पीएम मोदी राजनीतिक तंत्र को अपनी ओर परिवर्तित करने में माहिर रहे हैं। फिर चाहे 2002 के बाद गुजरात में उनके खिलाफ तैयार किए गए माहौल को परास्त कर सरकार बनानी हो या 2014 और 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाने की हो, उन्होंने हर बार अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है। अब अपने विरोधी गुट को कैसे कमज़ोर किया जाए इसमें भी पीएम मोदी का कोई सानी नहीं है, ऐसे में अब इसी नीति को दुरुस्त करते हुए मिशन 2024 के लिए बीजेपी की यूपी योजना लागू होना प्रारंभ हो चुकी है जिसका उद्घाटन स्वयं पीएम मोदी ने किया है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता दिवंगत हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए, पीएम मोदी ने विपक्षी दलों को यह कहते हुए स्कूली शिक्षा दी कि “किसी पार्टी या व्यक्ति का विरोध करना देश के खिलाफ नहीं होना चाहिए।” पीएम मोदी ने कहा, “यह हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है कि किसी पार्टी या व्यक्ति का विरोध देश के खिलाफ न हो। विचारधाराओं का अपना स्थान होता है लेकिन देश पहले, समाज पहले और राष्ट्र पहले होता है।”
हरमोहन सिंह यादव
हरमोहन सिंह यादव वो समाजवादी नेता थे जो समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और मुलायम सिंह यादव के घनिष्टों में से एक थे। समाजवादी पार्टी के यह नेता अपनी कार्यशैली के लिए दलगत राजनीति से ऊपर सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं थे। इसी पर अपनी बात को केंद्रित करते हुए सोमवार को अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, “चौधरी हरमोहन सिंह यादव ने आपातकाल के दौरान संविधान को बनाए रखने के लिए अन्य दलों के साथ लड़ाई लड़ी। आपातकाल के दौरान जब देश का लोकतंत्र कुचला गया तो सभी प्रमुख दल एक साथ आए और संविधान को बचाने के लिए संघर्ष किया। चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी भी उस संघर्ष के योद्धा थे।”
अब यह भाजपा और पीएम मोदी का बड़प्पन कहा जा रहा है पर बड़प्पन से कई अधिक यह सब हरमोहन सिंह यादव की विरासत को जीवित रख राज्य की सत्ता को और मजबूत करने के लिए 2024 का प्लान है। यह सर्वविदित है कि, समाजवादी पार्टी का मूल वोटर हमेशा यादव और मुस्लिम रहे हैं पर 2014 से यह समीकरण बदल गया। 2014 के बाद से धीरे-धीरे ही सही पर समाजवादी पार्टी के हाथों से यादव वोट खिसकता रहा।
अब एक और बात यहाँ यह आ जाती है कि कैसे हरमोहन सिंह यादव के पुत्र पूर्व राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सुखराम ने अप्रैल में उपेक्षित महसूस होने के बाद यह बात जगजाहिर भी कर दी थी। ऐसे में इसी वर्ष राज्यसभा का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद से ही सुखराम और समाजवादी पार्टी में दूरी महसूस की जा रही है। अब पीएम मोदी का उनके पिता के प्रति सम्मान भाव देख अटकलें लगाईं जा रही हैं कि 2024 में बहुत बड़ा खेला होने जा रहा है।
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यूपी में 2024 की नींव तैयार करती बीजेपी
यदि यही चलता रहा तो आने वाले समय में सुखराम सिंह यादव भाजपा के साथ भी जा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो निश्चित रूप से जो यादव वोट भाजपा के बाद अभी भी समाजवादी पार्टी को जाता है वो एकमुश्त होकर हरमोहन सिंह यादव के प्रति भाजपा की ओर खिसक जाएगा। फिर क्या एटा, इटावा, मैनपुरी, आगरा से लेकर कानपुर तक पूरे यादव बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिल जाएगी। ऐसे में मिशन 2024 में 80 में 80 सीटों का लक्ष्य भाजपा तभी हासिल कर पाएगी जब ऐसा परिवर्तन होता है और सपा में एक बार और टूट दर्ज़ की जाएगी।
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