जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो, आगे आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो। इन पंक्तियों का आशय यही है कि अगर कुछ करने की ललक है तो उसके लिए हाथ-पैर मारने चाहिए, अगर कुछ करने से पहले ही हार मान ली तो क्या ही फायदा। पीएम मोदी ने 2014 में मंदिरों की यथास्थिति देख अगर तभी हार मान ली होती तो शायद आज हमारे देश में उन मंदिरों की महत्ता बढ़ ही नहीं पाती जो हमारे देश का मूल थे। इन मंदिरों से ही भारत है और यही उसकी पहचान हैं। ऐसे में उन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराना कोई मामूली खेल नहीं था पर ध्येयनिष्ठा भी तो कोई चीज़ होती है और यही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खासियत रही है। एक बार उन्होंने एक निर्णय ले लिया तो उसे पूर्ण करके ही दम लेते हैं। यह जताता है कि सांस्कृतिक जड़ों के विकास के साथ देश की सभ्यता को मिल रहा है मोदी का मंत्र।
दरअसल, बीते 8 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिरों को केंद्र मान उनके कायाकल्प को लेकर जमीनी स्तर पर काम किया और उन्हें ऐसा बना दिया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। यही सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप है जिसके कारण आज भारतीय संस्कृति और उसकी जीवटता को जीवंत रखने के लिए पीएम मोदी धड़ल्ले से काम करने में लगे हुए हैं। अबतक के अपने कार्यकाल में पीएम मोदी ने कई बड़े मंदिरों का कायाकल्प किया जिनको वास्तव में उसकी आवश्यकता थी। इस कायाकल्प में सबसे पहला है कि रास्तों को सुगम बनाया जा रहा है। आवागमन प्रभावित न हो उसके लिए रेल और एयरपोर्ट की सुविधाएँ सही करने और जहाँ इनमें से कोई नहीं है वहां एयरपोर्ट स्थापित किए गए। यह सब न केवल उस क्षेत्र के आर्थिक विकास पर बल देने के लिए किया गया बल्कि राज्य की GDP को भी मजबूत करते हुए उसको सुदृढ़ करने के लिए यह कदम उठाये गए हैं।
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हाल ही में पीएम मोदी का झारखंड दौरा
पीएम मोदी के इसी दौरे में जिस तीर्थस्थल ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं वो थी “श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर।” पीएम मोदी ने 12 जुलाई को देवघर में 16,800 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। सबसे बड़े कदम के रूप में इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवघर हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। इससे पूर्व जिस सोमनाथ मंदिर पर जितनी बार चोट की गई वो उतनी ही बार फिरसे उठा है। उसको भी पीएम मोदी ने अपने प्राइम प्रोजेक्ट में रखते हुए अपने अबतक के कार्यकाल में सुनहरा बनाने का काम किया है। लेकिन जब पीएम मोदी ने इसके कायाकल्प का बीड़ा स्वयं उसके सोमनाथ ट्रस्ट का अध्यक्ष बनकर उठाया तो उसकी तस्वीर ही बदल गई। आज सोमनाथ मंदिर की भव्यता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। उसे पुनः वही स्वर्ण मंदिर का मूर्त रूप दिया जा रहा है जिसे क्रूर आक्रांता मोहम्मद ग़ज़नवी ने लूटा था।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का स्वप्न हर भारतीय के मनोमस्तिष्क में रहा है। इसके लिए प्रत्येक भारतीय ने वर्षों तक इंतज़ार किया, और आज उसका निर्माण कार्य आंधी-तूफ़ान-बारिश जैसे व्यवधानों के बाद भी जारी है। मंदिर निर्माण के साथ ही श्रद्धालुओं, तीर्थयात्रियों के लिए आवागमन पर योगी सरकार ने काफी महत्व दिया है। सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों से अयोध्या को जोड़ने काम तेजी के साथ चल रहा है। अयोध्या से काशी मार्ग को चार लेन का बनाया जा रहा है। अयोध्या से प्रयागराज, अयोध्या से गोरक्षनाथ पीठ (गोरखपुर) का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अयोध्या से रायबरेली, चित्रकूट का कार्य चल रहा है। अयोध्या के चारों तरफ 68 किलोमीटर की रिंगरोड व चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग की सैद्धान्तिक सहमति मिल चुकी है। आगड़न आख्या मिलते ही धन आवंटित किया जाएगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प देर सवेर ही सही पर करीब साढ़े तीन सौ सालों बाद इसी मोदी कार्यकाल में किया गया है। बीते दिसंबर 2021 में, काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प 21 माह में पूर्ण हुआ था जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लगभग 55 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले विश्वनाथ धाम के निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही जटिल थी। इसके लिए कुल 315 भवनों का अधिग्रहण किया गया और लगभग 700 परिवारों को विस्थापित और पुनर्वास किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर आने-वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा इसलिए यहाँ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाया गया। इसके बनने के बाद गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।
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धार्मिक स्थलो का हो रहा है कायाकल्प
केदारनाथ धाम का कायाकल्प 2013 के बाद बेहद ज़रूरी था। चूंकि 2013 की तबाही में केदारनाथ की रौनक में कमी आई, वाहन सब अस्थिर हो गया इसलिए पीएम मोदी ने चरणबद्ध काम को बांटा और एकमुश्त होकर पुनर्विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारा। और तो और केदारनाथ धाम के दर्शन सुलभ करने के लिए रोपवे के अलावा ट्रेन यात्रा पर ही कार्य जारी है। पीएम मोदी ने दृढनिश्चयी होकर बीते वर्ष नवंबर में प्रथम चरण में 225 करोड़ की लागत से आदि शंकराचार्य की प्रतिमा समेत सेतु निर्माण जैेसे कई काम पूरे किए थे। इसके बाद द्वितीय चरण में वहां 184 करोड़ की लागत के कार्य शुरू किए गए जिसमें केदारनाथ तक रोपवे भी बन रहा है, जिससे गौरीकुंड से केदारनाथ तक का सफर 40 मिनट में तय होगा। ऐसे तमाम कार्य हैं जो अब भी जारी हैं ताकि आगे व्यवधानमुक्त यात्रा संभव हो सके और श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए रास्ते में कम से कम परेशानी पाएं।
उज्जैन महाकालेश्वर जैेसे के कायाकल्प में अब तक कई बड़े परियोजनाओं का उद्घाटन तो शेष कार्यों का शिलान्यास हो चुका है। इस क्रम में चरणबद्ध ढंग से 300 करोड़ फिर 500 करोड़ की लागत से कई बड़े कार्य संचालित हुए और हो रहे हैं। इस पूरे कायाकल्प और भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने के प्रयास में सबसे बड़ा योगदान मोदी सरकार का रहा। उन्होंने जता दिया कि कैसे भारत की संस्कृति को धूमिल नहीं चमकाने के लिए संकल्पबद्ध है और यह संकल्प तभी पूर्ण होगा जब सभी देवस्थानों, मठ-मन्दिरों उसका अधिकृत अधिकार मिल जाएगा।
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