UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन बाइडन यूं ही नहीं कर रहे हैं, षड्यंत्र लंबा है

क्या अमेरिका को काउंटर करेगा भारत?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद स्थाई सदस्यता

Source- TFI

भारत की गिनती आज के समय में सबसे शक्तिशाली देशों के तौर पर होती है लेकिन वैश्विक स्तर पर भारत के पास कुछ ताकतों की अभी भी कमी है। इस कमी में से एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता है और इसके लिए चीन को छोड़कर लगातार सभी प्रमुख देशों ने भारत का समर्थन किया है जिसके कारण भारत को एक मजबूत राष्ट्र माना जा रहा है। वहीं, इसी बीच अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता को लेकर अहम बयान दिया है जिससे भारत के लिए पशोपेश की स्थिति बन गई है क्योंकि भारत का एक गलत कदम उसके रूस के साथ रिश्ते खराब कर सकता है‌। तो चलिए समझते हैं कि आखिर अमेरिका ने कैसे भारत को फंसाने का प्रयास किया है।

दरअसल, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य न होने का मुद्दा उठाया। एस जयशंकर ने कहा कि भारत को अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं बनाया जाना केवल हमारे लिए ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भी सही नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सत्र से इतर उन्होंने कहा कि बहुत पहले ही इसे सुधारते हुए भारत को इसमें शामिल कर लिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका, जो कि अफसोसजनक स्थिति है।

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बाइडन ने किया समर्थन

एस जयशंकर ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आवश्यकता को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत इसे लेकर बहुत गंभीर है। मैं इस विषय पर काम भी कर रहा हूं। यूएनएसी में भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि सुरक्षा परिषद में परिवर्तन बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष पहले बनाया गया था और तब से आज की स्थितियां काफी भिन्न हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारत का इस संस्था का स्थाई सदस्य न होना वैश्विक नुकसान बताया है। एस जयशंकर ने कहा है कि भारत बहुत तेजी से विकास कर रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसे में भारत का वैश्विक परिषद का हिस्सा न होना न केवल भारत के लिए बल्कि इस निकाय के लिए भी अच्छा नहीं है। अहम बात यह है कि हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी बड़ा बयान दिया है, जो कि भारत के लिए दो धारी तलवार बनकर आया है।

एक तरफ एस जयशंकर ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाने की बात की है तो वहीं बड़ी खबर यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत, जापान और जर्मनी को UNSC का स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि अभी इस दिशा में बहुत काम किया जाना बाकी है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हम पहले भी यह मानते थे और आज भी इस बात को मानते हैं कि भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए। अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि सुरक्षा परिषद को समावेशी बनाने पर जोर दिया जा रहा है‌।

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वीटो के गलत इस्तेमाल पर भड़का अमेरिका

गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में अपने संबोधन में सुरक्षा परिषद में सुधार की बात दोहराई थी। बाइडन ने कहा कि उनका मानना है कि वक्त आ गया है, जब संस्था को और समावेशी बनाया जाए ताकि यह आज के युग की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्य, जिनमें अमेरिका भी शामिल है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा करनी चाहिए और वीटो से बचना चाहिए। ज्ञात हो कि चीन जैसे देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता देने से लेकर आतंकी संगठनों को ब्लैकलिस्ट करने के मामले में वीटो पावर का इस्तेमाल करते हैं और इस पर अमेरिका भड़क गया है।

वीटो पावर के गलत इस्तेमाल को लेकर बाइडन ने कहा कि वीटो सिर्फ विशेष अथवा विषम परिस्थितियों में ही होना चाहिए ताकि परिषद की विश्वसनीयता और उसका प्रभाव बना रहे। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थायी, दोनों तरह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर देता है। इनमें वे देश भी शामिल हैं, जिनकी स्थायी सदस्यता की मांग का हम लंबे समय से समर्थन करते आ रहे हैं।

अब खास बात यह है कि भले ही अमेरिका भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के मुद्दे पर समर्थन देने की बात कर रहा हो लेकिन वह भी यह जानता है कि भारत आर्थिक से लेकर सामाजिक और तकनीकी तौर पर तेजी से मजबूत हो रहा है‌। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिलने पर उसे वैश्विक स्तर पर भारत से कड़ी चुनौतियां मिल सकती हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता दिलाने के बदले में अमेरिका कोई बड़ी शर्त रख सकता है जिसके बिंदु रूस से जुड़े हो सकतें हैं‌।

अमेरिका को ही काउंटर कर देगा भारत?

ऐसी संभावनाएं हैं कि जब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता की पेशकश की जाएगी तो बदले में रूस को काउंटर करने के लिए अमेरिका इस परिषद से रूस को बाहर निकालने के मुद्दे पर समर्थन मांग सकता है‌। इसे अमेरिका का सबसे बड़ा माइंड गेम भी कहा जा रहा है जिससे भले ही भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बन जाएगा लेकिन उसे कूटनीतिक रिश्ते खराब हो सकते हैं। वहीं, रूस की ताकत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यता खत्म होने पर कम हो सकती है‌। ऐसे में भारत और रूस को काउंटर करने के लिए अमेरिका की यह चाल काफी कारगर मानी जा रही है।

अब रूस के साथ भारत के रिश्तों की बात करें तो कई मौकों पर भारत, रूस को समर्थन दे चुका है और जब भारत कूटनीतिक खेल खेलता है तो वह रूस के खिलाफ आए किसी भी प्रस्ताव से खुद को दूर कर लेता है‌। ऐसे में यह देखना होगा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थाई सदस्यता के मुद्दे पर भारत किस तरह से अमेरिका को मात देता है। खास बात यह है कि भारत, रूस को इस परिषद से खुशी-खशी बाहर जाने के लिए मना भी सकता है और फिर परिषद में रहकर प्रत्येक मुद्दे पर रूस का समर्थन कर अमेरिका की मुश्किलें दोगुनी कर सकता है। वही एक संभावना यह भी है कि भारत, अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश की गई प्रस्तावित सदस्यता को लेकर अमेरिका को ही ठेंगा दिखा सकता है और सीधे तौर पर यह भी कह सकता है कि वह संयुक्त राष्ट्र की परिकल्पना का समर्थन ही नहीं करता है।

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