महामारी के दौरान जब एक के बाद एक स्टार्टअप फेल हो रहे थे, बड़ी-बड़ी कंपनियां नुकसान में चल रही थी, ऐसे में शायद डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म BYJU’S ही एक अकेली ऐसी कंपनी थी जो इस महामारी में मुनाफे कमा रही थी। लॉकडाउन को देखकर ऐसा लग नहीं रहा था कि स्थिति एक बार फिर पहले की तरह सामान्य होगी लेकिन वैज्ञानिकों के सफल टीका परीक्षण और सरकार के अभ्यास के बाद वैक्सीनेशन ड्राइव के चलते भारत एक बार फिर अपनी कोरोना महामारी से पहले वाली स्थिति में पहुंचा। स्कूल और ऑफिस खुलने लगे और जीवन एक बार फिर मानो पटरी पर आने लगा। हालांकि BYJU’S जिसे लग रहा था कि शायद कुछ और तीन-चार सालों तक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ही सीखने का एकमात्र तरीका होगा, यह शायद उसके लिए एक बहुत ही बड़ा झटका साबित हुआ।
जहां पिछले दो साल भारतीय एडटेक दिग्गज BYJU’S के लिए वरदान रहे हैं। वहीं बाजू के दरवाज़े पर निवेशकों का ढेर लग गया। अब BYJU’S के पास इतना पैसा था कि वह दूसरे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की खरीदारी की होड़ में लग गया। मार्च में मिली फंडिंग ने BYJU’S का मूल्यांकन 22 अरब डॉलर तक बढ़ा दिया। अब BYJU’S के पास इतना पैसा था कि वह अधिग्रहण की होड़ में लग गया। भारतीय बहुराष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी कंपनी BYJU’S ने वर्ष 2021 में अधिग्रहण पर $2.4 बिलियन से अधिक खर्च किए। यह भारतीय एड-टेक यूनिकॉर्न कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई।
और पढ़ें: आसमान छू रहा है गुजरात का ‘French Fries’ उद्योग, जिसके बारे में आपको किसी ने नहीं बताया
BYJU’S द्वारा 2021 में किए गए अधिग्रहण
BYJU’S ने वर्ष 2020 में वाइट हैट जूनियर और अमेरिकी कंपनी-ऑस्मो को खरीदा। वर्ष 2021 में जियोजेब्रा, हूडैट, हैशलर्न, ग्रेडअप, टॉपर, स्कॉलर, टिंकर, डिजिटल बुक प्लेटफॉर्म-एपिक, ग्रेटलर्निंग जैसे प्लेटफार्म को खरीदा और आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड, जिसे जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए जाना जाता है वह BYJU’S की अब तक की सबसे बड़ी खरीद थी। आकाश को खरीदने के लिए BYJU’S ने लगभग एक बिलियन डॉलर में सौदा पक्का किया। यह भारतीय एडटेक स्पेस में अब तक का सबसे बड़ा और महंगा अधिग्रहण था।
BYJU’S के पास इतना पैसा था कि वह एक के बाद एक कई ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म खरीदते जा रही थी और देखा जाए तो BYJU’S के खरीदे हुए प्लेटफार्म वाकई में काफी अच्छे भी थे लेकिन आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी, ‘पैर उतने ही फैलाने चाहिए जितनी लंबी चादर हो’। हालांकि BYJU’S के खरीदे प्लेटफार्म बहुत ही उन्नत थे लेकिन उसका असर अब BYJU’S की जेब पर दिखने लगा है।
हाल ही में आई ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार BYJU’S पिछले साल दिल्ली स्थित ऑफलाइन टेस्ट प्रिपरेटरी सर्विस प्रोवाइडर आकाश के अधिग्रहण का लगभग 1 बिलियन डॉलर मैं सौदा किया था। अब BYJU’S सौदे के लिए भुगतान में देरी कर रहा है जिसके पीछे ही केवल यही एक निष्कर्ष निकल कर आता है कि इस समय BYJU’S पैसों की तंगी का सामना कर रहा है। इसी के चलते वह एक के बाद एक कर्मचारियों को निकाल रहा है ताकि कहीं से कुछ पैसे बचा पाए और वह आकाश के हुए सौदे को पूरा कर सके।
और पढ़ें: बर्गर किंग, आपके ‘जागरण’ ने ‘जागने वालों’ को भी ‘सुला दिया’
बीते कुछ दिनों में ऐसी भी खबर आई कि BYJU’S ने अपनी समूह कंपनियों में 2,500 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया है। हालांकि BYJU’S का कहना था की स्कूल खुलने के बाद एडटेक सेवाओं की मांग में कमी के चलते यह कदम उठाया गया है। साथ ही, वाइट हैट जूनियर और टॉपर में 500 से कम लोगों की छंटनी की गई है।
हालांकि, छंटनी किए गए कर्मचारियों का दावा है कि अकेले टॉपर में लगभग 1,100 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। इस समय में BYJU’S की तुलना सहारा समूह से की जा सकती है। जैसा कि सहारा ने एंबी वैली सिटी, सहारा मूवी स्टूडियो, एयर सहारा और हॉकी स्पोर्ट्स जैसी परियोजनाओं में अपने व्यवसाय का विस्तार किया, उसने एक तरह से स्वयं ही अपनी पतन की कहानी लिखी थी। BYJU’S भी मानो उसी मार्ग पर अग्रसर है। वह अपने कारोबार का विस्तार तो कर रहा है लेकिन अब सहारा की तरह ही वित्तीय कठिनाइयों का सामना भी कर रहा है।
और पढ़ें: एक या दो दशक में Parle-G बिस्किट का उत्पादन बंद करने पर विवश हो जाएगी पारले कंपनी
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।