संजय राउत का केवल एक ही ठिकाना- जेल…जेल…जेल…

शिवसेना के राउत पूरी मेहनत कर रहे है अपनी पार्टी की लुटिया डुबोने में!

sanjay Raut

Source- TFIPOST.in

आज कल महाराष्ट्र में हाई वोल्टेज ड्रामा चला हुआ है जिस पर केवल पॉलिटिकल पार्टीज ही नहीं बल्कि पूरे देश की नज़रें टिकीं हैं. हिंदुत्व की हुंकार भरने वाले शिवसेना के निर्मातक बाला साहेब ठाकरे जिन्हें कांग्रेस कभी फूटी आँख नहीं सुहाई उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने भाजपा का हाथ छोड़ कोंग्रस को गले लगाकर महाराष्ट्र की कुर्सी अपनाई. उनके शासनकाल में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिससे महाराष्ट्र की जनता में आक्रोश दिखा लेकिन 21 जून से पहले कोई नहीं जानता था कि सेना के स्वयं के नेताओं में भी आक्रोश भर रहा है. कारण था शिवसेना के नाम पर वोट लेना और कांग्रेस को कुर्सी दे देना जिसके शिंदे सख्त खिलाफ थे. उन्होंने पार्टी को समझने का हर प्रयत्न किया लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी.

आखिर में शिंदे ने ऐसी हुंकार भरी की अब शिवसेना क्या पूरा देश उन्हें सुन रहा है. 21 जून की सुबह पूरे देश में शिवसेना के बिखरने की खबर आग की तरह फैली जिसमें सेना के एकनाथ शिंदे शिवसेना के 37 बागी विधायक और नौ निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहटी पहुंचे और सेना के खिलाफ स्वर छेड़ दिया. बागी नेता एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के आलावा जिन दो और लोगों का नाम इस समय चर्चित है वे हैं शरद पवार जिन्होंने उद्धव ठाकरे को शिंदे के बागी बनने के बारे में अंदेशा जताया था और दूसरे हैं संजय राउत जो…. जो बस पार्टी में हैं और पार्टी को डूबाने के हर संभव प्रयास कर रहे है और हाल ही में दिए अपने एक बयान से उन्होंने यह सिद्ध भी कर दिया है.

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रविवार को गुवाहटी में डेरा डाले हुए बागी पार्टी के विधायकों पर शिवसेना सांसद संजय राउत के एक बयान ने पूरे देश में हलचल मचा दी जब उन्होंने दहिसर में शिवसेना कार्यकर्ताओं की एक रैली में कहा, “जब वे [बागी विधायक] असम से बाहर कदम रखेंगे तो वे जीवित नहीं होंगे। उन्हें पता है कि अब यहां जो आग लगी है उसका क्या परिणाम निकलेगा. इन सभी 40 विधायकों के शव मुंबई आएंगे, हम उन्हें सीधे पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर भेजेंगे।”

बागियों को भैंसा बताते हुए शिवसेना सांसद ने कहा, ‘गुवाहाटी में एक मंदिर है, कामाख्या मंदिर जहां भैंसों की बलि दी जाती है. ये 40 भैंसें वहां बलि देने गई हैं।’

उनकी ऐसी अभद्र भाषा और शब्दों के लिए न केवल बागियों और विपक्ष बल्कि ट्विटर पर भी उन्हें घेरा गया. इससे कुछ दिन पहले शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सेना के बागी विधायकों को एक सूक्ष्म चेतावनी जारी करते हुए अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था, “आप कितने समय तक गुवाहाटी में रहेंगे, आखिरकार आपको चौपाटी वापस आना होगा”। बस  फिर क्या था, संजय राउत ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे और अब हाल ही में उनके नए भाषण ने तो उद्धव सरकार को दोष और आक्रोश के बीच में लाकर खड़ा कर दिया है

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ऐसी बयानबाज़ी सत्ता जाने की भौखलाहट का परिणाम

“विद्रोही विधायकों के कई पिता हैं” वाले राउत के बयान ने न केवल महिलाओं का अपमान किया है. बल्कि जिस तरह जनाब खुलेआम शिंदे सेना को धमका रहे हैं उस तरह तो पुलिस जल्द ही इनके दरवाज़े पर दस्तक दे सकती है. संजय राउत जिनके भाषण में कभी बाला साहेब ठाकरे जैसा दम और आक्रोश देखने में मिलता था आज उनके बयां उन्हें बाला साहेब के नहीं बल्कि जेल के दरवाज़ों के करीब ले कर जाते हुए दिख रहे हैं. इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग और 40 लोगों को खुलेआम इस तरह मारने की संजय राउत की चेतावनी उनकी आज़ादी और उद्धव जी की कुर्सी पर बहुत भारी पड़ने वाली है. ट्विटर पर तो लोगों ने #ArrestSanjayRaut ट्रेंड कर दिया है और अब देखने वाली बात होगी कि आगे क्या होता है.

जहाँ एक तरफ शिंदे खुलेआम बागी बने हुए हैं और उद्धव जी की नींद उड़ाकर बैठे हैं वहीं दूसरी तरफ राउत सेना में रहकर ही सेना को डूबाने का हर प्रयास कर रहे हैं. जहाँ उद्धव और उनके सहयोगी राकांपा और कांग्रेस लोगों का ह्रदय जीतने के लिए पिछले कुछ दिनों में 21 जून के बाद एक के बाद एक ‘राष्ट्र के विकास’ के लिए पिछले चार दिनों में विभिन्न विकास संबंधी कार्यों के लिए हजारों करोड़ रुपये बहा रहे हैं जिसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो जैसे जितना विकास राष्ट्र में पिछले चार वर्षों में नहीं हुआ वह इन चार दिनों में ही शिव सेना, राकांपा और कांग्रेस मिलकर कर देगी। लेकिन मांझी क्या करे जब नाव में छेद करने वाला उसी के घर का हो. नौका डूबना तो तय है. और संजय राउत सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिवसेना की नाव डूब ही जाए.

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