कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि धूर्त, दुष्ट, कपटी, विषैला, कुंठित, कुपित, मक्कार जैसे विशेषण सिर्फ और सिर्फ चीन के लिए बने हैं। चीन विश्व का सबसे घटिया देश है, इसमें कोई संदेह नहीं है। मौजूदा समय में आर्थिक संकट के बीच चीन सूखे की मार से जूझ रहा है, तापमान रिकॉर्ड बना रहा है, फसलें बर्बाद हो रही हैं, जलाशय सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट रहा है। देश के हालात चीनी सरकार के होश उड़ा रहे हैं लेकिन विस्तारवादी चीन अभी भी अपने रवैये से बाज नहीं आ रहा है। इसी बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को जमकर रगड़ दिया है।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में भारत ने सामान्य सुरक्षा और आतंकवाद के मसले को लेकर इशारों-इशारों में चीन को जमकर लताड़ा। UNSC में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि देशों की सामान्य सुरक्षा तब ही संभव है, जब सारे देश आतंकवाद जैसे आम खतरों के विरुद्ध एकजुट हो। अन्यथा वे प्रचार करते समय दोहरे मानकों में शामिल न हो। यहां भारत की राजदूत ने किसी का भी नाम नहीं लिया परंतु उनके बयान से स्पष्ट था कि वो चीन की तरफ ही इशारा कर रही थी। गौर करने वाली बात है कि UNSC में चीन हमेशा से ही पाकिस्तान की तरफदारी करता आया है। वह चीन ही है, जो पाकिस्तानी आतंकियों को वैश्विक सूची में शामिल कराने के भारत के प्रयासों को नाकाम कर देता है।
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दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के भारत के प्रस्ताव को चीन ने बाधित किया था। चीन ने अपने वीटो पावर का प्रयोग करते हुए उसे बचा लिया। इसके अलावा उसने जैश-ए-मोहम्मद के कुख्यात आतंकी और मसहूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर को भी ब्लैकलिस्ट करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाया था। यही कारण है कि भारत ने चीन के इसी दोहरे मापदंड को लेकर बिना नाम लिए ही उस पर निशाना साधा। ध्यान देने वाली बात है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता वर्तमान में चीन के पास ही है। परंतु भारत ने इस बात की जरा सी भी परवाह नहीं की और UNSC में ही चीन को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
इसके अलावा भारत की राजदूत ने सुरक्षा के मुद्दे पर भी UNSC में चीन को आड़े हाथों लिया। भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने ड्रैगन को घेरते हुए कहा कि किसी भी तरह की एकतरफा या जबरदस्ती की कार्रवाई जो बल के द्वारा यथास्थिति को बदलने का प्रयास करें, वह सामान्य सुरक्षा का अपमान है। उन्होंने कहा कि साझा सुरक्षा तब ही संभव है, जब दो देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें क्योंकि वे यह उम्मीद करेंगे कि उनकी अपनी संप्रभुता का भी सम्मान किया जाएगा।
वैसे यह पहला मौका नहीं था जब भारत ने चीन को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यूं लताड़ लगाई हो। इससे पहले भी भारत कई बार ड्रैगन को आईना दिखाने का काम करता आया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी UNSC में आतंकवाद पर चीन की नीयत को लेकर उसकी क्लास लगा चुके हैं। अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि आतंकवादी घोषित करने के अनुरोधों के रास्ते में बिना किसी उचित कारण देशों को अवरोध उत्पन्न नहीं करना चाहिए।
वहीं, पाकिस्तान का साथ देते हुए चीन कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर जम्मू-कश्मीर को लेकर अपनी बेफिजूल की टिप्पणी करते रहा है। परंतु हर बार भारत की तरफ से उसे करारा जवाब मिला है। एक बार जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाया था तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जवाब देते हुए कहा था कि भारत चीन से उम्मीद करता है कि वह हमारे आंतरिक मामलों, देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर टिप्पणी करने से बचे। साथ ही भारत यह उम्मीद भी करता है कि चीन जम्मू कश्मीर समेत भारतीयों के जीवन को प्रभावित करने वाले सीमापार आतंकवाद की समस्या को समझेगा और इसकी निंदा करेगा।
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देखा जाए तो भारत और चीन के बीच आज संबंध काफी तनावपूर्ण हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर चीन द्वारा किए गए उल्लंघन के कारण भारत और चीन के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीते दिन ही दिए अपने बयान में बताया कि चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौतों की अवहेलना की गई, जिसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ा। गलवान घाटी में क्या हुआ था, आप बेहतर जानते हैं। उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते और इसमें परस्पर सम्मान होना चाहिए।
चीन का रवैया ‘इधर बात, उधर घात’ वाला रहा है। एक तरफ तो वह भारत के साथ बातचीत के माध्यम से मसले सुलझाने का दिखावा करता है परंतु दूसरी ओर वही चीन पीठ में कब छुरा घोंप दे कहा नहीं जा सकता। परंतु अब भारत लगातार चीन के इस दोहरे मापदंडों की पोल खोल रहा है और सुरक्षा परिषद में ऊंचे सिंहासन पर बैठे ड्रैगन को जमकर धो रहा है।
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