TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    आतंकवाद से समझौता? संजय राउत के रुख से शिवसेना (ठाकरे) की साख पर सवाल

    आतंकवाद से समझौता! संजय राउत के रुख से शिवसेना (ठाकरे) की साख पर सवाल

    "TMC में घमासान: महुआ मोइत्रा ने कल्याण बनर्जी को कहा 'सुअर'"

    TMC में घमासान: महुआ मोइत्रा ने कल्याण बनर्जी को कहा ‘सुअर

    बिहार बनाम तमिलनाडु? चिदंबरम के बयान से गरमाई क्षेत्रीय राजनीति

    बिहार बनाम तमिलनाडु? चिदंबरम के बयान से गरमाई क्षेत्रीय राजनीति

    आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते? चीनी कब्जे के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी लगाई फटकार

    ‘आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते’: चीनी कब्जे के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    ट्रंप के मृत अर्थव्यवस्था पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्था” पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    'मृत अर्थव्यवस्था' में भारी निवेश! राहुल गांधी की बातों पर खुद ही भारी पड़े आंकड़े

    ‘मृत अर्थव्यवस्था’ में भारी निवेश! राहुल गांधी की बातों पर खुद ही भारी पड़े आंकड़े

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    सरकार ने किसानों के लिए खोला पिटारा: जानिए मोदी कैबिनेट के ताजा 6 बड़े फैसले

    सरकार ने किसानों के लिए खोला पिटारा: जानिए मोदी कैबिनेट के ताजा 6 बड़े फैसले

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    ऑपरेशन अखल जारी- जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के घने जंगलों में एनकाउंटर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

    ऑपरेशन अखल जारी- जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के घने जंगलों में एनकाउंटर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप के मृत अर्थव्यवस्था पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्था” पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    "हिंदू अत्याचार के बीच फैसला: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रजाकार मुबारक हुसैन को किया बरी"

    “हिंदू अत्याचार के बीच फैसला: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रजाकार मुबारक हुसैन को किया बरी”

    "रूस में भूकंप से दहशत: 30 झटकों के बाद अब सुनामी की आशंका"

    “रूस में भूकंप से दहशत: 30 झटकों के बाद अब सुनामी की आशंका”

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    आतंकवाद से समझौता? संजय राउत के रुख से शिवसेना (ठाकरे) की साख पर सवाल

    आतंकवाद से समझौता! संजय राउत के रुख से शिवसेना (ठाकरे) की साख पर सवाल

    "TMC में घमासान: महुआ मोइत्रा ने कल्याण बनर्जी को कहा 'सुअर'"

    TMC में घमासान: महुआ मोइत्रा ने कल्याण बनर्जी को कहा ‘सुअर

    बिहार बनाम तमिलनाडु? चिदंबरम के बयान से गरमाई क्षेत्रीय राजनीति

    बिहार बनाम तमिलनाडु? चिदंबरम के बयान से गरमाई क्षेत्रीय राजनीति

    आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते? चीनी कब्जे के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी लगाई फटकार

    ‘आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते’: चीनी कब्जे के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    ट्रंप के मृत अर्थव्यवस्था पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्था” पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    'मृत अर्थव्यवस्था' में भारी निवेश! राहुल गांधी की बातों पर खुद ही भारी पड़े आंकड़े

    ‘मृत अर्थव्यवस्था’ में भारी निवेश! राहुल गांधी की बातों पर खुद ही भारी पड़े आंकड़े

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    सरकार ने किसानों के लिए खोला पिटारा: जानिए मोदी कैबिनेट के ताजा 6 बड़े फैसले

    सरकार ने किसानों के लिए खोला पिटारा: जानिए मोदी कैबिनेट के ताजा 6 बड़े फैसले

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    ऑपरेशन अखल जारी- जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के घने जंगलों में एनकाउंटर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

