भारत की “जयशंकर नीति” का प्रभाव आज पूरी दुनिया पर पड़ता हुआ देखने को मिला रहा है। जब से सुब्रमण्यम जयशंकर के हाथों में मंत्रालय की कमान आई है, तब से भारत की विदेश नीति में जमीन आसमान का अंतर आया है। आज दुनिया भारत को अलग नजर से देखने लगी है। जहां पहले भारत वैश्विक शक्तियों के उनके दबाव में आ जाता था, परंतु आज देखा जाए तो ऐसा नहीं होता। अब भारत हर देश के साथ अलग तरह से निपटता है। वे ना तो किसी के आगे झुकता है और ना ही किसी के इशारों पर चलता है। अब हर मुद्दे पर भारत का अलग और स्पष्ट रूख होता है, जिसे दुनिया को मानने के लिए मजबूर होना ही पड़ता है। भारत आज हर जगह मजबूती से अपना पक्ष रखने में सक्षम है।
यह विदेश मंत्री एस जयशंकर नीति का ही परिणाम है कि आज अमेरिका भी भारत के आगे बेबस सा नजर आता है। अमेरिका जो स्वयं को वैश्विक शक्ति मानता है, वो चाहता है कि पूरी दुनिया उसके इशारों पर चले। परंतु भारत ने ऐसा करने से स्पष्ट तौर पर इनकार कर चुका है। यही कारण है कि जो अमेरिका भारत को हमेशा लोकतंत्र को लेकर आक्रामक होकर ज्ञान देता रहता है, उसके स्वभाव में बदलाव आ गया है। ज्ञान तो अमेरिका ने भारत को फिर दिया है, परंतु इस बार विनम्रता के साथ।
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USAID प्रमुख सामंथा पावर ने लोकतन्त्र पर बड़े ही प्रेम से दिया ज्ञान
दरअसल, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलमेंट (USAID) की प्रमुख सामंथा पावर तीन दिनों के भारत दौरे पर है। आईआईटी दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत की काफी तारीफ की। उनकी यात्रा का लक्ष्य भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना है। परंतु इस बार भी उन्होंने वहीं किया, जो अमेरिका की हमेशा से ही करने की आदत रही है और वो है लोकतंत्र पर ज्ञान देना।
दिल्ली IIT में अपने भाषण देते हुए सामंथा पावर ने विभाजनकारी ताकतों की बढ़ती ताकत पर अपने विचार रखे और भारत को भी संकेत देने की कोशिश की। उन्होंने कहा- “विश्व में लोकतंत्र के विरुद्ध ताकतें मजबूत हैं। भारत और अमेरिका में ऐसी ताकतें मौजूद हैं, जो विभाजन के बीज बोने के प्रयास करती है। यह तत्व जातियों और धर्मों को लेकर एक दूसरे को लड़ाने की कोशिश करती है। कई बार यह हिंसा पर भी उतारू हो जाते है।“
इस दौरान सामंथा ने 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी के कैपिटल हिल पर हुए हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- “पिछले साल हमने 6 जनवरी को ऐसा होता हुआ देखा था। भारत और अमेरिका इस तरह के अन्याय के विरुद्ध जिस प्रकार से खड़े हुए और जिस प्रकार दृढ़ता से अपने बहुलवाद और लोकतंत्र की रक्षा करते हैं, यह केवल हमारे लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए रास्ता तय करता है।“ यहां सामंथा शायद किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा की तरफ इशारा कर रही थी, इसलिए उन्होंने भारत के संदर्भ में कैपिटल हिल की घटना का जिक्र किया। यानी यहां सामंथा बातों-बातों में भारत को लोकतंत्र पर ज्ञान दे गई, परंतु इस बार बड़े ही प्रेम से।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर की नीतियों का परिणाम
जो अमेरिका पहले खुले तौर पर भारत को तमाम तरह की नसीहत और सलाह देता रहता था, परंतु उसका स्वभाव अब बदलता हुआ नजर आ रहा है। कुछ समय पहले ही जयशंकर ने अमेरिका को आंख में आंख डालकर बेहद ही करारा जवाब दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की मानवाधिकार की टिप्पणी पर एस जयशंकर ने कहा था कि “भारत के बारे में राय रखने के लिए हर कोई स्वतंत्र है। परंतु यह भी ध्यान देना चाहिए कि भारत भी अपनी बात रखने का पूरा-पूरा अधिकार रखता है। अमेरिका में मानवाधिकार के मामलों पर हमारी भी नजर है और खास तौर पर हम भारतीय समुदायों के हितों को लेकर चिंतित है।”
इससे अमेरिका को समझ आ गया कि यह अब वो भारत नहीं है, जो चुपचाप उसकी कोई भी बात सुनता रहेगा। यह नया भारत है, जो उसको उसी के अंदाज में जवाब देना जानता है। अमेरिका की दादागिरी अब और नहीं चलने वाली। यही कारण है कि अब अमेरिका, भारत के प्रति अपने रूख को बदलने के लिए मजबूर होता हुआ दिखाई दे रहा है।
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