हाल के वर्षों में चीनी सेना बॉर्डर पर अति सक्रिय क्यों हो गई है?

जब राजा के पास सिंहासन बचाने का कोई विकल्प नहीं बचताा तो वो बॉर्डर की ओर देखता है!

Jinping

Source- TFI

क्या कभी सोचा है, ऐसा भी संभव था कि इंदिरा गांधी ने जो आपातकाल लगाया था वह शायद इतिहास के पन्नों में दर्ज ही नहीं हो पाता? हां, यह काफी हद तक सिमट सकता था यदि इंदिरा गांधी बॉर्डर पर पाकिस्तान से युद्ध छेड़ देतीं। खैर, जो इंदिरा गांधी करने से बच गईं उसे अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग करने में लगे हुए हैं और इसी के साथ अब चीन के रिश्ते भी अन्य देशों से काफी बुरे होते दिख रहे हैं। पिछले 50 वर्षों में चीन ने बहुत तरक्की की। हालांकि, वहां की कम्युनिस्ट सरकार ने सभी पर अपना दबाव बना कर रखा लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था पर इसे हावी नहीं होने दिया। इस अवधि में धीरे-धीरे विकास हो रहा था इसलिए चीनी नागरिक चुपचाप ‘जो जैसा है वैसा ही चलने दो’ सोचकर अपना जीवन यापन कर रहे थे लेकिन फिर अति महत्वाकांशी चीन ने शायद जैविक हथियार बनाने के इरादे से कोरोना का निर्माण कर दिया। स्वयं तो बर्बाद हुआ ही, दुनिया के अन्य देशों को भी यमराज के दरवाज़े पर लाकर खड़ा कर दिया।

अब चीन ने बीमारी का ईजाद तो कर दिया था लेकिन उसे संभाल नहीं सका। आज जहां दुनिया के लगभग सभी देशों ने स्वयं को संभाल लिया है और कोरोना पर काफी हद तक काबू पा लिया है। वहीं, दूसरी ओर चीन अभी भी कोरोनकाल से बाहर निकलने में असफल रहा है। चीन में महीनों के लंबे लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं और अर्थव्यवस्था इतनी बिगड़ चुकी है कि अब घर खरीदारों को अपने डाउन पेमेंट का हिस्सा भुगतान करने के लिए तरबूज, गेहूं और लहसुन भी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। लोग बैंकों से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं, हर तरफ हाहाकार मचा है। हालात इतने गंभीर होते जा रहे हैं कि अब चीनी नागरिकों का भरोसा शी जिनपिंग से उठने लगा है। ऐसे में अपने नागरिकों का ध्यान अपनी विफलताओं से हटाने और ‘चीनी आका’ में विश्वास जगाने के लिए CCP ने अब नयी तरकीब अपनाई है, जो है अपने पडोसी देशों से पंगा लेने की।

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सीमा पर चीन ने बढ़ाई आक्रामकता

भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों की कई रिपोर्ट्स से पता चला है कि चीन अपने पड़ोस में अपनी सैन्य उपस्थिति को फिर से मजबूत कर रहा है। हाल ही में यह खबर आई थी कि चीनियों ने एक उन्नत मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) का परीक्षण किया और अब इस बात की बहुत अधिक संभावना जताई जा रही है कि चीनी सरकार इस रॉकेट को भारत-चीन सीमा पर तैनात करने वाली है। इसके अतिरिक्त चीनी मीडिया की ओर से एक क्लिप भी प्रसारित की गई है जिसमें चीनी सेना पैंगोंग झील पर अभ्यास कर रही थी।

ध्यान देने वाली बात है कि जून के मध्य से चीनी वायु सेना विवादित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वायु-रक्षा अभ्यास कर रही है। जवाबी रूप में भारतीय वायु सेना भी काफी सतर्क है। भारत के एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा, “चीनी विमान गतिविधि पर हम कड़ी नजर रखते हैं। जब भी हम चीनी विमान या दूर से चलने वाले विमान को एलएसी के बहुत करीब आते देखते हैं तो हम अपने विमानों को हाई अलर्ट पर रखकर या उचित कदम उठाते हैं इसने उन्हें काफी डरा दिया है।”

यह सब केवल भारत की लद्दाख सीमा पर ही नहीं हो रहा है। खबर यह है कि डोकलाम के पूर्व में एक चीनी गांव बस गया है। यूएस-आधारित मैक्सार टेक्नोलॉजी द्वारा जारी उपग्रह छवियों में गांव दिखाया गया है, जिसे चीन पंगडा कहता है। यह ‘नया गांव’ डोकलाम त्रिकोणीय जंक्शन से लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित है जहां भारत और चीन 2017 में एक तीव्र गतिरोध में शामिल थे जो दो महीने से भी अधिक समय तक चला था। गतिरोध उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने के चीनी प्रयासों से शुरू हुआ था जिस पर भूटान ने दावा किया था कि वह भारत से संबंधित है और भारत के लिए रणनीतिक महत्व का है। चीन के इस नए पैंतरे से भारत और चीन के बीच डोकलाम पर तनाव और गहरा हो गया है।

चीन हमेशा से अपनी विस्तारवादी सोच के कारण फिलीपींस, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में स्थित देशों को डराता आया है लेकिन जब से उसने भारतीय जवानों के हाथों गलवान में मुंह की खाई है तब से उसके अहम को जो ठेस पहुंची है वह उस ज़ख्म से अभी तक उबर नहीं पाया है। भारत के पलटवार के बाद फिलीपींस, ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देश जिनकी चीन से तकरार है उनका झुकाव भारत की ओर हो गया है। इससे दक्षिण चीन सागर में और हिंद महासागर में चीन के ‘वर्चस्व’ पर गहरा असर पड़ा है।

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अमेरिका के साथ तनाव

चीन हमेशा से ताइवान को अपनी भूमि का हिस्सा मानता आया है लेकिन ताइवान स्वयं को चीन से अलग देश मानता है। ऐसे में ताइवान को अमेरिका ने चीन से सतर्क रहने की जो चेतावनी दी वह चीन के गले नहीं उतरी। चीन आक्रामक हो गया। संयुक्त राज्य अमेरिका के जनरल मार्क मिले के साथ एक फोन कॉल में चीन के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ चेयरमैन जनरल ली ज़ुओ चेंग ने उन्हें साफ़ शब्दों में कहा कि ताइवान जैसे मुद्दों पर बीजिंग के पास “समझौता के लिए कोई जगह नहीं है”।

आपको बता दें कि यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब शी जिनपिंग के खुद के घर (देश) में अशांति और अविश्वास फ़ैल रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था गिर रही है, सरकार के लॉकडाउन लोगों की बर्दाश्त के बाहर हो रहे हैं और यहां तक ​​कि उनकी अपनी पार्टी के सदस्य भी अब उनकी आलोचना कर रहे हैं। ऐसे में चीन जिसने अपने नागरिकों की दृष्टि में भारत को उनका सबसे बड़ा दुश्मन बना दिया वह कोशिश कर रहा है कि भारत-चीन सीमा पर फिर कोई विवाद छिड़े ताकि चीनी नागरिकों का ध्यान चीनी सरकार की नाकामियों से हटकर देश की लड़ाई पर जाये क्योंकि जब लड़ाई सीमा पर होती है तो देश के नागरिक एकजुट हो जाते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात है कि यह समय चीन के लिए सही नहीं चल रहा है। कहीं ऐसा न हो कि चीन को इस बार भी लेने के देने पड़ जाएं और शी जिनपिंग की सरकार बुरी तरह से धराशायी हो जाए।

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