TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

Ola ने सबकुछ अच्छा किया फिर भी ‘दिवालिया’ होने की कगार पर कैसे आ गई?

ओला के बनने से लेकर बुरी तरह से घाटे में जाने की कहानी।

TFI Desk द्वारा TFI Desk
5 July 2022
in वाणिज्य
Ola did everything right except one respect the fundamentals now it’s going bankrupt

Source: TFI

Share on FacebookShare on X

व्यवसाय लोगों की रुचि को अपने पक्ष में करने की कला है। इस प्रक्रिया में थोड़ा धोखा शामिल है क्योंकि आपको विभिन्न माध्यमों से ग्राहकों को लुभाना होता है। लेकिन धोखे भी ऐसा देना चाहिए जिससे कि उन्हें एहसास ही ना हो कि उन्हें धोखा दिया गया है। उन्हें यह प्रतीत होना चाहिए कि उनके लिए सबकुछ बढ़िया था। यह किसी भी व्यवसाय की मौलिक जमीन है। ओला ने उसी का पालन करने की कोशिश की लेकिन ग्राहकों के असंतोष से पता चलता है कि उसने वास्तव में अपने अनकहे दायित्वों का सम्मान नहीं किया।

व्यापार मुख्यत: तीन आधारभूत तत्वों पर निर्भर करता है। नकदी प्रवाह, आय विवरण और बैलेंस शीट। ओला इन तीनों को अच्छे तरीके से संभाल नहीं पाई। नकदी प्रवाह, जोकि कंपनी के अंदर और बाहर बहने वाला धन है, असंगत था। इसी तरह से आय विवरण को देखने से प्रतीत होता है कि रणनीति भी अच्छी नहीं थी।

संबंधितपोस्ट

खत्म होगी ओला-उबर की मनमानी? सरकार ला रही नया ऐप…जल्द शुरू होगी सेवा

एक ओला ड्राईवर ने एक आदमी को उसके बेटे के सामने पीटा, ओला को फर्क नहीं पड़ता

रैपिडो ने कैसे ध्वस्त की ओला-उबर की बादशाहत?

और लोड करें

क्रेडिट के लिए कंपनी ने खाद्य और वित्तीय सेवाओं में विस्तार करके विविधता लाने की कोशिश की लेकिन कैब्स आय का एक प्रमुख स्रोत बना रहा। जिससे विविधीकरण के प्रयासों में प्रभावी रूप से बाधा उत्पन्न हुई। इसके साथ ही यह भी सच बात है कि कंपनी की बैलेंस शीट भी ठीक-ठाक नहीं दिखती। बिना किसी लाभ की उम्मीद के कंपनी को हजारों करोड़ का घाटा हुआ है। ऐसे में यह कह सकते हैं कि आज कंपनी की जो माली हालत है उसके लिए कंपनी स्वयं ही जिम्मेदार है। आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि ओला के साथ क्या ग़लत हुआ?

शुरुआत

ओला को भारत में राइड-शेयरिंग का अग्रणी कहना गलत नहीं होगा। बीसवीं सदी के पहले दशक के अंत तक भारतीय, ऑटो और कैब चालकों के अनावश्यक नखरे से तंग आ चुके थे। ऑटो और कैब चालक अनावश्यक अधिक किराया वसूलते थे और तब भी ठीक से गाड़ी नहीं चलाते थे। ग्राहक अक्सर उन्हें उनके अंतिम गंतव्य से कुछ किलोमीटर दूर छोड़े जाने की शिकायत करते थे। इसके अतिरिक्त, ड्राइवरों की पहचान की अस्पष्टता लोगों के लिए सुरक्षा चिंता का विषय थी।

और पढ़ें: लिथियम के बाजार में चीन के ‘एकाधिकारी’ को ख़त्म करने के लिए तैयार हैं भारत और ऑस्ट्रेलिया

