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विश्व में कैसे भुखमरी का निर्माण कर रहा है WTO?

निर्मला सीतारमण ने इस बार खरी-खरी सुना दी है!

Ruchi Mehra द्वारा Ruchi Mehra
17 July 2022
in विश्व
NIRMALA

Source- TFIPOST.in

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ऐसे कई वैश्विक संस्था है, जो स्वयं को विश्व का ठेकेदार मानते है। इनके द्वारा पूरी दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है। परंतु जब बात स्वयं पर आती है, तो विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी वैश्विक संस्थाओं में तो मानवता दूर-दूर तक नजर नहीं आती। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया इस वक्त कई तरह की समस्याओं से जूझ रही है। इनमें से प्रमुख है खाद्यान्न संकट। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट काफी ज्यादा गहराता चला जा रहा है। स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है और इसके चलते सबसे अधिक प्रभावित हो रहे है गरीब देश। परंतु इन सबसे WTO को इन सबसे क्या फर्क पड़ता है? इस तरह की वैश्विक संस्थाएं तो पश्चिमी देशों के हाथों की कठपुतली बन चुकी है, जो उनके इशारों पर ही काम करती है। पश्चिमी देश तो चाहते ही है कि गरीब देशों पर इन्हीं का नियंत्रण रहे।

दरअसल, हाल ही में भारत द्वारा विश्व तक भोजन नहीं पहुंचने के मुद्दे को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम पर प्रश्न खड़े किए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडोनेशिया के बाली में एक सेमिनार के दौरान अपने भाषण में खाद्यान्न निर्यात व्यवस्था को लेकर विश्व व्यापार संगठन से उदार बनने के लिए कहा। बाली में “खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को मजबूत करना” के विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था। इस सेमिनार में ही बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) भारत को उसके सार्वजनिक भंडार से ऐसे देशों को खाद्यान्न निर्यात की इजाजत दे, जो खाद्य संकट से जूझ रहे हैं।

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WTO के वर्तमान नियमों के अनुसार

संगठन के सदस्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खरीदे गए भोजन को निर्यात करने की अनुमति नहीं दी जाती। इसके पीछे का कारण केवल यह है कि उन्हें रियायती दरों पर खरीदा जाता है। WTO के इसी रवैये को लेकर ने निर्मला सीतारमण ने संगठन को घेरा। वित्त मंत्री ने कहा- “डब्ल्यूटीओ इस तरह से खरीदे जाने वाले खाद्यान्न को निर्यात के लिए बाजार में लाने की इजाजत नहीं देता। यह एक ऐसी स्थिति है जो उरुग्वे दौर के दिनों से मौजूद है। हम व्यापार करने के इच्छुक हैं। भारत के द्वारा भूख या फिर खाद्य असुरक्षा को कम में मदद की जा सकती है, परंतु WTO से इसकी इजाजत नहीं है।” निर्मला सीतारमण ने इस ओर प्रकाश डाला कि खाद्य, ईंधन और उर्वरक वैश्विक सार्वजनिक सामान हैं और इन तक विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की पहुंच सुनिश्चित करना बेहद ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादन और वैश्विक खाद्य प्रणाली को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है।

देखा जाए तो इस समय दुनिया खाद्यान्न के भयंकर संकट का सामना कर रही है। पहले से ही कई देशों लाखों की संख्या में लोग भुखमरी की चपेट में है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में भुखमरी और इससे संबंधित कारणों के चलते रोजाना 25 हजार लोगों की मृत्यु होती है, जिसमें बड़ी तादाद में बच्चे शामिल रहते है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बीते दिनों दिए गए अपने बयान में कहा था कि दुनिया खाद्यान्न संकट के चलते तबाही का सामना कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि खाद्यान्न संकट की वजह से दुनिया में वर्ष 2022 में कई अकाल घोषित किए जाएंगे। यही नहीं साल उन्होंने आगाह करते हुए तो यह तक कह दिया था कि आने वाला साल यानी वर्ष 2023 इससे और भी बुरा हो सकता है।

और पढ़ें: आखिरकार WTO को घुटने पर लाने में कामयाब हुआ भारत

भारत बना अन्नदाता

संयुक्त राष्ट्र द्वारा “द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड” शीर्षक के नाम से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में विश्व में भुखमरी की स्थिति में इजाफा हुआ और लगभग 2.3 अरब लोगों को भोजन सामग्री जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यह ध्यान देने वाली बात यह है कि आंकड़े रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले के है। युद्ध के बाद संकट और गहरा गया है। रिपोर्ट बताती है कि 345 मिलियन से अधिक लोगों भुखमरी के करीब पहुंच रहे है। वहीं 45 देशों में 50 मिलियन लोग अकाल के जोखिम का सामना कर रहे हैं।

ऐसे में जब दुनिया के कई देशों पर खाद्यान्न का संकट इतना गहराया हुआ है, तब भारत दुनिया की मदद करना चाहता है। भुखमरी से जूझ रहे लोगों का पेट भरना चाहता है। परंतु WTO जैसे वैश्विक संगठनों के कुछ बेतुके नियमों के चलते वो वैसा नहीं कर पा रहा। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि पश्चिमी देशों के इशारे पर चलने की जगह मानवता दिखाते हुए WTO अपने नियमों में बदलाव करें, जिससे दुनियाभर पर आए इस संकट को कम करने में थोड़ी आसानी हो।

और पढ़ें: WTO में पीयूष गोयल ने जो किया उसकी वज़ह से बच्चों की तरह रो रहा है अमेरिका

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What Really Happened To the Sabarimala Temple Gold Under Left Government?

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