अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी समझता है। वक्त-वक्त पर अपनी चौधराहट दिखाने के लिए कुछ ना कुछ प्रपंच रचता रहता है। अमेरिका के यह प्रपंच 2014 से पहले भारत पर चल जाते थे, उस वक्त भारत में कमजोर नेतृत्व था। भारत का नेतृत्व अमेरिका के सामने झुक जाता था, लेकिन अब अमेरिका के प्रपंच उसी पर भारी पड़ जाते हैं। इसके बाद भी अमेरिका है कि मानता ही नहीं। अब एक बार फिर से अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत पर भी सवाल खड़े किए हैं।
भारत ने अमेरिका की रिपोर्ट को तुरंत खारिज कर दिया है। इसके साथ ही भारत ने अमेरिका में बढ़ रहे ‘गन कल्चर’ और नस्लीय हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की है। अमेरिकी सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जो रिपोर्ट जारी की है, उसके पीछे भी बाइडन प्रशासन का एजेंडा है। दरअसल, अमेरिका में जल्द ही मध्यावधि चुनाव होने हैं।
और पढ़ें: अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, चीन का ‘गला सूखना’ तय है
फिलहाल जो रिपोर्ट्स बाहर आ रही हैं, उन रिपोर्ट्स के अनुसार मध्यावधि चुनावों में बाइडन को नुकसान होने की पूरी संभावना है। बाइडन इस नुकसान की पूर्ति अमेरिकी मुस्लिम वोटों के वोट लेकर करना चाहते हैं- इसलिए वो मुस्लिम तुष्टीकरण के प्रयासों में जुटे हैं। इसी मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए उन्होंने ऐसी फर्जी रिपोर्ट जारी की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नई दिल्ली में कहा, “हमने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2021 की रिपोर्ट और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गलत सूचना देने वाली टिप्पणियों को नोट किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है।’’
और पढ़ें: अमेरिका द्वारा भारत-रूस के संबंध को तोड़ने की आखिरी कोशिश भी हुई नाकाम
अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में भारत को लेकर चिंता तो जता दी लेकिन वो शायद यह भूल गए कि यह नया भारत है जो रिपोर्ट को खारिज भी करेगा और तुमसे सवाल भी पूछेगा। आज का यह भारत जवाब देना जानता है, ग़लत के विरुद्ध आवाज उठाना भी जानता है और उसको झूठ कहने वालों को आइना दिखाना भी बेहतर तरीके से जानता है।
भारत जोकि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। ऐसे देश पर उंगली उठाने से पहले अमेरिका को अपने घर में होने वाले तमाम नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों, भेदभाव और बंदूक हिंसा को याद कर लेना चाहिए था।
और पढ़ें: ओह! तुम्हारे सुर कैसे बदल गए, अमेरिका ने ‘मानवाधिकार’ की बांसुरी बजाना बंद किया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “स्वाभाविक रूप से बहुलवादी समाज के रूप में, भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है। अमेरिका के साथ हमारी चर्चा में, हमने नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और बंदूक हिंसा सहित वहां चिंता के मुद्दों को नियमित रूप से उजागर किया है।’’
इस तरह से भारत ने अमेरिका को एक बार फिर बता दिया कि भारत को लेकर अगर सवाल खड़े करोगे तो भारत से नरमी की उम्मीद मत करना- जवाब भी उतनी ही मजबूती से मिलेगा।
और पढ़ें: भारत ने अमेरिका के साथ एक बड़ा रक्षा सौदा रद्द किया