अगर आपको लगता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया की सारी परेशानियां ख़त्म हो गयी हैं और अब लड़ने के लिए किसी के पास कोई मुद्दा नहीं है तो आप बिल्कुल गलत है। चीन इकलौता ऐसा देश है जो अपने कुकृत्यों के कारण दुनिया के लगभग सभी देशों के निशाने पर है। भारत के साथ चीन के संबंध कैसे हैं यह किसी से छिपा नहीं है और चीन के कारनामों से कोई भी अंजान नहीं है लेकिन अब भारत हर मौके पर चीन की बैंड बजाते आ रहा है। इस बार चीन ने एक बार फिर जहर उगला है और भारत ने उसी जहर को फिर से चीन को ही पिला दिया है! इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारत और अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास के तैयारियो के बीच चीन की सुलग पड़ी है और वह इसे लेकर अपनी ‘बकलोली’ कर रहा है।
दरअसल, भारत और अमेरिका अक्टूबर में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की तैयारी में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत और अमेरिका के सैनिकों के बीच युद्ध अभ्यास ड्रिल का 18वां संस्करण उत्तराखंड के औली में होगा। औली भारत-चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 100 किमी दूर है। 14 से 31 अक्टूबर तक यह युद्धाभ्यास चलने वाला है। इसके माध्यम से भारत और अमेरिका की सेनाएं आपसी समझ, सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ावा देगी।
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चीन को लगी मिर्ची
भारत-अमेरिका के बीच होने वाले इसी युद्धाभ्यास को लेकर ड्रैगन गुस्से में लाल होता जा रहा है। चीन ने सैन्य अभ्यास को लेकर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए इसे नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौते का उल्लंघन बताया है। चीन का कहना है कि समझौते के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास किसी भी तरह का सैन्य अभ्यास नहीं किया जा सकता। चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई ने युद्भाभ्यास को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि चीन सीमा मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष के दखल देने का कड़ा विरोध करता है। हमें उम्मीद है कि भारत एलएसी के पास सैन्य अभ्यास नहीं करने वाले द्विपक्षीय समझौतों का पालन करेगा और द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से सीमा से जुड़े मुद्दों को हल करने की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगा और व्यावहारिक रूप से बॉर्डर क्षेत्र में शांति बनाए रखेगा।
इस दौरान चीन ने भारत के साथ 1993 एवं 1996 में समझौते का हवाला दिया। यहां गौर करने वाली दिलचस्प बात यह है कि जिन समझौतों का चीन के द्वारा हवाला दिया जा रहा है, वह स्वयं ही कई बार इनका उल्लंघन करता आया है। चीनी पीएलए ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC के विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच गतिरोध अपने चरम पर पहुंच गया था।
ड्रैगन के चालाकी वाले रवैये के कारण ही भारत और चीन के बीच आज संबंध काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने एक बयान में कहा था कि चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौतों की अवहेलना की गई, जिसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ा। उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते और इसमें परस्पर सम्मान होना चाहिए। यानी जो चीन स्वयं ही समझौतों का उल्लंघन करता आया है, वही अब हमें समझौते का पालन करने का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
भारत ने दी करारी प्रतिक्रिया
परंतु यहां प्रश्न है कि चीन अभी से इतना बौखला क्यों गया है? शायद यह सबकुछ चीन का डर बोल रहा है। जरा सोचिए भारत-अमेरिका के युद्धाभ्यास को लेकर चीन का यह हाल है तो जब वास्तव में यह संयुक्त सैन्य अभ्यास होगा, तब क्या होगा। वैसे इस मामले को लेकर चीन बिलबिलाया हुआ है जबकि यह पूरी तरह से भारत का अपना आंतरिक मामला है। यही कारण है कि चीन की इस बेफिजूल की आपत्ति पर भारत ने उसे करारा जवाब दिया है। चीन के ऐतराज को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने कहा कि LAC के नजदीक यह सैन्य अभ्यास पूरी तरह से अलग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की आपत्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तीसरे पक्ष को लेकर चीन की तरफ से जो बयान दिया गया, वो मेरी समझ से परे है। भारत और अमेरिका का अभ्यास पूरी तरह से अलग है। मुझे नहीं पता कि इसे क्या रंग दिया गया कि इससे किसी को लक्षित किया जा रहा है या सैन्य अभ्यास किसी मौजूदा समझौते का उल्लंघन कर रहा है।
ज्ञात हो कि चीन सीमा पर तनाव बढ़ाने के लिए तरह तरह की हरकतें करता रहता है। भारत हर बार उसे जोरदार जवाब देता आया है। चीन यह भूल जाता है कि अब वह नए भारत से उलझ रहा है, जो उसकी चाल को नाकाम करने में सक्षम है और इसलिए हर बार उसे मुंह की खाने पर मजबूर होना पड़ता है। भारत जिस तरह से स्वयं को मजबूत कर रहा है, उससे चीन बुरी तरह से बौखालाया हुआ है और यह उसका डर ही है कि भारत और अमेरिका का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू होने से पहले ही वह इसे लेकर रोना रोने लगा है।
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