    ऑपरेशन अखल जारी- जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के घने जंगलों में एनकाउंटर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप के मृत अर्थव्यवस्था पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्था” पर मोदी का संदेश: अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    पाकिस्तान जरूरत के 25% ऊर्जा पर चलने वाला ‘भिखारी राष्ट्र’: निशिकांत दुबे

    "हिंदू अत्याचार के बीच फैसला: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रजाकार मुबारक हुसैन को किया बरी"

    “हिंदू अत्याचार के बीच फैसला: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रजाकार मुबारक हुसैन को किया बरी”

    "रूस में भूकंप से दहशत: 30 झटकों के बाद अब सुनामी की आशंका"

    “रूस में भूकंप से दहशत: 30 झटकों के बाद अब सुनामी की आशंका”

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

बुरी तरह से विफल साबित हुई है ‘तुलनात्मक लाभ’ की The Ricardo Theory

“यदि 'सिद्धांत', लड़कियों की तरह सौंदर्य प्रतियोगिता जीत सकते तो ‘तुलनात्मक लाभ’ निश्चित रूप से विजयी होता।”​

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
19 June 2022
in समीक्षा
The Ricardo Theory of Comparative advantage and its grand failure

Source: TFI

Share on FacebookShare on X

शनिवार, 19 अप्रैल 1817 को डेविड रिकार्डो ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था और कराधान के सिद्धांत (The Principles of Political Economy and Taxation) शीर्षक से पेपर प्रकाशित किए। इसमें उन्होंने तुलनात्मक लाभ ( Comparative Advantage) के विचार रखे। तब से ये विचार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांत की नींव बन गया। 200 साल बाद यह पूछना कर्तव्य बन जाता है कि क्या यह सिद्धांत अभी भी प्रासंगिक है? सामाजिक अध्ययन के जटिल शब्दजाल को पार करते हुए, हम अक्सर एक ऐसी थ्योरी का सामना करते हैं जो हमें स्वाभाविक रूप से तार्किक और अपनी पूर्णता के कारण आकर्षित भी करती है।

उसे समझते हुए हम यह मान लेते हैं कि आखिरकार हमने एक सही और तार्किक सिद्धांत की प्राप्ति कर ली है। लेकिन गहन विश्लेषण करने पर हमें पता चलता है कि यह एक पूर्ण रूप से अस्थायी और केवल समकालीन समय के लिए ही प्रासंगिक सिद्धांत था। रिकार्डो का तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत भी उनमें से एक है। जब वास्तविक दुनिया की कसौटी पर इसका परीक्षण किया गया तब यह सिद्धांत हमेशा फिसड्डी साबित हुआ।

संबंधितपोस्ट

कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है
और लोड करें

हम हमेशा से द इकोनॉमिस्ट, सीएनएन, फोर्ब्स और वोक्स मीडिया संस्थानों द्वारा रिकार्डो की बहुत प्रशंसा देखते हैं। किन्तु, मुख्यधारा के अर्थशास्त्री आज ट्रम्प और ब्रेक्सिट में निहित मुक्त व्यापार की अस्वीकृति को लोकलुभावन बकवास के रूप में देखते हैं। दरअसल, इन दो बड़े वैश्विक नेताओं द्वारा मुक्त व्यापार को अस्वीकृति रिकार्डो के तुलनात्मक लाभ के जटिल सिद्धांत को नकारने के समान था।

और पढ़ें: भारत के शॉपिंग मॉल ‘डेड मॉल’ या ‘जॉम्बी मॉल’ क्यों बन रहे हैं?

