स्वयं को आर्थिक सुपर पावर कहने वाले घमंडी चीन को आज तरबूज से काम चलाना पड़ रहा है

चीन का बढ़िया है, तरबूज दो फ्लैट लो!

Jinping and Watermelon

Source- TFI

किसी महापुरुष ने सही ही कहा था “सबै दिन होत न एक समान।” एक समय चीन के वर्चस्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं था। क्या अमेरिका, क्या ब्रिटेन, सब उसके नाम से ही कांपने लगते थे परंतु अब स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि चीन का प्रॉपर्टी मार्केट औंधे मुंह गिर गया है। चीन को अपने आवास बेचने के लिए तरबूज़ों की आवश्यकता पड़ रही है यानी चीन में तरबूज और लहसुन देकर घर खरीदा जा सकता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे एक समय दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने चला चीन अब तरबूज के सहारे अपनी डूबती हुई अर्थव्यवस्था को पार लगाने चला है।

आपको ये खबर सुनने में जितना अचंभा लग रहा है वास्तविकता उससे भी अधिक विचित्र है। चीन के अर्थव्यवस्था की हालत कितनी खराब है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि स्वयं ग्लोबल टाइम्स को इस बात को स्वीकारना पड़ रहा है कि स्थिति ठीक नहीं है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “चीनी तीसरे और चौथे स्तर (टियर) के शहरों में रियल एस्टेट डेवलपर्स ने हाल में कई प्रमोशनल कैंपेन शुरू किए हैं, जिसमें घर खरीदारों को अपने डाउन पेमेंट का हिस्सा भुगतान करने के लिए तरबूज, गेहूं और लहसुन भी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। डेवलपर्स को उम्मीद है कि किसानों को अतिरिक्त कृषि उत्पाद बेचने के बदले इस तरह नए बने-बनाए घरों को खरीदने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा।”

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कमाल की बात है न ये वही चीन है जिसने कुछ वर्ष पहले ‘Boycott China’ पर भारत का खूब उपहास उड़ाया और अब वही अपना अस्तित्व बचाने हेतु एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। कल तक यही चीन अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड के भारत से निकलने के बाद भारत को तरह तरह की बातें सुना रहा था। ग्लोबल टाइम्स के लेख के अनुसार, फोर्ड के निकासी से मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के स्वप्नों को झटका लगा था।” अब ये तो मात्र  प्रारंभ है क्योंकि इस लेख में ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, “अपने घाटे को कम करने हेतु फोर्ड ने अपनी भारतीय फैक्ट्री पर ताला लगा दिया था परंतु चीन में उसके लिए बहुत बढ़िया अवसर हैं क्योंकि चीन पैसेंजर कार एसोसिएशन के अध्यक्ष Cui Dongshu ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन का कार मार्केट बहुत बड़ा है।”

परंतु डिमांड तो छोड़िए चीन अपनी ही अर्थव्यवस्था को संभाल पाने में असफल रहा है जो अभी रियल एस्टेट में दिख रहा है। हालांकि, रियल स्टेट संकट तो झलक मात्र है, असल बीमारी तो Evergrande है। वो कैसे? असल में  चीन का हाउसिंग बबल अब फटने वाला है। बीजिंग ने हाउसिंग सेक्टर का अपनी क्षमता से कहीं अधिक फायदा उठाया है और अब इसी का नतीजा है कि चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी में से एक एवरग्रांडे ग्रुप का कर्ज संकट इतना बढ़ चुका है कि चीनी हाउसिंग सेक्टर गहरे संकट में है। एवरग्रांडे (Evergrande) कंपनी निवेशकों, ऋणदाताओं और आपूर्तिकर्ताओं के 305 बिलियन डॉलर वापस नहीं कर पा रही है। खबरों की मानें तो 70,000 निवेशकों ने पूरे देश में फैले हुए कंपनी के कई कार्यालयों पर प्रदर्शन किया है।

TFI के एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार, एवरग्रांडे (Evergrande) के इतने प्रोजेक्ट अधूरी अवस्था में पड़े हैं कि उनके सभी फ्लोर एक साथ रखने पर अमेरिकी शहर मैनहैटन का तीन चौथाई हिस्सा ढक जाएगा। चीन का हाउसिंग बबल फटने के लिए तैयार है क्योंकि देश में 65 मिलियन अपार्टमेंट खाली हैं, यही वजह है कि एवरग्रांडे (Evergrande) समूह जैसी दिग्गज कंपनी एक अनिश्चित स्थिति में आ गई है। 10 लाख से अधिक घर खरीदाताओं के जीवन की कमाई ऐसे प्रोजेक्ट में फंस गई है और कंपनी को इन्हें पूरा करने के लिए अब और अतिरिक्त फंड नहीं मिल पा रहा है।

अब ऐसे में चीन की वर्तमान अवस्था देखकर दया भी आती है परंतु जब उसके कर्मकांड स्मरण आते हैं तो ये भी लगता है कि वह इसी योग्य है। जिस तरह उसने दुनिया भर के देशों को अपने कर्ज के मायाजाल में फंसाने का प्रयास किया था और जिस प्रकार से उसने अनेकों देशों को कुचलने का प्रयास किया, वैसे में चीन की वर्तमान अवस्था उसी का प्रसाद है जिसके लिए केवल और केवल चीन ही दोषी है!

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