तमिल सुपरस्टार सूर्या को जय हिंद बोलने में क्या समस्या है?

खाली बॉलीवुड में ही सपोले नहीं हैं!

Surya

Source- TFI

वो कहते है न पांचों उंगलियां और समय एक समान नहीं होते। अब शाहरुख खान ने फिल्मों में या रियल में कर्मकांड चाहे जितने किये हो पर रोलेक्स भैया जितने महान तो बिल्कुल नहीं हुए कि जय हिन्द बोलने में भी समस्या हो जाए। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे साउथ सुपरस्टार सूर्या सिवाकुमार के ‘रॉकेट्री’ से जुड़े एक दृश्य ने तमिल फिल्म उद्योग और उनके भारत विरोधी स्वभाव को एक बार रेखांकित किया है।

हाल ही में प्रदर्शित आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री – द नम्बी इफेक्ट’ बॉक्स ऑफिस पर अपना प्रभाव जमा रही है। वामपंथी क्रिटिक्स एवं कई जगहों पर खाली थियेटर होने के बाद भी दर्शकों के प्रेम के कारण इस फिल्म ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी प्रारंभ की और यह फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की भांति सभी को अपने प्रदर्शन से चकित कर रही है। इसी बीच इस फिल्म के एक दृश्य को लेकर सूर्या सिवाकुमार काफी विवादों के घेरे में आ चुके हैं।

असल में ‘रॉकेट्री’ एक बहुभाषीय फिल्म है जिसे कई भाषाओं में फिल्माया गया है – हिन्दी, तमिल, अंग्रेज़ी इत्यादि। जहां हिन्दी एवं अंग्रेज़ी संस्करण के लिए शाहरुख खान सूत्रधार हैं तो वहीं तमिल संस्करण के लिए यही काम सूर्या सिवाकुमार ने किया है। तो समस्या किस बात की है? असल में एक ट्विटर यूजर Cogito का ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है, “Rocketry के हिन्दी संस्करण के अंत में दोनों शाहरुख खान और आर माधवन ने जय हिन्द कहा परंतु जब तमिल संस्करण में माधवन ने यही बात कही तो सूर्या बस मुस्कुरा दिए, ‘जय हिन्द’ नहीं बोले। कमाल है, जो व्यक्ति निर्भय होकर ‘जय भीम’ बोल सकता है उसे ‘जय हिंद’ बोलने में समस्या हो रही है।”

https://twitter.com/cogitoiam/status/1544176745540042752

अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स लगभग दो धड़े में बंट गए। कई लोगों ने इस बात का विरोध किया तो कुछ ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हुए सूर्या का समर्थन किया। परंतु हमारे भी कुछ प्रश्न हैं – जिस बंधु को ‘जय भीम’ जैसी अधकचरी फिल्म से कोई समस्या नहीं, जहां तथ्य से लेकर कॉमन सेंस तक को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था, उन्हें जय हिन्द बोलने में क्या समस्या आ गई? अगर समस्या इस बात से थी कि जय हिन्द बोलने से वो छोटे हो जाएंगे या वामपंथी उनके विरुद्ध हाथ धोकर पड़ जाएंगे तो कृपया उनकी जानकारी के लिए बता दें कि जय हिन्द का नारा चंपक रमण पिल्लई ने दिया था जो तमिलभाषी परिवार से संबंध रखते थे और उन्होंने ही ‘जय हिन्द’ का सर्वप्रथम आह्वान किया था।

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परंतु विवादों से तमिल फिल्म उद्योग का यह पहला नाता नहीं है। सूर्या इससे पूर्व ‘जय भीम’ के नाम पर तथ्य मरोड़ने, हिन्दी भाषी लोगों के प्रति घृणा फैलाने और पेरियारवादी संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोपी रहे हैं जिसके लिए तमिल फिल्म उद्योग काफी कुख्यात है। अब हर फिल्म ‘कैथी’ या ‘रुद्र तांडवम’ तो है नहीं, जहां एजेंडा से अधिक कथावाचन एवं मनोरंजन पर ध्यान दिया जाए परंतु जिस प्रकार से सूर्या अपने हरकतों के कारण पुनः विवादों के घेरे में आए हैं, उससे स्पष्ट पता चलता है कि सामर्थ्य होने के बाद भी तमिल फिल्म उद्योग के कलाकार क्यों अंत में रायता फैलाते हुए दिखते है और सूर्या सिवाकुमार भी इससे कोई भिन्न नहीं हैं!

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