पॉल क्रुगमैन ने एक बार अपने स्पष्टीकरण में बताया था कि आखिर क्यों गैर-अर्थशास्त्री तुलनात्मक लाभ को नहीं समझते हैं। रिकार्डो के सिद्धांत में अंतर्निहित धारणाओं के साथ कुछ मूलभूत समस्याएं हैं। रिकार्डो के तुलनात्मक लाभ के जटिल सिद्धांत का समर्थन करने के लिए बहुत कम सबूत हैं। इसलिए इस द्विशताब्दी पर रिकार्डो के तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत के पीछे की कुछ मूलभूत धारणाओं पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। जिस पर हमें बहुत पहले विचार करना चाहिए था।

एडम स्मिथ और पूर्ण लाभ

डेविड रिकार्डो उन कुछ नामों में से एक था जो शास्त्रीय अर्थशास्त्र (classical economy) के शीर्ष पर थे। शास्त्रीय अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि एक बाजार अर्थव्यवस्था (मांग और आपूर्ति संचालित अर्थव्यवस्था) को स्व-विनियमित होना चाहिए। उनके अनुसार, उत्पादन इकाइयाँ माँग से संचालित होंगी और बदले में माँग आपूर्ति द्वारा संचालित होगी। इससे अर्थव्यवस्था का चक्र सुगमता से चलता रहेगा।

अर्थशास्त्र के पिता के रूप में जाने जाने वाले एडम स्मिथ, अर्थशास्त्र के इस स्कूल के सबसे बड़े प्रतिपादक थे। अपनी पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ में एडम स्मिथ ने तर्क दिया कि देशों को सहजीवी आर्थिक संबंध विकसित करने चाहिए। एक देश जो कम लागत के साथ किसी विशेष वस्तु का उत्पादन करता है, उसे उस देश को निर्यात करना चाहिए जहां उसी वस्तु के उत्पादन की लागत अधिक होती है। दूसरा देश अन्य उत्पादों के साथ एहसान वापस करेगा जिसे वो कम लागत पर उत्पादित कर सकता है। इसे निरपेक्ष लाभ का सिद्धांत कहा जाता है।

लेकिन, इस सिद्धांत में एक अंतर्निहित दोष है। यदि हम इसका अनुसरण करना चाहते हैं, तो दोनों वस्तुओं में समान उत्पादकता शक्ति वाले दो देशों की आवश्यकता होगी। लेकिन विडंबना यह है कि पृथ्वी एक असमान जगह है। ज्यादातर समय, दोनों देशों की मेहनत में बहुत बड़ा अंतर होता है। एक से अधिक वस्तुओं के शामिल होने पर यह और अधिक जटिल हो जाता है। उन मामलों में, पूर्ण लाभ सिद्धांत की तर्ज पर अपनी द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यापार नीति तैयार करने वाले दोनों देशों में से किसी एक को भारी नुकसान उठाना होगा।

रिकार्डो का तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत

इसके बाद डेविड रिकार्डो आए। रिकार्डो ने इस समस्या का एक समाधान प्रदान किया जो कम से कम उस समय एक प्रभावी निष्कर्ष प्रतीत होता था ।

उदाहरण के लिए मान लीजिए, ए और बी नाम के दो देश हैं। देश ‘ए’ देश ‘बी’ की तुलना में कुशलतापूर्वक और सस्ती कीमत पर शराब और कपड़े का उत्पादन करता है। फिर तो स्मिथ के पूर्ण लाभ सिद्धांत के अनुसार देश ‘ए’ और ‘बी’ को एक दूसरे के साथ व्यापार में संलग्न नहीं होना चाहिए?

किन्तु, इसके प्रतिउत्तर में भी रिकार्डो ने कहा ‘नहीं’। दोनों देशों को व्यापार से लाभ हो सकता है। रिकार्डो के समय में पुर्तगाल दोनों उत्पादों, शराब और कपड़े, का सस्ते दर पर उत्पादन करने वाला देश था। रिकार्डो की थीसिस के अनुसार जैसा कि ‘द प्रिंसिपल्स ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी एंड टैक्सेशन’ नामक पुस्तक में लिखा गया है, इंग्लैंड और पुर्तगाल दोनों को यह पता लगाने की जरूरत है कि उन्हें किस उत्पाद में तुलनात्मक लाभ होने की संभावना थी।

