किसी ने बड़ा ही सत्य कहा है, “बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख”. कुछ लोग लाख प्रोमोशन और प्रचार प्रसार के बाद भी जनता के बीच सम्मान के दो बोल प्राप्त नहीं कर पाते और कुछ लोग अनेक बाधाओं के बाद भी केवल अपने रचना के बल पर संपूर्ण जगत को अपनी प्रशंसा करने पर विवश कर देते हैं. भारतीय सिनेमा को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलवाने वाले एस एस राजामौली इन्हीं में से एक हैं. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे RRR और एस एस राजामौली की लोकप्रियता खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है और अब तो स्वयं वैश्विक मीडिया ने दायित्व उठा लिया है कि उन्हें कैसे भी करके ऑस्कर तक पहुंचाया जाए.
हाल ही में हमने बताया था कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती और RRR को अपना सबसे बड़ा पुरस्कार अर्थात् जनता का प्रेम सबसे पहले ही भारी मात्रा में मिल चुकी है. परंतु जिस प्रकार से बिना अपने सांस्कृतिक मूल्यों से डिगे, इस फिल्म ने अपनी लोकप्रियता वैश्विक स्तर पर भी विद्यमान रखी है वो भी अपने आप में अतुलनीय है. इसी का परिणाम है कि अब वैश्विक मीडिया और संस्थाएं स्वयं सुनिश्चित कर रहे हैं कि RRR ऑस्कर के दृष्टिकोण से कैसे भी करके नहीं फिसले.
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विश्वास नहीं होता तो Variety मैगजीन के इस लेख को पढ़िए. उनके अनुसार, यह फिल्म न केवल 21 वर्षों में भारत का ऑस्कर में “नामांकन का सूखा” खत्म करने योग्य है अपितु अकादमी अवॉर्ड के प्रमुख श्रेणियों में नामांकित होने और विजयी होने के भी योग्य है, यदि सब कुछ ठीक रहे तो. परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं रही. हाल ही में चर्चित सैटर्न पुरस्कारों की घोषणा हुई, जहां पर हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध फिल्मों को हर वर्ष नामांकित किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार इसमें सर्वश्रेष्ठ एक्शन फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के नामांकन में किसका नाम सम्मिलित है? बिल्कुल ठीक समझे, RRR एवं एस एस राजामौली का!
इस प्रकार का प्रचार न तो ‘गांधी’ का हुआ, न ‘लगान’ का और न ही ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ का, परंतु यहां बिना कोई विशेष ढिंढोरा पीटे जो RRR का प्रचार प्रसार किया जा रहा है, उससे यह सुनिश्चित है कि यदि भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर नहीं तो स्वयं वैश्विक तौर पर ही उसे ऑस्कर में प्रविष्टि यानी एंट्री मिल जाएगी! कहीं इसीलिए तो बॉलीवुड बिरादरी बॉयकॉट अभियान से तो नहीं भड़की है?
जिस प्रकार से RRR की वैश्विक स्तर पर तारीफ हो रही है और लोग इसका अभिनंदन कर रहे हैं, इसमें केवल चंद प्रशंसक ही नहीं हैं अपितु बड़े से बड़े फिल्मकार और यहां तक कि ऑस्कर विजेता फिल्मकार एवं पटकथा रचने वाले कलाकार तक इस फिल्म की शैली से अभिभूत हैं. वे इस बात से चकित हैं कि जो रचना रचने में वे अरबों खरबों फूंक देते हैं, वह केवल 72 मिलियन डॉलर में कैसे तैयार हो गई? ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ यानी ‘RRR’ को प्रदर्शित हुए लगभग 5 माह हो चुके हैं परंतु उसकी प्रसिद्धि में तनिक भी कमी नहीं आयी है. क्या रूस, क्या जापान, क्या अमेरिका, हर जगह इसकी लोकप्रियता व्याप्त है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिमी मीडिया भी RRR का लोहा मानने लगी है.
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