉइन किया था।
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भाजपा का रुख एकदम साफ है
चुनावों में नायडू ने बीजेपी को हराने के लिए प्रचार भी किया। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश का नेतृत्व कई बार इस बात को साफ कर चुका है कि वो टीडीपी के साथ दोबारा गठबंधन नहीं करेंगे। इसके बाद भी टीडीपी, बीजेपी के पीछे पड़ी है। टीडीपी किसी भी कीमत पर गठबंधन करना चाहती है। इसके लिए वो हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
अब जब भाजपा को इतना बढ़ावा मिल ही रहा है तो इसका अर्थ उसे समझना ही पडेगा कि बड़े भैया बनने की राह में बिहार के बाद अब आंध्र प्रदेश भी उसके सामने टकटकी लगाए बैठा है। TDP के चंद्रबाबू नायडू प्राश्चित करने के लिए तैयार हैं तो जन सेना पार्टी के पवन कल्याण भी YSR-कांग्रेस के गठबंधन को झुकाने के लिए साथ आने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। निश्चित रूप से सही समय पर सही निर्णय लेते हुए मोदी, नायडू और कल्याण वाला गठबंधन अब अपने सिरे चढ़ता दिखाई दे रहा है क्योंकि अबकी बार TDP और जनसेना गठबंधन कर लो कह रही हैं ऐसे में निर्णायक भूमिका कर गेंद दोनों ही भाजपा ले हाथ में हैं।