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न सुरक्षा और न ही नियम, एयरलाइन कंपनियों को मतलब है तो केवल अपने लाभ से

यात्रियों की जान हथेली पर लेकर उड़ने वाली एयरलाइन कंपनियां सतर्कता क्यों नहीं बरततीं?

Ruchi Mehra द्वारा Ruchi Mehra
23 July 2022
in चर्चित
indian airline
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अधिकतर भारतीयों का सपना होता है कि वो अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हवाई जहाज में सफर करें। परंतु कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें प्लेन में सफर करने में डर लगता है। वैसे तो दुनियाभर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग हवाई सफर करते होंगे लेकिन इस बीच कुछ दुर्घटनाएं ऐसी हो जाती हैं जो लोगों के मन में भय पैदा कर देती हैं। इस बीच एयरलाइंस की लापरवाही के भी कुछ मामले सामने आ जाते हैं जो प्लेन में सफर करने की सुरक्षा पर प्रश्न खड़े कर देते हैं।

एयरलाइंस की लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं

पिछले कुछ समय में देखा जाए तो तमाम एयरलाइंस की लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं। 20 जुलाई को ही Go First एयरलाइन के विमान की जयपुर में इमरजेंसी लैंडिंग करायी गयी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली से उड़ान भरने के बाद विमान की विंडशील्ड में क्रैक आ गया जिसके कारण इसे लैंड कराना पड़ा। इससे एक दिन पूर्व भी गो फर्स्ट की फ्लाइट्स में तकनीकी गड़बड़ी सामने आयी थी। 17 जुलाई को कालीकट से दुबई जा रहे एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान की मस्कट में लैंडिंग हुई थी। इसी दिन शारजाह से हैदराबाद आ रही इंडिगो फ्लाइट की भी कराची में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। इसके अलावा 14 जुलाई को जयपुर में इंडिगो की दिल्ली-वडोदरा फ्लाइट की आपात लैंडिंग हुई थी।

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हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट से 1,300 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगने वाली मारन की याचिका खारिज की

दूर नहीं हो रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का संकट, कंपनी ने निकाने 25 स्टाफ मेंबर्स

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स्पाइसजेट के विमानों में तो बीते दिनों में गड़बड़ी की कई घटनाएं सामने आ गयी। 19 जून को स्पाइसजेट के बोईंग यात्री विमान 737-800 एक पक्षी से टकरा गया था जिसके चलते प्लेन के विंग में आग लग गयी। इस कारण टेक ऑफ के कुछ ही देर बाद विमान को ही वापस पटना पर उतरना पड़ा। विमान में कुल 185 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे। हालांकि वो सभी सुरक्षित रहे। परंतु स्पाइसजेट में गड़बड़ी का यह अंतिम मामला नहीं था। बल्कि महज 18 दिनों के अंदर स्पाइसजेट के विमानों में 8 बार तकनीकी खराबी आ गयी। 19 जून को ही स्पाइसजेट के एक दूसरे विमान को उड़ान के कुछ ही देर बाद केबिन में उचित प्रेशर न बन पाने के कारण वापस दिल्ली एयरपोर्ट  में लैंड कराना पड़ा। इसके बाद 24 जून, 25 जून और 2 जुलाई को स्पाइसजेट के एक-एक विमान में तकनीकी समस्या आयीं जबकि 5 जुलाई को तीन विमानों में ऐसी दिक्कत आयी। इसके चलते नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इन घटनाओं को लेकर 6 जुलाई को स्पाइसजेट को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

ऐसे में विमानों में आ रही इन गड़बड़ियों को लेकर लोगों में डर पैदा होना स्वाभाविक है। विमान में जब इस तरह की गड़बड़ियों से प्लेन में सवार यात्रियों की जान खतरे में पड़ जाती है। इन घटनाओं को लेकर कई प्रश्न खड़े होते हैं कि आखिर जिम्मेदारी किसकी है? जाहिर तौर पर उन एयरलाइंस कंपनियों की जो केवल मुनाफा कमाना के उद्देश्य से नियमों और यात्रियों की सुरक्षा से समझौता कर लेती हैं। तो ऐसे में आइए यह जान लेते हैं कि इन एयरलाइंस कंपनियों से आखिर चूक कहां हो रही है, जिससे एक के बाद एक इस तरह की गड़बड़ियों की घटनाएं सामने आती ही जा रही हैं।

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कुशल पायलटों की कमी

भारत दुनिया का तीसरा बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार है। परंतु देश इस वक्त पायलटों की भारी कमी का सामना कर रहा है। फरवरी में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि भारत को हर साल औसतन 1000 कॉमर्शियल पायलट की आवश्यकता है और फिलहाल हम केवल 200 से 300 पायलट की ही पूर्ति कर पा रहे हैं। साल 2020 में हरदरीप सिंह पुरी ने राज्यसभा को बताया था कि अगले पांच सालों में हमें 9488 पायलटों की आवश्यकता पड़ने वाली है। DGCA की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत में 11 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों में कुल 9,002 पायलट कार्यरत हैं। पुरी ने अपने बयान में बताया था कि DGCA द्वारा हर साल 700-800 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) द्वारा जारी किए जाते हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत ही उन लोगों को दिए जाते हैं जिन्होंने किसी विदेशी संगठन (Foreign Organization) में प्रशिक्षण लिया हो। अनुचित रूप से प्रशिक्षित पायलटों को शामिल करने के कारण भी विमान में घटनाएं बढ़ने का एक कारण है। पायलट की कमी को दूर करने के लिए DGCA ने नवंबर 2021 से एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स और फ्लाइंग क्रू कैंडिडेट के लिए ऑनलाइन ऑन डिमांड एक्जामिनेशन (ओएलओडीई)) की शुरुआत की थी।

