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अब आधिकारिक तौर पर ‘क्रिप्टोकरेंसी’ खत्म होने के कगार पर है

रसातल में पहुंच चुकी है क्रिप्टो की विश्वसनीयता !

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
20 June 2022
in चर्चित
Cryptocurrency

Source- TFI

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10 नवंबर 2021 को बिटकॉइन का मूल्य 69,000 डॉलर था. किन्तु, उसके बाद से अचानक से ही सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने अपना आधा मूल्य खो दिया है। 69,000 डॉलर से यह सीधे 30,000 डॉलर पर गिरा। 12 मई 2022 को तो इसने अपने 17 महीने के सबसे निचले स्तर को छू लिया, जो 25,401 डॉलर था। हालांकि, मार्केट कैप के हिसाब से क्रिप्टोकरेंसी अभी भी सबसे बड़ी डिजिटल संपत्ति बनी हुई है, लेकिन अब स्थिति उतनी अच्छी नहीं रही। क्रिप्टोकरेंसी का कुल बाजार मूल्य अब $1.3 ट्रिलियन है। डेटा प्लेटफॉर्म कॉइनग्लास का बिटकॉइन फियर एंड ग्रीड इंडेक्स ऑफ मार्केट सेंटिमेंट जो इसके संभावित नुकसान और मुनाफे को दर्शाता है उसकी वैल्यू (-13) हो चुकी है। अगर साधारण शब्दों में समझे तो यह आंकड़ा इसके नकारात्मक विकास को इंगित करता है।

अब आते हैं ईथर पर, जो बाजार मूल्य के अनुसार नंबर 2 की क्रिप्टोकरेंसी है। अभी इसका मूल्य $2,000 है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि 10 नवंबर को इसका मूल्य $4,868 था। इसका अर्थ है कि मात्र कुछ महीनों में ही इसका लगभग 60% अवमूल्यन हो चुका है। शोध फर्म मैक्रो हाइव के सीईओ बिलाल हफीज ने चेतावनी दी कि अल्पावधि में इन क्रिप्टोकरेंसी का अप्रत्याशित अवमूल्यन मंदी का संकेतक होगा। वैसे आप इस वाकया को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मंदी क्रिप्टो के वर्चस्व को ध्वस्त कर देगा।

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समाचार और शोध साइट ‘द ब्लॉक’ के अनुसार, दुनिया के सभी प्रमुख एक्सचेंजों में सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल बाजार मूल्य 14 मई को देखे गए $48.2 बिलियन से गिरकर 18.4 बिलियन डॉलर हो गया जो कि आधे से भी कम है। सर्वेक्षण से, यह देखा गया है कि कुल भारतीयों में से 95.20% का मानना ​​​​था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक दशक के बाद भी मौजूद रहेगी। जबकि शेष 4.80% उत्तरदाताओं का मानना ​​​​है कि भविष्य में आने वाले सरकारी नियमों के चलते क्रिप्टोकरेंसी मौजूद नहीं होगी। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों भारत में खत्म होगा क्रिप्टो?

और पढ़ें: भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए खतरा है क्रिप्टोकरेंसी

ट्रेडिंग वॉल्यूम गिर गया

1 अप्रैल को बजट पास होने के बाद से इसके ट्रेडिंग वॉल्यूम में 50% तक की गिरावट आएगी। वॉल्यूम के हिसाब से भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज वज़ीर एक्स ने अपने कारोबार में 90% तक की गिरावट देखी। जैसे ही क्रिप्टोकरेंसी लोकप्रिय हुई, लोगों ने दुनिया भर में क्रिप्टो में निवेश और व्यापार करना शुरू कर दिया। यही बात भारत में भी देखी जा सकती है। भारत में इसका प्रचलन मुख्यतः वर्ष 2020-2021 के आरम्भ में हुआ। RBI ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई नियम बनाए हैं, लेकिन इसके ट्रेडिंग में अभी भी कुछ खास गिरावट देखने को नहीं मिली है।