और पढ़ें: अडानी पेश करते हैं दुनिया का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम

मूल रूप से, रिकार्डो ने कहा कि पुर्तगाल को कपड़े और शराब से यह पता लगाने की जरूरत है कि वह कम लागत में किस वस्तु का उत्पादन कर सकता है और केवल उसी के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। रिकार्डो ने सुझाव दिया कि पुर्तगाल को इंग्लैंड को वाइन निर्यात करने और इंग्लैंड से कपड़ा आयात करने की आवश्यकता है भले ही पुर्तगाल खुद सस्ता कपड़ा बना रहा हो।

रिकार्डो ने तर्क दिया कि पुर्तगाल कपड़े और वाइन दोनों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक सिर्फ वाइन का उत्पादन करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है जिसके उत्पादन में वह दक्ष है। उनके सिद्धांत के अनुसार, पुर्तगाल को अपने बुनियादी ढांचे को बंद कर देना चाहिए था, जो कपड़े का उत्पादन करते थे और उन्हें सिर्फ वाइनमेकिंग उद्यमों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

इंग्लैंड के लिए, अधिक कपड़े बनाना अधिक व्यवहार्य था। उनके पास निर्यात करने के लिए एक तैयार बाजार (पुर्तगाल) होगा। इसलिए, दिन के अंत में, इंग्लैंड पुर्तगाल को कपड़ा निर्यात करेगा और बदले में उन्हें वाइन मिलेगी, जिससे यह व्यापारिक सहयोग दोनों भौगोलिक संस्थाओं के लिए लाभदायक हो जाएगा।

इस सिद्धांत के प्रकाशन के समय, रिकार्डो के सिद्धांत को वास्तविकता के अनुरूप अधिक माना जाता था। चूँकि दुनिया भर के देशों में अत्यधिक असमानताएँ थीं, इसलिए रिकार्डो के तुलनात्मक लाभ सिद्धांत को अधिक प्रासंगिक माना गया। लेकिन, कुछ समय बाद दरारें दिखने लगीं।

सिद्धांत की पहली समस्या

शायद रिकार्डो के सिद्धांत के पीछे सबसे मौलिक धारणा यह है कि संतुलित व्यापार सुनिश्चित करने के लिए किसी देश की व्यापार की शर्तें समायोजित होती हैं। यह धारणा कई स्तरों पर समस्याग्रस्त है। सबसे पहले, व्यापार की शर्तों में बदलाव के परस्पर विरोधी प्रभाव हो सकते हैं। अपेक्षाकृत कम निर्यात कीमतों का मतलब है कि निर्यात की प्रत्येक इकाई व्यापार संतुलन में कम योगदान देती है। साथ ही, कम कीमत से निर्यात की मात्रा अधिक हो सकती है। दूसरे शब्दों में, इन परस्पर विरोधी प्रभावों की ताकत के आधार पर निर्यात का कुल मूल्य गिर सकता है, वही रह सकता है या बढ़ सकता है। उन्होंने यह बताया ही नहीं कि व्यापार की शर्तों में बदलाव के परिणामस्वरूप क्या होगा, क्योंकि यह निर्यात और आयात की कीमत पर निर्भर करेगा।

सिद्धांत की दूसरी समस्या- तुलनात्मक लागत का सिद्धांत

तुलनात्मक लागत की धारणा को दुनिया भर की अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तकों और कक्षाओं में एक तथ्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है. आश्चर्यजनक रूप से, इसके अंतर्निहित समस्याग्रस्त मुद्दों के बावजूद। उसमें एक गंभीर दोष यह है कि तुलनात्मक लागत में उत्पादन लागत और उत्पादन मूल्य में सामान्य लाभ दर दोनों शामिल हैं। यदि किसी वस्तु की अंतर्राष्ट्रीय कीमत गिरती है, तो इस वस्तु के उच्च लागत वाले उत्पादकों को सामान्य लाभ दर की गारंटी नहीं दी जाएगी। इसके विपरीत, जो फर्में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी हैं और जो सबसे कम लागत पर उत्पादन करने में सक्षम हैं, वे ही जीवित रहती हैं, जबकि कम प्रतिस्पर्धी फर्में बाहर हो जाएंगी।