ऊपर सूचीबद्ध समस्याओं में से एक का सामना आईआईटी बॉम्बे के स्नातक भाविश अग्रवाल ने किया था। उनके द्वारा बुक किए गए एक ड्राइवर ने भाविश द्वारा अपनी यात्रा के बीच में उच्च किराए की मांग को स्वीकार नहीं करने के बाद सवारी छोड़ने का फैसला किया। तब तब भाविश ओलाट्रिप्स डॉट कॉम नामक अपनी साइट के माध्यम से छुट्टियां और अन्य प्रकार की यात्राओं की प्लानिंग और उनकी जानकारियां प्रदान करता थे। इस घटना के बाद उन्होंने अपने बिजनेस मॉडल को कैब बुकिंग में बदल दिया।

शुरुआती निवेश

भाविश का यह विचार शानदार था। लेकिन उस वक्त देश में निवेश का माहौल इतना अच्छा नहीं था। यूपीए के दौर में इतने घोटाले हुए कि अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास डगमगा गया। एक नए बिजनेस मॉडल (ओला) के लिए निवेश प्राप्त करना लगभग असंभव था। लेकिन, स्थानीय उद्यमियों ने अपने साथियों के दर्द को समझा।

कुछ महीने बाद स्नैपडील के संस्थापक कुणाल बहल, अनुपम मित्तल और रेहान यार खान कंपनी में मुख्य निवेशक बन गए। उन्होंने इस विचार में 330K डॉलर का निवेश किया। ओला ने अपने टैली में ड्राइवरों को जोड़ना शुरू कर दिया। ओला ने यह रकम ग्राहकों को डिस्काउंट देने पर खर्च की।

निवेशकों की झड़ी

पहला निवेशक मिलने के एक साल के भीतर ओला ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, एक अमेरिकी निवेश दिग्गज को सीरीज ए के निवेश के दौर में ओला कंपनी में 5 मिलियन डॉलर निवेश करने के लिए प्रेरित किया। ओला को और बढ़ावा मिला और अब इसका चालक आधार बढ़ता चला गया। ड्राइवर अब कहीं भी 70 हजार से 1 लाख रुपये प्रति माह कमा रहे थे। ऑनलाइन कैब का बाजार भारत में बहुत बड़ा था। इसको देखते हुए अगस्त 2013 में उबर भी भारतीय बाजार में उतर आया। उबर ने आते ही ओला को कड़ी चुनौती दी। उबर के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। ऐसे में उबर ने बाजार को अपनी तरफ खींचने के लिए जमकर डिस्काउंट देना शुरू किया। लंबे समय तक उबर घाटे में रही लेकिन उसने ओला को फ्री हैंड नहीं दिया।

फंडिंग ने घाटे की भरपाई की

प्रतियोगिता के परिणामस्वरूप, ओला आक्रामक हो गई। भारत में उबर के लॉन्च के 3 महीने बाद, ओला सीरीज बी फंडिंग में $20 मिलियन तक पहुंच गई। 8 महीने बाद, सीरीज सी दौर में इसने $41 मिलियन को आकर्षित किया।

इन सभी निवेशों ने ओला को अपने लिए एक बाजार आधार स्थापित करने की- और नुकसान की भरपाई करने में मदद की। लेकिन, उबर हार मानने को तैयार नहीं थी। मूल्य निर्धारण युद्ध शुरू हो गया था। दोनों कंपनियां एक दूसरे के साथ गले और गर्दन की प्रतिस्पर्धा में थीं। उपभोक्ता और ड्राइवर दोनों युद्ध के बेहतर अंत में थे, जबकि ओला और उबर वित्तीय झटके झेल रहे थे। उपभोक्ताओं के लिए मुनाफा इतना अधिक हो गया कि अब लोग कई कार खरीदने लगे और एक निश्चित वेतन पर ड्राइवर किराए पर लेने लगे। वाहनों के लिए उन वेतन और ईएमआई का भुगतान करने के बाद भी मालिकों को बहुत लाभ होता था।

और पढ़ें: ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर मौजूद फर्जी समीक्षाओं से परेशान हैं? वे जल्दी ही खत्म हो जाएंगी

