आप सभी नें तो सुना ही होगा कहते हैं कि पेड़ की जड़ें जितनी मजबूत होती हैं वह पेड़ उतना ही शक्तिशाली होता है और बड़े से बड़े तूफ़ान का सामना डटकर कर सकता है। अगर ध्यान दिया जाये तो मोदी सरकार एक ऐसे ही वृक्ष का उदाहरण है जो अपनी जड़ों को मजबूत करते हुए आज देश का उत्थान करने को अग्रसर है। किसी भी समाज के उत्थान के लिए आवश्यक है कि नागरिक अपने हितों को व्यक्त कर सके, अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर सके, और अपनी समस्या बेझिझक प्रशासन को बता सके। साथ ही देश की सफलता एक ऐसे प्रशासन पर निर्भर करती है जो प्रजा के कल्याण के लिए निर्धारित लक्ष्य को समय से पूर्ण कर सके और लोगों की मौलिक आवश्यकताएं पूरी कर सकें। एक ऐसी सरकार जो समझ सके की विकास के लिए पेड़ के पत्तों को नहीं उसकी जड़ों को सींचा जाता है।
विकास के इन सभी पैमानों को देखते हुए अगर हम पीएम नरेंद्र मोदी के लास्ट माइल-एडमिनिस्ट्रेशन मॉडल का विश्लेषण करें तो यह कहा जा सकता है कि उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करके अपनी विजन पॉलिसी को हकीकत में बदल दिया है और सही मायनों में देश को विकास की ओर बढ़ाया है।
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कैसा दिखता है नया भारत?
भारत के राज्य में एक छोटा सा गाँव जहाँ एक छोटा सा परिवार बसता होगा। एक घर जो कच्ची मिटटी का नहीं बल्कि ईंट और सीमेंट से बनी मजबूत दीवारों का होगा, घर में शौचालय होगा और रसोई में एलपीजी सिलेंडर होगा। जब उस घर का बच्चा शिक्षा पायेगा और उस परिवार के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और जीवन की सुगमता सुनिश्चित होगी, और मन में हताशा नहीं बल्कि उम्मीदें और आकांक्षाएं होगी जो कि एक लंबी छलांग लगाएंगी और एक सफल भविष्य दिखाएंगी। एक ऐसा गाँव जो धर्म, और जाती की सीमाओं से परे होगा और जहाँ सबकी मौलिक आवश्यकताएं पूरी होगीं। इस प्रकार भारत के दूरदराज इलाकों में बसे छोटे-छोटे गाँव में हो रहे जमीनी परिवर्तन से एक नए भारत की शुरुआत हो गयी है।
कैसे मोदी सरकार कर रही है नए भारत का सपना साकार?
पीएम मोदी बॉटम-अप दृष्टिकोण को अपना रहे हैं। जिससे कि वे देश की राज्य सरकारों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों से सीधी बातचीत करते हैं और सूक्ष्म स्तर पर हो रही गतिविधियों की जानकारी लेते हैं। जून माह में संपन्न एक राष्ट्रीय सम्मलेन में अधिकारियों ने पीएम मोदी के बॉटम अप दृष्टिकोण की सराहना की। सम्मलेन में कई प्रमुख एक मंच पर बैठकर देश के विकास की नीतियां समझने और समझाने में अपनी भूमिका निर्वाह करते हुए दिखे, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच की साझेदारी और समनव्य, जमीन से प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने और नीति निर्माण और कार्यान्वयन की प्रक्रिया को अधिक सहयोगी और परामर्शी बनाने के लिए सहायक सिद्ध हुआ। इससे अधिकारियों के बीच ‘टीम इंडिया’ की भावना पैदा हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार ऐसी मीटिंग का हिस्सा बनते दिखे हैं जिनमे सिविल सेवकों, पंचायत नेताओं, डॉक्टरों, शिक्षकों और इच्छित लाभार्थियों के साथ उनकी लगातार सीधी बातचीत होती रहती है। इससे उन्हें प्रशासन और जनता दोनों का प्रत्यक्ष अनुभव मिलता है और इसी अनुभव के आधार पर वे नयी नीतियों का निर्माण करते हैं और उन्हें कार्य में आते हैं। साथ ही ऐसी जमीनी स्तर की बैठकों का हिस्सा बन वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी बनाई नीतियों का लाभ ज़रूरतमंद तक पहुंच रहा है या नहीं।
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डिजिटल तकनीक का होता विस्तार
आज डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पीएम मोदी वस्तुतः देश के हर पंचायत कार्यालय में पहुंच चुके हैं और पंचायत नेताओं से बातचीत कर जमीनी समस्याओं को सीधे ग्राम स्तर से सीखते हुए उन्होंने गांवों में विकास मॉडल को पूरी तरह से बदल दिया है। ‘इलाज से बेहतर रोकथाम है’ जैसी नीति को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत योजना का शुभारंभ किया। जिसके तहत सरकारी धन से हर घर में शौचालय बनाया गया जो कि सरकार को रोकथाम योग्य बीमारियों से लड़ने में सहायक साबित हुए। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने एक बार कहा था कि लोगों के कल्याण के लिए अगर सरकार एक रूपया भेजती है तो उसमें से केवल 15 पैसा ही इच्छित लाभार्थी तक पहुंचता है। उसी समस्या को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने जमीनी स्तर पर वित्तीय समावेशन कार्यक्रम शुरू किया जिसके तहत जन धन, आधार और मोबाइल (जेएएम ट्रिनिटी) को एक साथ जोड़ा गया जिससे कि यह लाभ हुआ कि अब सरकार अपने लाभार्थियों को 100% प्रत्यक्ष लाभ लक्ष्य (DBT) प्राप्त करने में सफल रही। इस तरह भ्रष्टाचार की एक कड़ी को तोड़ते हुए जो पैसा लाभार्थी के लिए था अब वह उस तक पहुँचने लगा।
देश का युवा सही राह पर हो और देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके इसके लिए पीएम मोदी ने मिशन ‘कर्मयोगी’ जैसे कार्यक्रम का निर्माण किया, जो भारतीय सिविल सेवकों को अधिक रचनात्मक, कल्पनाशील, सक्रिय, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम बनाकर तैयार करने की परिकल्पना करता है। इसके अलावा, पीएम नरेंद्र मोदी प्रगति नामक मासिक बैठकों की देखरेख करते हैं। यह केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य अधिकारियों के सभी शीर्ष अधिकारियों को नयी सुधार योजनाओं का निर्माण करे हेतु एक टेबल पर लाता है।
स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, एक विकसित समाज के आधारभूत स्तंभ हैं। जब एक गरीब का बच्चा भी उन्ही अधिकारों का प्रापक बनता है जो कि अमीरों के बच्चों के पास होते हैं, और जब हर नागरिक की बुनियादी और मौलिक आवश्यकताएं पूरी होती हैं, तभी कोई भी सरकार अपने शासन में सफल होने का दावा कर सकती है। और पीएम मोदी की नेतृत्व वाली सरकार को देखकर यह प्रतीत होता है जैसे उन्होंने भारत को एक ऐसे मार्ग पर अग्रसर कर दिया हो जहाँ से आगे देश केवल सफलता की ऊंचाइयों को छूने को तैयार है।
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