केवल आपूर्ति और मांग से ही उत्पादन नहीं होता है

सिद्धांत के साथ पहली समस्या यह थी कि यह सिर्फ संतुलन की स्थिति में काम करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि अर्थव्यवस्था के अन्य सभी संचालक जिनमें सरकार, राज्य मशीनरी सहित अन्य संस्थान भी शामिल हैं, वे दो वस्तुओं के लेन-देन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाएंगे। सीधे शब्दों में कहें तो रिकार्डो ने सीमा पार व्यापार को प्रभावित करने वाली संप्रभु सीमाओं के किसी भी संभावना को समाप्त कर दिया। इसके अतिरिक्त, रिकार्डो के सिद्धांत में आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनें भी समीकरण से बाहर थीं। इसके अलावा, सिद्धांत मानता है कि उत्पादन एक सतत प्रक्रिया है और परिवर्तन के अधीन नहीं है, जो वास्तविकता के धरातल पर फिट नहीं बैठती है।

और पढ़ें: Business 101: अडानी का ‘स्वयं विक्रेता, स्वयं उपभोक्ता’ मॉडल अभूतपूर्व है

तुलनात्मक लाभ तुलनात्मक नुकसान में बदल जाता है

इसके साथ इस सिद्धांत की दूसरी समस्या अंतर्निहित विनाशकारी-तंत्र थी। जैसे-जैसे देशों ने इस मॉडल पर अपनी नीति बनानी आरम्भ की, उन्हें एहसास होने लगा कि वे तुलनात्मक लाभ के जाल में फंस रहे हैं। विकासशील और अविकसित देशों के लिए यह सिद्धांत सबसे अधिक नुकसानदेह था। चीन और उसके व्यापारिक साझेदार इसके ताजा शिकार हैं।

सस्ता श्रम होने के कारण चीन को दशकों तक तुलनात्मक लाभ प्राप्त था। समय के साथ, तकनीकी विकास हुआ और श्रम बल का एक बड़ा वर्ग तकनीकी गहन उद्योगों में व्यस्त हो गया। तकनीकी गहन क्षेत्र में कार्यरत लोगों को बेहतर वेतन मिलने लगा। इस बीच, श्रम प्रधान क्षेत्र हमेशा सस्ते श्रम पर निर्भर रहते हैं। श्रम और तकनीकी दक्षता के क्षेत्रों के एक साथ अस्तित्व ने चीन में बढ़ती असमानता को समाप्त कर दिया, जिसके परिणाम नागरिक अशांति, आभाव, विरोध और बेरोजगारी के रूप में महसूस किए जा रहे हैं।

दूसरी ओर, विभिन्न कंपनियों ने अपनी उत्पादन इकाइयों को चीन में स्थानांतरित कर दिया। इसका सबसे बड़ा कारण सस्ता श्रम था, जो भारी तुलनात्मक लाभ के लिए जिम्मेदार था। कुछ वर्षों के लिए चीजें अच्छी थीं क्योंकि जिन देशों में ये कंपनियां मूल रूप से आधारित थीं, उन्हें सस्ते उत्पाद मिलते रहे जबकि चीन तकनीकी रूप से उन्नत होता रहा।