दूसरी ओर, ओला को भारतीय बाजार में खुद को मजबूत करने के लिए और अधिक पूंजी की आवश्यकता थी। अगले दौर की फंडिंग में ओला को 210 मिलियन डॉलर मिले। निवेश के मामले में 2017 कंपनी का सबसे अच्छा वर्ष था क्योंकि इसे निजी इक्विटी और द्वितीयक बाजारों से अतिरिक्त निवेश का समर्थन प्राप्त था। अक्टूबर 2017 में Tencent होल्डिंग्स और सॉफ्टबैंक समूह ने $1.1 बिलियन के निवेश के साथ ओला पर भरोसा किया।

ओला निवेश पर रिटर्न पैदा करने में विफल

2017 के अंत तक ओला को विश्वास होने लगा था कि उसने एक अपरिवर्तनीय पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर लिया है। यह विश्वास था कि ड्राइवर अन्य सेवाओं के लिए नहीं आएंगे। इसी तरह, ओला शेयर जैसी अपनी पहल के माध्यम से, ऐसा लगता है कि ग्राहक खींचने की रणनीति पर शून्य हो गया है।

अब, ओला ने अपने निवेशकों को वापस भुगतान करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया। व्यस्त समय में ओला ऑफलाइन ऑटो से कहीं ज्यादा चार्ज करने लगी। प्रारंभ में, ग्राहकों ने उन्हें एक बार की घटना के रूप में सोचा और उच्च कीमतों को एक तरफ रख दिया। लेकिन, एक बार जब यह एक नियमित मामला बन गया, तो लोगों को एल्गोरिथम में गलती का एहसास होने लगा। अपनी दैनिक यात्रा की दिनचर्या पर पकड़ बनाने के बाद, ओला अपने ग्राहकों से अधिक शुल्क लेती थी। नतीजतन, ग्राहकों की दिलचस्पी कम होने लगी और उनमें से बहुतों ने अपने वाहन खरीदना शुरू कर दिया।

ड्राइवर के मोर्चे पर भी ओला को बड़ा नुकसान होने लगा। इसने ड्राइवरों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन काफी कम कर दिया। इनमें से बहुत से ड्राइवर ईएमआई पर खरीदे गए अपने वाहन खुद चला रहे थे। रखरखाव और आरटीओ पर अतिरिक्त खर्च एक और बड़ा बोझ था। कम किया गया प्रोत्साहन उनके लिए निराशाजनक साबित हुआ।

और पढ़ें: Ola के इलेक्ट्रिक स्कूटर किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं

सवारी-ड्राइवरों ने छोड़ा ओला

ड्राइवर फंस गए थे और इसलिए उन्होंने कंपनी की नीतियों का विरोध करना शुरू कर दिया। लेकिन, ओला क्या कर सकती थी? इसे निवेशकों को भुगतान करना था। कंपनी ने ग्राहकों के लिए अपने अनुचित मूल्य निर्धारण और ड्राइवरों को प्रोत्साहन कम करना जारी रखा। नतीजा यह हुआ कि दोनों ने ओला को छोड़ना शुरू कर दिया। जो वाहन चालक घाटा नहीं उठा रहे थे और घाटे में चल रहे थे, उन्हें अधिक झटका लगा। जल्द ही, ईएमआई का भुगतान नहीं कर पाने के कारण बैंकों ने वाहनों को जब्त करना शुरू कर दिया। एसबीआई ने ओला-उबर के ड्राइवरों का कार ऋण भी निलंबित कर दिया।

