गुजरात दंगों पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की संलिप्तता की कपोल कल्पित बातों का जमकर प्रचार प्रसार करने वालों पर अब दनादन कार्रवाई की जा रही है। कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Sitalvad) को गुजरात दंगों (Gujarat Riots 2002) के केस में गुजरात ATS द्वारा हिरासत में लिया गया है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीस्ता सीतलवाड़ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी की छवि को बदनाम करने के गंभीर आरोप लगाए थे।
सहानुभूति और आलोचनाओं का सिलसिला चल पड़ा है
गृहमंत्री के आरोपों के बाद से तीस्ता सीतलवाड़ के विरुद्ध पहले तो मामला दर्ज किया गया और अब उन्हें हिरासत में भी ले लिया गया है लेकिन इस मामले में अब सहानुभूति और आलोचनाओं का सिलसिला भी शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक अधिकारी ने तीस्ता सीतलवाड़ के हिरासत में लिए जाने पर चिंता जतायी है। अधिकारी ने कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि मानवाधिकार की रक्षा करना कोई अपराध नहीं है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे तीस्ता सीतलवाड़ पर हुई कड़ी कार्रवाई ने टूलकीट गैंग की दुखती रग पर हाथ रख दिया है जिसकी कराहती हुई आवाज यूएन से भी उठी है। तो चलिए अविलंब आरंभ करते हैं।
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मानवाधिकार रक्षकों पर ज्ञान देने वाली और विधवा विलाप करने वाली अधिकारी कोई और नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉलर (Mary Lawlor) है जिन्होंने तीस्ता की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तीस्ता घृणा और भेदभाव के विरुद्ध एक मजबूत आवाज हैं। अब समझ में यह नहीं आ रहा कि आखिर तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को इतनी क्यों चुभ रही है। क्यों कुलबुलाहट हो रही है।
तीस्ता की गिरफ्तारी पर भारत के वामदलों ने विशेष विरोध किया है। वामपंथियों ने इस कार्रवाई को तानाशाही तक घोषित कर दिया। तीस्ता की गिरफ्तारी पर एक धड़ा जहां उनके समर्थन में उतर आया है तो वहीं उनके ही विचारों वाला दूसरा धड़ा चुप है क्योंकि उन्हें डर है कि इन कार्रवाई के लपेटे में कहीं वे भी न आ जाएं।
वहीं तीस्ता की गिरफ्तारी पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं आना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और फिर देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने के लिए एक नेक्सस बनाया गया था। यह नेक्सस इतना प्रभावी है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर उनकी मुस्लिम विरोधी छवि को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अखबारों में लेखों और ओपिनयन्स क़ो प्रकाशित करता था। इसी का नतीजा था कि अमेरिका समेत कई देशों ने नरेंद्र मोदी की यात्राओं पर रोक लगाई थी लेकिन यह नेक्सस अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टूट रहा है।
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कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की घृणा हो रही है उजागर
पीएम मोदी के विरुद्ध इन वामपंथियों और कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की घृणा को इस बात से भी आंका जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच कर रही SIT की जांच प्रक्रिया पर भी प्रश्न उठाते हुए एक याचिका लगाई गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ही रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय पर स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ के आरोपों को खारिज किया है। ऐसे में अब जब तीस्ता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है तो बिल में छिपे उनके विदेशी समर्थक सामने आ रहे हैं।
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सार ये है कि इन विधवाविलापियों को इस बात का अब तक भान नहीं हुआ है कि तीस्ता की गिरफ्तारी तो एक शुरुआत भर है अभी तो इस मामले में कई अन्य दुष्प्रचारकों के विरुद्ध कार्रवाई होनी बाकी है। भारत की सशक्त न्याय व्यवस्था और सशक्त सरकार के द्वारा एक के बाद एक उठाए जा रहे कदमों को देखकर इन अति बुद्धिमान वर्ग को अब ये समझ जाना चाहिए कि भाजपा के विरुद्ध बनाए गए उनके सुनियोजित टूलकिट का बक्सा केवल कूड़े में डाल देने योग्य ही है।
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