चीन भारी आर्थिक विकास के पक्ष में था जो जो उसकी बढ़ी हुई शक्ति में परिलक्षित होता रहा। लेकिन, अन्य देशों ने अपने रोजगार की संख्या में गिरावट देखी। कंपनियां चीन पर केंद्रित थीं और इसलिए उन कंपनियों (जो सस्ते श्रम के चक्कर में चीन गए थे) की अपनी मातृभूमि की युवा आबादी रोजगार के मामलों में पिछड़ने लगी। अंत में, डोनाल्ड ट्रम्प आए और विदेश व्यापार नीतियों को सख्त करने के लिए मंच तैयार किया। उनकी अधिकांश नीतियों का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका पर चीनी नकारात्मक प्रभाव को कम करना था। कोविड के बाद, यह जंगल की आग की तरह फैल गया और अब लगभग हर दूसरे देश में चीन के नुकसान के लिए अपनी द्विपक्षीय व्यापार नीति है।

कोविड –19 ने रिकार्डियनवाद को उजागर किया

रिकार्डियन विश्लेषण में तीसरा और संभवत: सबसे बड़ा दोष यह है कि यह अव्यावहारिक है। तुलनात्मक लाभ सिद्धांत के अंतिम निष्कर्ष में कहा गया है कि प्रत्येक देश को अपनी ताकत पर टिके रहना चाहिए और अपनी अन्य जरूरतों के लिए उसे अन्य देशों की विशेषज्ञता पर निर्भर रहना चाहिए। रिकार्डो मानव स्वभाव के बारे में बहुत अधिक आशावादी प्रतीत होते हैं क्योंकि उनका सिद्धांत मानता है कि मनुष्य और राष्ट्र तर्कसंगत संस्थाएं हैं। केवल इस धारणा के आधार पर कि देश हमेशा एक-दूसरे के साथ सहकारी अवस्था में हैं, रिकार्डो ने उन्हें अपने समकक्षों पर पूरी तरह से निर्भर रहने के लिए कहा।

यहीं पर यह सिद्धांत लड़खड़ा गया। मानव जीवन अराजकता से भरा है। शायद ही आपने देखा होगा कि लड़ाई रोटी और मक्खन को लेकर होती है। यह मुख्य रूप से दो समूहों के बीच सापेक्ष असमानता को उलटने के बारे में है। हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जितना हो सके उतने संसाधन प्राप्त करने की अंतर्निहित दौड़ लोगों को एक-दूसरे से लड़ने के लिए मजबूर करती है। हमारे शासक हमसे बहुत अलग नहीं हैं। वे दो भौगोलिक संस्थाओं को खूनी लड़ाई में उलझाते रहते हैं।

और पढ़ें: ‘भारतीय बाजार’ जैसा कोई बाजार नहीं है और ‘भारतीय निवेशकों’ जैसा कोई निवेशक नहीं

जिस समय रिकार्डो अपने सिद्धांत को आकार दे रहे थे, उस समय यूरोपीय राज्य हमेशा एक-दूसरे के साथ विवाद में थे। ऐसा कोई मौका नहीं था कि अगर मौका दिया जाए तो कोई उस पर झपटकर दूसरे का गला नहीं घोंटेगा। यह वही है जो तुलनात्मक लाभ प्रदान करता है। इसने राष्ट्रों को संदेश दिया कि आप अपने दुश्मन को किसी उत्पाद के लिए पहले आप पर निर्भर बनाकर उसका गला घोंट सकते हैं और फिर जब उसकी सख्त जरूरत हो तो उसकी आपूर्ति रोक सकते हैं।

कोविड -19 रिकार्डियन तुलनात्मक लाभ सिद्धांत की विफलता का एक अद्भुत उदाहरण साबित हुआ है। वस्तुतः हर दूसरे देश ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार को अपनी अंतिम प्राथमिकता बना लिया। थोड़े समय के लिए, भूख से मरने वाले लोगों की संभावना कोविड की जटिलताओं से मरने वाले लोगों की तुलना में अधिक आसन्न थी। पश्चिमी उदारवादी लोकतंत्र सबसे अधिक अनुदार शासन साबित हुए। जब अंततः कोविड-19 के टीके आ गए, तो उन्होंने टीकों के निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला संरचना में अपने प्रभुत्व के लाभों को बाकी दुनिया तक पहुंचाने से इनकार कर दिया।

