यूक्रेनी बलों ने स्कूलों और अस्पतालों सहित आबादी वाले रिहायशी इलाकों में अपने मिलिट्री ठिकाने स्थापित करके और हथियार प्रणाली चलाकर नागरिकों को जोखिम में डाला है। इस तरह की रणनीति अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन करती है और नागरिकों को खतरे में डालती है क्योंकि वे नागरिक स्वामित्व वाली इमारतों को सैन्य लक्ष्यों में बदल देते हैं। आबादी वाले क्षेत्रों में आगामी रूसी हमलों ने नागरिकों को मार डाला और बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया।
यह कहना हमारा नहीं बल्कि प्रसिद्द अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का बयान है। यूनाइटेड किंगडम में स्थित मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले यह कार्यालय यूँ तो जन्मजात ही भारत से दुश्मनी लिए बैठा है और आए दिन भारत के बारे में कई ऐसी झूठी खबरें भी फैलाता है जो दंगों को अंजाम देने की ताकत रखती है। भारत में अशांति फैलाने वाले इस संगठन को ईडी ने “ब्रेकिंग इंडिया” संगठन साबित कर चुका है। जो विदेश से पैसा लेकर भारत में दंगे भड़काने का काम करता है।
Such tactics violate international humanitarian law and endanger civilians, as they turn civilian objects into military targets 👇https://t.co/EysZtcqqci
— Amnesty International (@amnesty) August 4, 2022
लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है जैसे मानो सूरज पश्चिम से निकला है क्योंकि पश्चिम में जन्मा यह संगठन पश्चिम के ही विरुद्ध शब्द बोल रहा है। जहाँ एक तरफ पूरा यूरोप रूस का बहिष्कार करते हुए यूक्रेन के साथ खड़ा है वहीं यूरोप के इस संगठन का कहना है कि “यूक्रेन अपने नागरकों को रूस के हमलों से बचने के लिए मानव कवच के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। रक्षात्मक स्थिति में होने से यूक्रेनी सेना को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन करने से छूट नहीं मिलती है।”
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एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोधकर्ताओं द्वारा
अप्रैल और जुलाई के बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोधकर्ताओं ने खार्किव, डोनबास और मायकोलाइव क्षेत्रों में रूसी हमलों की जांच में कई सप्ताह व्यतीत किए। संगठन ने हमले हुए स्थलों का निरीक्षण किया। बचे हुए लोगों, गवाहों और हमलों के पीड़ितों के रिश्तेदारों का साक्षात्कार लिया और हथियारों का विश्लेषण किया। इन सभी जांचों के दौरान, शोधकर्ताओं ने यूक्रेनी बलों द्वारा आबादी वाले आवासीय क्षेत्रों के भीतर से हमले शुरू करने के साथ-साथ क्षेत्रों के 19 शहरों और गांवों में नागरिक भवनों में खुद को स्थापित करने के सबूत पाए।
संगठन की क्राइसिस एविडेंस लैब ने इनमें से कुछ घटनाओं की पुष्टि करने के लिए उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण किया है। डोनबास, खार्किव और मायकोलाइव क्षेत्रों में रूसी हमलों के बचे चश्मदीदों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोधकर्ताओं को बताया कि “यूक्रेनी सेना उनके घरों के आसपास अपना ठिकाना बनाकर काम कर रही थी, जिसके कारण यूक्रेन के आम नागरिक रूसी सेना की जवाबी गोलीबारी का शिकार हुए हैं।” रिपोर्ट में कहा गया है, “कई व्यवहार्य विकल्प उपलब्ध थे जिनका उपयोग किया जा सकता था और जो नागरिकों को खतरे में नहीं डालते लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया गया।”
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एमनेस्टी की रिपोर्ट को यूक्रेनी अधिकारियों ने नकारा
यूक्रेन की आलोचना करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कथित तौर से मानव अधिकार के लिए लड़ने वाले इन एमनेस्टी समूह को विभाजित कर रही है। रिपोर्ट को यूक्रेनी अधिकारियों और सामाजिक नेताओं ने ठुकराया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के एक शीर्ष सहयोगी, मायखाइलो पोदोलयक ने कीव द्वारा नागरिकों को हमला हो रहे क्षेत्रों से निकालने के प्रयासों का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकों के जीवन की सुरक्षा “यूक्रेन के लिए प्राथमिकता” है। साथ ही पोडोलीक ने एमनेस्टी पर रूस के “विघटन और प्रचार अभियान” के रूप में वर्णित में भाग लेने का भी आरोप लगाया, जिसका उद्देश्य यूक्रेन की सेना को बदनाम करना है ताकि देश के समर्थकों को हथियारों की आपूर्ति जारी रखने से हतोत्साहित किया जा सके।
The only thing that poses a threat to Ukrainians is 🇷🇺 army of executioners and rapists coming to 🇺🇦 to commit genocide. Our defenders protect their nation and families. People's lives are the priority for Ukraine, that is why we are evacuating residents of front-line cities. 1/2
— Михайло Подоляк (@Podolyak_M) August 4, 2022
अब तक यूक्रेन कई बार रूस पर यूक्रेनी नागरिकों को लक्षित कर उन्हें मारने का आरोप लगा चुका है और साथ ही यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाने का दोषी भी ठहराया है। लेकिन मास्को ने इन सभी दोषों को खारिज किया है। अब एमनेस्टी की यह रिपोर्ट मॉस्को के किये अपने पिछले दावों के साथ मेल खाती है कि यूक्रेनी लड़ाकों ने नागरिक क्षेत्रों में कब्जा कर लिया था। जिस कारण से रूस को जवाबी फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ा। खैर, इन सबके बीच यह देखने वाला होगा कि क्या एमनेस्टी इंटरनेशनल का ये बयान उसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा या फिर यह संगठन अपने किये दावों से पलट जाएगा।
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