महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए हमेशा ही काफी संघर्ष करना पड़ा हैं। आज का समय थोड़ा बदल जरूर गया है और महिलाओं को उनके अधिकार देने के लिए समाज जागरूक जरूर हुआ हैं। परंतु अभी भी ऐसी चीजें हैं, जिसमें महिलाएं, पुरुष के मुकाबले समान अधिकार नहीं मिल पाता। ऐसा ही एक है समान वेतन का अधिकार। समान काम करने, समाज पद पर होने के बावजूद पुरुषों के मुकाबले समान वेतन नहीं मिला पाता। योग्यता, शिक्षा, काम सबकुछ एक बराबर, लेकिन फिर भी महिलाओं के साथ केवल लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ यह भेदभाव होता आ रहा है। यह केवल छोटी-मोटी कंपनियों का ही हाल नहीं, बल्कि दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल में भी ऐसा ही होता है।
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कंपनी की महिला कर्मचारियों को मिलेगा अब मुआवजा
गूगल में लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ इस तरह का भेदभाव किया जाता है। कंपनी में महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन नहीं दिया जाता। अब इसी भेदभाव के कारण गूगल को अपनी 15,500 महिला कर्मियों को 118 मिलियन डॉलर यानी करीब 920 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ रहा है। गूगल पर आरोप लगे है कि उसने कंपनी के साथ काम करने वाली महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया। महिलाओं को योग्यता के अनुपात कम वेतन दिया और साथ ही साथ नियुक्तियों में भी महिलाओं को निम्न-श्रेणी के पदों का ही जिम्मा सौंपा।
पूरा मामला अमेरिका के कैलिफोर्निया का हैं। 2017 में कंपनी में काम करने वाली महिलाओं ने गूगल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। शिकायत में महिला कर्मचारियों ने दावा किया कि गूगल ने कैलिफोर्निया इक्वल पे एक्ट का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सैलरी में करीब 13.3 लाख रुपए का अंतर है। कंपनी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम सैलरी पैकेज पर रखती है और महिलाकर्मियों को बोनस भी कम ही दिया जाता है।
अब इसी मामले के समझौते के तहत गूगल अपनी कंपनी की महिला कर्मचारियों को 920 करोड़ का मुआवजा देगा, जो करीब 15,500 महिला कर्मियों को मिलेगा। यह सभी महिलाएं गूगल के कैलिफोर्निया कार्यालय में सितंबर 2013 से 236 पदों पर काम कर रही थीं। समझौते की राशि देने को तैयार होने के साथ ही गूगल ने तीन साल तक बाहरी विश्लेषकों से अपनी कर्मचारी वेतन नीति के स्वतंत्र मूल्यांकन की भी सहमति दी है। गूगल को 21 जून तक महिलाओं को अपनी देय राशि का भुगतान करना होगा।
लैंगिक आधार पर भेदभाव का आरोप
करीब 5 साल तक मुकदमा चलने के बाद इस केस में समझौता होने पर गूगल प्रवक्ता क्रिस पापस ने खुशी जताई। एक बयान में उन्होंने कहा कि समानता की नीतियों में उनकी कंपनी पूरा विश्वास रखती हैं। उन्होंने समझौते को सभी के हित में बताया। साथ ही गूगल ने एक बयान में पुरुषों और महिलाओं के बीच इस सैलरी गैप को भरने की भी बात कही है। गूगल ऐसी अकेली कंपनी नहीं जहां लैंगिक आधार पर यह भेदभाव होता है। लगभग हर कंपनी का ऐसा ही हाल है। माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर जैसी दिग्गज टेक कंपनियों पर भी वेतन के मामले में लैंगिक भेदभाव करने के आरोप लग चुके हैं।
बात भारत के संदर्भ में करें तो देश में लैंगिक असामनता की खाई काफी गहरी है। मॉन्सटर सैलरी इंडेक्स (एमएसआई) 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश में पुरुषों की तुलना में 19 फीसदी कम वेतन पाती हैं। एक घंटे काम करने के बदले पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले 46.19 रुपये अधिक दिए जाते हैं। यह समानता लगभग सभी क्षेत्र में हैं। रिपोर्ट बताती है कि वेतन में सबसे अधिक असमानता आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में है। आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 26 प्रतिशत और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 24 फीसदी तक कम वेतन मिलता है।आज के वक्त में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। हर क्षेत्र में वे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और कई क्षेत्रों में तो पुरुषों से आगे तक निकल गई। बावजूद इसके जब गूगल जैसी बड़ी कंपनियां इस तरह का भेदभाव करती हैं, तो यह बेहद ही शर्मनाक लगता है। अब वक्त आ गया है कि अब महिलाओं को उनकी योग्यता और काम के अनुसार वेतन पाने का अधिकार मिले ना कि लैंगिक आधार पर।
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