रिकार्डो की उपेक्षा करने और संरक्षणवाद का उपयोग करने वाले विभिन्न देशों ने विकास की तेजी और निरंतर दर देखी। इनमें आधुनिक जापान, दक्षिण कोरिया, 20वीं सदी के जर्मनी सहित अन्य ने प्रासंगिक और महत्वपूर्ण उद्योगों का समर्थन किया ताकि उन्हें पर्याप्त बनाया जा सके।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पॉल सैमुएलसन ने एक बार कहा था, “यदि सिद्धांत लड़कियों की तरह सौंदर्य प्रतियोगिता जीत सकते हैं तो तुलनात्मक लाभ निश्चित रूप से उच्च दर पर होगा कि यह एक सुंदर तार्किक संरचना है।” इसे पौलुस से बेहतर कोई नहीं बता सकता। सिद्धांत अत्यंत तार्किक है। दुर्भाग्य से, इसके साथ यही समस्या है।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

 

Tags: Adam SmithComparative advantageRicardo Theory of Comparative advantageThe Ricardo Theoryतुलनात्मक लाभ’
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

‘दंगाइयों’ को मौन समर्थन देने के पीछे क्या है नीतीश कुमार की ‘कुंठित’ चाल, यहां समझिए !

अगली पोस्ट

पाकिस्तानी आतंकियों ने की थी अस्तित्व मिटाने की कोशिश, आज दुनिया का सबसे मजबूत होटल है ताज

संबंधित पोस्ट

गाजा मायने रखता है, हिंदू नहीं? गांधी परिवार की तुष्टिकरण की राजनीति जारी है
मत

“गांधी परिवार की प्राथमिकताएं सवालों के घेरे में, गाजा पर आवाज़, हिंदुओं पर चुप्पी?”

29 July 2025

मानवीय वकालत के क्षेत्र में, निरंतरता न केवल नैतिक विश्वसनीयता के लिए, बल्कि लोकतांत्रिक संदर्भ में नेतृत्व की वैधता के लिए भी मायने रखती है।...

जिस MY यानी मुस्लिम यादव समीकरण के दम पर ये कथित समाजवादी यूपी और बिहार में सालों तक राज करते रहे, उस MY समीकरण में भी उन्हें सिर्फ M ही नजर आया।
राजनीति

मुहर्रम के जुलूस में मारे गए अजय यादव M-Y समीकरण के Y हों या न हों, उनकी पहचान हिंदू थी

8 July 2025

अजय यादव का नाम इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। 32 वर्ष के अजय यादव, न कोई फिल्म स्टार थे, न राजनेता,...

बिहार में ताजिया जुलूस में अजय यादव की लाठी-तलवार से हत्या, शहाबुद्दीन को सलाम करने वाले तेजस्वी अजय की हत्या पर खामोश क्यों?
समीक्षा

बिहार में ताजिया जुलूस में अजय यादव की लाठी-तलवार से हत्या, शहाबुद्दीन को सलाम करने वाले तेजस्वी अजय की हत्या पर खामोश क्यों?

7 July 2025

तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इन दिनों एक बार फिर अपने पुराने मुस्लिम-यादव यानी MY सामाजिक समीकरण को हवा देकर बिहार...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Is Congress Against Migrants? Chidambaram Calls Biharis 'Illegal Voters'

Is Congress Against Migrants? Chidambaram Calls Biharis 'Illegal Voters'

00:07:49

Gandhi Family Losing Grip allies Disown Rahul’s Trump-Style Attack on Indian Economy

00:06:28

Trump's Tariff Prompt India to Exit F-35 Jet Deal?

00:06:28

Sawan’s Fire, Bharat’s Voice: How India Is Leading the Global Narrative Now

00:06:03

When Reuters Insults India, Its Indian Staff Looks the Other way

00:07:38
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited