आज दुनिया एक साथ कई संकटों का सामना कर रही है। महंगाई, आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों से विश्व के तमाम देश इस समय जूझ रहे है लेकिन इसके अलावा जो सबसे बड़ा संकट है जिससे दुनिया लड़ रही है, वह है- अस्थिरता। एक ओर रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से युद्ध छिड़ा हुआ है, जो अभी तक पूरी तरह से थमा नहीं है। वहीं, दूसरी ओर ताइवान के मामले पर अमेरिका और चीन एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हैं। दुनिया में भविष्य के युद्धों को रोका जाए और शांति स्थापित की जाए, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र परिषद का गठन हुआ था लेकिन धीरे-धीरे यह संस्था अब हासिये पर जा चुकी है! मौजूदा समय में दुनिया वैसे चेहरों की ओर देख रही है जो वैश्विक शांति हेतु अपना योगदान दे सकते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी इन्हीं में से एक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद दुनिया में बढ़ता ही चला जा रहा है। पीएम मोदी अब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि एक वैश्विक नेता बन चुके हैं। अब विश्व शांति दूत तक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सामने आने लगा है। दरअसल, मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर चाहते हैं कि वैश्विक शांति के लिए एक आयोग का गठन किया जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसका हिस्सा बनें। मैक्सिको के राष्ट्रपति इस संबंध में एक लिखित प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश करने की योजना बना रहे हैं। प्रस्ताव के अनुसार विश्व में शांति लाने के लिए पांच साल की अवधि के लिए वो आयोग बनाने की मांग करेंगे। उन्होंने इस आयोग के लिए दुनिया के तीन नेताओं के नाम प्रस्तावित किए हैं जिनके नेतृत्व में आयोग बनाने की मांग की जाएगी। इन नेताओं की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस शामिल हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैक्सिकन राष्ट्रपति ओब्रेडोर ने कहा कि आयोग का उद्देश्य दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना होगा। कमीशन का लक्ष्य होगा कि वह दुनियाभर में युद्ध को रोकने के लिए जो प्रस्ताव पेश करे वह अमल में आए और कम से कम 5 वर्ष के लिए एक शांति समझौता हो। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि मीडिया इस बारे में जानकारी फैलाने में हमारी मदद करेगा। ओब्रडोर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि युद्धों में निर्दोष लोगों की जान जा रही है और इसके लिए सभी को शांति कायम करने के प्रयास करने जरूरी है।
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युद्ध जैसी कार्रवाइयों को समाप्त करने का आह्वान करते हुए मेक्सिकन राष्ट्रपति ने चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका को शांति की तलाश करने के लिए आमंत्रित किया और आशा व्यक्त की है कि तीनों देश “एक मध्यस्थता को सुनेंगे और स्वीकार करेंगे जैसे कि हम प्रस्तावित कर रहे हैं।” ओब्रेडोर ने कहा कि कोई उन्हें बताए कि इन देशों के आपसी टकराव की वजह से एक वर्ष से भी कम समय में दुनिया को किस स्तर पर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। विश्व में गरीबी, महंगाई बढ़ी है और दुनिया भोजन के संकट से गुजर रही है। इस वजह से दुनिया भर मे कई मौतें हुईं हैं। ओब्रेडोर के अनुसार, प्रस्तावित कमीशन ताइवान, इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में भी समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा और इससे आगे होने वाले टकराव को रोकने में मदद मिलेगी।
मैक्सिको के राष्ट्रपति यह मानते हैं कि दुनिया के तमाम बड़े नेताओं में नरेंद्र मोदी ही हैं, जो विश्व में शांति लाने का काम कर सकते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही क्यों?ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की छवि विश्व में बदल चुकी है। आज भारत तमाम देशों का नेतृत्व करने के साथ ही उन्हें प्रभावित करने की क्षमता भी रखता है। देखा जाए तो मौजूदा समय में कपटी चीन और धूर्त पाकिस्तान को छोड़ दें तो ऐसा कोई देश नहीं है जिससे भारत के रिश्ते बहुत खराब हो। तमाम देशों के साथ भारत के संबंध काफी प्रगाढ़ हैं और दुनिया के तमाम देश हमारा अनुसरण भी कर रहे हैं।
मैक्सिको के राष्ट्रपति ने आयोग बनाने की मांग करते हुए इजरायल-फिलिस्तीन विवाद का भी जिक्र किया। वो मानते हैं कि आयोग इस विवाद को सुलझाने में भी मदद कर सकता है। इसमें भारत की भूमिका अहम हो जाती है क्योंकि भारत वह देश है, जो अरब देशों के साथ ही इजरायल के साथ भी मजबूत संबंध रखता है। ऐसे में ओब्रेडोर ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी वहां शांति कायम करने में मददगार साबित होंगे।
ज्ञात हो कि भारत ने हमेशा से ही दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाया है। कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में शांति लाने की बात कही है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत हमेशा से ही विश्व शांति के पक्ष में रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान भी देखने को मिला कि युद्ध के दौरान कोई देश रूस का पक्ष लेकर खड़ा हो गया तो किसी ने यूक्रेन का समर्थन किया। परंतु भारत ने इस दौरान भी किसी एक पक्ष को चुनने के बजाए निरंतर युद्ध रोकने की ही अपील की। विश्व के तमाम नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इकलौते अकेले लीडर थे, जिन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की, दोनों ने समर्थन करने के लिए संपर्क किया था।
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वैश्विक संकट के समय में भारत हमेशा मानवता के साथ खड़ा रहता है और ऐसा कोरोना महामारी के दौरान भी देखने मिला। जब इतनी बड़ी आपदा के दौरान भी पश्चिमी देश दवाईयों से लेकर तमाम चीजों को स्वयं के लिए संरक्षित करने में जुटे रहे, तब भी भारत ने अपने देश के लोगों को बचाने के साथ अन्य देशों की भी जमकर सहायता की। ऐसे ही बात जब कोरोना वैक्सीन लगाकर लोगों की जान बचाने की आई तो पश्चिमी देश जमाखोरी में जुट गए। तब भी भारत ने मैत्री अभियान चलाकर गरीब देशों तक वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित की। आंकड़ों के अनुसार भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत दो वर्ष के भीतर दुनियाभर के करीब 50 देशों को 23 करोड़ से अधिक कोविड-19 वैक्सीन भेजी गई। ऐसे ही अब जब दुनिया में खाद्य संकट गहराया तो भारत के गेहूं ने ही दुनिया का पेट भरने का काम किया।
दुनिया में शांति तभी लाई जा सकती है, जब आतंकवाद और कट्टरपंथी जैसी चीजों पर लगाम लगाई जा सके। भारत हमेशा से ही आतंक के विरुद्ध खड़ा रहा है। कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पीएम मोदी ने आतंकवाद को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन बताता है और वो दुनिया से इसके विरुद्ध एकजुट होने की अपील भी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद को लेकर जितने मुखर रहें, उससे इरादे स्पष्ट नजर आते है कि वो इससे निपटने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। दुनिया, शांति के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देख रही है, उसका एक बड़ा कारण यह भी है कि स्वयं को बड़ा मानने वाले तमाम देश आज युद्ध में उलझे हुए हैं और अप्रासंगिक होते जा रहे हैं, जबकि भारत का कद दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
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