कहते हैं समय जब करवट लेता है तो बड़े-बड़े राजाओं को रंक बनाकर छोड़ता है, समय की बलवानता किसी से छिपी नहीं है, इसको लेकर एक अवधारणा यह भी है कि जो समय के साथ नहीं चलता है समय उसे पीछे धकेल देता है। ऐसा ही कुछ हुआ यूरोपीय देशों के साथ। याद करिए वो दौर जब यूरोपीय देश स्वयं को महान गिनाते हुए विश्व शक्ति की श्रेणी में आंकते थे, किंतु उस समय ये देश अपनी शक्ति के नशे में चूर अल्पविकसित देशों के संसाधनों का जमकर दोहन तो करते ही थे, वहां के निवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार भी करते थे।
अब भारत वो भारत नहीं रहा
इन देशों ने कभी ब्रिटेन का उपनिवेश रहे भारत के साथ भी तिरस्कार के भाव रखे, कभी सपेरों का देश, भूंखों नगों का देश, ब्लडी इंडिया और न जाने कौन कौन सी उल्टी-सीधी उपाधियों से नवाज़ा, लेकिन भारत ने सब कुछ सहते हुए सही समय का इंतज़ार किया, उसने अपने विकास की रफ़्तार से कोई समझौता नहीं किया और आज वह समय आ गया है जब भारत इन यूरोपीय देशों को लगभग हर क्षेत्र में पछाड़ने के लिए तैयार खड़ा है।
खुद को सभ्य कहने वाले इन यूरोपीय देशों ने जो असभ्य व्यवहार भारत के साथ दिखायी उसने भारत के मनोबल को तोड़ने की बजाए उसके लिए एक उत्प्रेरक का कार्य किया तभी एक समय अंग्रेजों की ग़ुलामी झेल रहे भारत ने उन्हीं अंग्रेजों को पटखनी दे दी है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत ने पहले तो फ्रांस के दांत खट्टे किए तत्पश्चात् ब्रिटेन को धूल चटायी। IMF के अनुसार भारत ने ब्रिटेन के घमंड को तोड़कर उसे पछाड़ते हुए विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अगर हम मौजूदा परिप्रेक्ष्य में अर्थव्यवस्था को लेकर भारत एवं यूरोपीय देशों की तुलना करें तो हम पाएंगे कि स्वयं को विकास का सूचक मानने वाले इन यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ गया है।
आज पूरा यूरोप बेरोज़गारी, महंगाई, घटती प्रति व्यक्ति आय, राजनैतिक संकट, ऊर्जा संकट एवं रूस-यूक्रेन युद्ध से त्राहि-त्राहि कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ भारत सबको रौंदते हुए विकास के पथ पर अग्रसर है।
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जीडीपी की महत्वपूर्ण भूमिका है
दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के आंकलन की बात जब भी होती है तो जीडीपी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की Q1(2022-23)विकास दर इतनी शानदार रही है जिसने विकसित देशों को भी धूल चटा दी है। मौजूदा Q1 अप्रैल-जून (2022-23) में भारत की जीडीपी जिस दर के साथ आगे बढ़ी है उसे पकड़ पाना यूरोपीय देश जैसे फ्रांस जर्मनी यूके के समक्ष टेढ़ी खीर है। स्वयं को को तुर्रम खां समझने वाले जर्मनी यूके, फ्रांस भी भारत के विकास दर के सामने घुटने टेक दिए हैं। जर्मनी की विकास दर जहां 1.7% इयर ऑन इयर रही तो वहीं फ्रांस एवं यूके की तिमाही विकास दर -0.2 & 0.8% रही।
ये तो बात रही यूरोपीय देशों की लेकिन उससे भी आगे बढ़कर उसने अमेरिका को भी पटखनी दी है। भारत के Q1(2022-23) की मौजूदा विकास दर 13.5%के समक्ष अमेरिका के Q1 की विकास दर -1.6% रही जिसे देखकर यह साफ़ हो जाता है की खुद को दुनिया का चौधरी कहने वाले अमेरिका को भी भारत के सामने यह मुंह की खानी पड़ी है।
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ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत ने न केवल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में स्वयं को बेहतर रूप से स्थापित किया है बल्कि आने वाले समय में विश्व की अर्थव्यस्था में एक अलग पड़ाव को स्थापित करने की ओर अग्रसर है। वो दिन दूर नहीं है जब भारत विकास की हंसी हंसेगा और यूरोपीय देश पंगु हो रहे अर्थव्यस्था के कारण खून के आंसू रोएंगे।।
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