अब इसे न तो उन्हें सरकार द्वारा कानूनी निविदा के रूप में मान्यता दी जाती है और न ही उन्हें RBI द्वारा विनियमित किया जाता है। उसके बाद बजट में वित्त मंत्री और फिर RBI ने डिजिटल करेंसी की बात कर दी। सरकार द्वारा बनाए गए कानून में क्रिप्टो में ट्रेडिंग को प्रतिबंधित करने वाला कोई कानून तो नहीं है, लेकिन उसकी स्वछंदता सीमित कर दी गयी है। उस अर्थ में क्रिप्टोकरेंसी अब सोना, कमोडिटी इत्यादि जैसी किसी अन्य संपत्ति जैसी हो गयी है।

मौजूदा खतरे

दमनकारी कर व्यवस्था क्रिप्टो निवेशकों के साथ जुआरी से भी बदतर व्यवहार करती है। कोई भी निवेशक 30 फीसदी के निषेधात्मक कर ब्रैकेट के साथ अपने निवेश को सुरक्षित कर सकता है, लेकिन क्रिप्टो व्यापारी अपने कर के बोझ को कम करने के लिए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकते। उद्योग की शुरुआती और अस्थिर प्रकृति को देखते हुए यह एक बहुत बड़ा अवरोध है। सभी क्रिप्टो लेनदेन पर स्रोत (TDS) पर 1% कर कटौती ट्रेडिंग वॉल्यूम को और प्रभावित करेगी और व्यापारियों को दूर भगाएगी।

और पढ़ें: क्या क्रिप्टोकरेंसी कानूनी है? इस प्रश्न का सबसे सरल उत्तर यहां है

भुगतान एक समस्या है

हम सभी जानते हैं कि भारतीय एक्सचेंजों ने स्थिर भुगतान भागीदारों (बैंक, भुगतान एग्रीगेटर, ई-वॉलेट) के लिए संघर्ष किया है। हालांकि, 1 अप्रैल के बाद से ये चुनौतियां कई गुना बढ़ गई हैं। सबसे पहले वॉलेट प्रदाता MobiKwik ने एक्सचेंजों के साथ काम करना बंद कर दिया। यह एक मुख्य कारण था कि अधिकांश बड़े प्लेटफॉर्म जीवित रहने में सक्षम थे। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ऑपरेटर, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भी क्रिप्टो एक्सचेंजों से खुद को अलग कर लिया, जिसके कारण कॉइनस्विच कुबेर और कॉइनबेस दोनों ने अपने प्लेटफॉर्म से विकल्प को हटा दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

क्रिप्टो उद्योग किसी तरह से टिका है लेकिन वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को क्रिप्टो कंपनियों से निपटने से प्रतिबंधित करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक के 2018 के फैसले को उलट दिया। अब उद्योग के पास अपने मामले को एक बार फिर अदालत में ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा होगा, क्योंकि सरकार नियमों पर अपना समय लेती है। किसी भी संपत्ति की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि नए निवेशक उसे कितना चाहते हैं। किसी न किसी रूप में नियमों के संकेत के साथ-साथ केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) की घोषणा ने इसके प्रति सभी आशाओं को ध्वस्त कर दिया है। भले ही खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी और भावना दुनिया भर में बढ़ती रही हो, लेकिन क्रिप्टो व्यापार की मात्रा और निवेश में तेजी नहीं आई है। ऐसा लगता है कि दुनिया भर में लोग क्रिप्टो बाजार दुर्घटना की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए वे क्रिप्टो जैसे उच्च-जोखिम, उच्च-वापसी परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में सुरक्षित संपत्ति में निवेश करने की अधिक संभावना रखते हैं।

और पढ़ें: क्रिप्टोकरेंसी का वो नकारात्मक पहलू जिस पर कोई प्रकाश नहीं डाल रहा

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16 October 2025

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