भारी छंटनी

कोविड ने एयरलाइन उद्योग को काफी हद तक प्रभावित किया। ऊपर से ईंधन के बढ़ते दामों ने इनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं। ऐसे में एयरलाइन कंपनियां बड़ी संख्या में छंटनी करने को मजूबर हो गयी। तमाम एयरलाइंस ने अपने ग्राउंड स्टाफ समेत अन्य कर्मियों में भारी छंटनी की। बताया जाता है कि अप्रैल 2020 और दिसंबर 2021 के बीच तकरीबन 1.9 लाख में कम से कम 19,200 कर्मियों की छंटनी की गयी जिसमें ग्राउंड स्टाफ, कार्गो सेक्टर, एयरपोर्ट, एयरलाइंस सभी शामिल रहे। वर्तमान की स्थिति की बात की जाए तो अभी भी कम से कम 15800 ग्राउंड स्टाफ और 1350 कैबिन क्रू की कमी है।

वेतन कटौती

इसके अलावा एक अन्य और बहुत बड़ा कारण वेतन में कटौती भी है। कोरोना महामारी के दौरान कई भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। बताया जाता है कि अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को अभी तक कम वेतन दे रही हैं। कंपनियों के द्वारा उन्हें पूरा वेतन देना शुरू नहीं किया। इसके विरोध में ही कुछ समय पहले इंडिगो और गो फर्स्ट के विमान रखरखाव करने वाले टैक्नीशियन का बड़ा वर्ग एक साथ ‘बीमारी’ के कारण अवकाश पर चला गया था। बाद में पता चला कि यह सभी कर्मचारी एक साथ एयर इंडिया में भर्ती के लिए इंटरव्यू देने गए थे।

कॉकपिट में समस्या

कॉकपिट हवाई जहाज का सबसे अहम हिस्सा होता है। DGCA ने कप्तान और सह-पायलट के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिए दोनों के बीच कम उम्र के अंतर के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके एयरलाइंस के लिए यह अभी भी चुनौती बना हुआ है। कप्तान और सह-पायलट में उम्र का अंतर कई हादसों की प्रमुख वजह भी माना जाता है। परंतु इस अंतर को कम करने में एयरलाइंस कंपनियां कामयाब नहीं हो पा रही।

और पढ़ें- क्यों एयरलाइन व्यवसाय वास्तव में कभी लाभ नहीं कमाते हैं

ड्यूटी के दौरान नशा

इसके अलावा यह भी बात सामने आयी है कि एयरलाइंस के कर्मचारी ड्यूटी के दौरान ही नशा कर रहे हैं। डीजीसीए के अनुसार जनवरी 2021 से मार्च 2022 के बीच 42 हवाई अड्डों पर कुल 84 कर्मचारी ड्यूटी के दौरान नशे में पाए गए। इन कर्मचारियों में से 64 प्रतिशत ब्रेथ एनालाइजर (बीए) अल्कोहल टेस्ट में फेल हो गए।

हालांकि विमानों में आ रही इन गड़बड़ियों को लेकर DGCA भी सख्त रुख अपनाए हुए है। हाल ही में DGCA ने कई विमानों की स्पॉट चेकिंग की जिसमें उन्हें कई तरह की खामियां देखने को मिली, जिसमें न्यूनतम उपकरणों की सूची में कमी, कम कर्मचारी, फ्लाइट में कई डिफेक्ट आदि शामिल थे। इसके बाद DGCA द्वारा एयरलाइंस कंपनियों को यह नसीहत दी गयी कि बेस और ट्रांजिट स्टेशनों पर सभी विमानों को तभी उड़ने की इजाजत दी जाए जब उसे संस्था द्वारा ऑथराइजेशन का लाइसेंस प्राप्त हो। DGCA ने इसका पालन करने के लिए 28 जुलाई तक का समय दिया है। इसके अलावा बीते दिनों नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एयरक्राफ्ट की सुरक्षा को लेकर एक बैठक भी की थी।

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यह समझ में आता है कि एयरलाइन कंपनियों का उद्देश्य मुनाफा कमाना है। इसमें कुछ गलत नहीं। हर व्यापार में लाभ कमाना तो जरूरी होता ही है। परंतु यात्रियों की जान को खतरे में डालकर अगर यह कंपनियां अपना व्यापार बढ़ाएगा, मुनाफा कमाएगा, तो यह गलत होगा। ऐसे में इन एयरलाइंस कंपनियों को अपने फायदे के लिए नियमों और यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

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