और फिर आया महामारी। पिछले 5-6 वर्षों के दौरान भारी बचत करने वाले ड्राइवरों को अपनी बचत का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। परिवहन क्षेत्र को झटका लगा क्योंकि लोगों ने यात्रा करना बंद कर दिया। इन ड्राइवरों का एक बड़ा हिस्सा अपने गाँव वापस चला गया, अपने व्यक्तिगत रूप से खरीदे गए वाहनों को औने-पौने दामों पर बेच दिया। जो लोग किसी के लिए काम कर रहे थे, वे थोड़ी फायदेमंद स्थिति में थे क्योंकि उन्हें दूसरी नौकरी मिल सकती थी। कोविड के दौरान मोदी सरकार द्वारा मनरेगा खर्च पर जोर देने से वेतनभोगी ड्राइवरों के लिए चीजें सामान्य होने तक गांवों में लौटने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम किया।

लंबे समय तक नुकसान सहन नहीं कर सकता

2020 में ओला को 2,208 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। हालांकि यह पिछले साल की तुलना में लगभग 300 करोड़ कम था, लेकिन ओला के राजस्व में गिरावट दर्ज की जा रही थी, यह इस बात का संकेत था कि यह जनता के बीच कितना लोकप्रिय है। वित्तीय वर्ष, 2021 में, ओला का राजस्व घटकर 983.2 करोड़ रुपये रह गया, जो वित्त वर्ष 2020 की तुलना में 63 प्रतिशत की भारी गिरावट है। यह समग्र नुकसान में भी परिलक्षित होता है। वित्तीय वर्ष के अंत तक कंपनी का संचयी घाटा 17,453 करोड़ रुपये था।

और पढ़ें: आपका भी क्या OLA और Uber वाले राइड कैन्सल कर देते हैं? जानिए कारण

ओला के लिए इस झंझट से निकलना मुश्किल लग रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन जैसे इसके उत्पाद इसके लिए और शर्मिंदगी ला रहे हैं। कंपनी को अपने संसाधनों को यूज्ड कार और क्विक कॉमर्स व्यवसाय से EV में स्थानांतरित करना पड़ा ताकि इसे पुनर्जीवित करने की संभावना बनी रहे। इसके बाद भी इसे उठाना मुश्किल है। भारत में ईवी बाजार किसी एक कंपनी के पक्ष में संतृप्त नहीं होने वाला है।

ऐसे में एक बात तो साफ तौर पर कही जा सकती है कि अगर अभी भी ओला बुनियादी सिद्धांतों का पालन करन शुरू कर दे तो संभव है कि कंपनी पुनर्जीवित हो सके।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: Bhavish AggarwalOlaOla cabola lossWhy ola is in lossओलाओला कैब
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

महामारी, युद्ध और विंडफॉल टैक्स: मोदी सरकार ने देश को बचा लिया

अगली पोस्ट

भारत ने कनाडा को हड़काया, ‘सिगरेट पीती काली’ से संबंधित सभी सामग्री हटाने के आदेश

संबंधित पोस्ट

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा
AMERIKA

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

23 October 2025

भारत और अमेरिका के बीच बहु-प्रतीक्षित व्यापार समझौते की खबर पिछले दो दिनों से भारतीय मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जा...

बिहार में पहले चरण में बंपर वोटिंग से पीएम मोदी गदगद, भारी मतदान से विपक्ष हतप्रभ और एनडीए का आत्मविश्वास आसमान पर
अर्थव्यवस्था

आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

18 October 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 के मंच पर खड़े हुए, तो उनके शब्दों में केवल अर्थव्यवस्था का बयान नहीं था, बल्कि उस...

अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?
AMERIKA

अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

10 October 2025

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की भारत यात्रा अपने आप में प्रतीकात्मक से कहीं ज़्यादा ठोस थी। जब उन्होंने मुंबई में व्यापारिक नेताओं से बातचीत...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

00:06:48

How Trump’s Numbers Reveal the Hidden Story of Pakistan’s Lost Jets?

00:05:17

How an Unverified US Shoplifting Incident Is Turned Into A Political Attack Against India & Modi

00:07:47

How Astra Mk-I Based VL-SRSAM will Power India’s Naval Air Defense Network?

00:05:52

What Is The Reason Behind India’s Withdrawal from Tajikistan’s Ayni Air Base?

00:06:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited