सही ही कहा गया है कि किसी व्यक्ति का मूल्य तब पता चलता है, जब वो दूर चला जाता है। यही एहसास इस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी हो रहा है, जिससे हाल ही में कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद का साथ छूटा है। सरेआम कमियां गिनाते हुए गुलाम नबी आजाद ने बीते दिनों कांग्रेस पार्टी के साथ अपने 51 वर्षों से चले आ रहे लंबे सफर का अंत किया। इसमें की दो राय नहीं है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के बड़े नेता थे और खासतौर पर जम्मू कश्मीर में काफी ज्यादा प्रभाव रखते थे। परंतु गुलाम नबी आजाद जब पार्टी में थे, तब तो कांग्रेस को उनके जैसे नेता की ताकत और लोकप्रियता का एहसास नहीं हुआ होगा। हालांकि, अब जब गुलाम नबी पार्टी छोड़कर चले गए हैं तब कांग्रेस को समझ आ रहा होगा कि आखिर लोकप्रियता होती क्या है?
और पढ़ें: गुलाम नबी आजाद की एंट्री कश्मीर की राजनीति को पलटने के लिए तैयार है
कई नेताओं ने छोड़ दी है पार्टी
दरअसल, गुलाम नबी आजाद को पार्टी छोड़े अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ लेकिन इसी दौरान उनकी ताकत दिखनी शुरू हो चुकी है। आजाद के इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला कुछ यूं शुरू हुआ है कि अब हाल-फिलहाल में तो इस पर ब्रेक लगता हुआ दिख नहीं रहा। उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह से कम समय में ही जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के 100 से अधिक नेता पार्टी छोड़कर आजाद को अपना समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।
कांग्रेस ही नहीं अन्य पार्टियों का समर्थन भी गुलाम नबी आजाद को मिलता नजर आ रहा है। बुधवार को जम्मू कश्मीर में आम आदमी पार्टी के भी 51 नेताओं ने भी अपनी पार्टी छोड़ दी और आजाद को अपना समर्थन दिया। केवल इतना ही नहीं खबर तो यह भी है कि कांग्रेस के पांच हजार कार्यकर्ताओं ने पार्टी का साथ छोड़ने का निर्णय ले लिया है। वो आजाद का समर्थन करते हुए जल्द ही पार्टी को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गुलाम नबी आजाद के समर्थन में जम्मू कश्मीर के 5000 कांग्रेसी कार्यकर्ता उरी में होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे और आजाद को अपना समर्थन देंगे। इससे पहले बुधवार को 42 कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और कहा कि वे आजाद की होने वाली पार्टी से जुड़ेंगे।
कांग्रेस को हो रहा होगा आजाद की ताकत का एहसास
ध्यान देने वाली बात है कि गुलाम नबी आजाद पहले ही जम्मू कश्मीर में अपनी जल्द ही नई पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके हैं और जो भी नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं वे निश्चित तौर पर आजाद के साथ जाएंगे। हाल ही में इस्तीफे के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से आजाद की मुलाकात की खबरें सामने आई थी, जिसके बाद पार्टी में बवंडर मच गया था। दरअसल, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने इसे लेकर पार्टी के हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल से शिकायत की।
कुमारी शैलजा ने प्रभारी विवेक बंसल को पत्र लिखते हुए कहा कि हुड्डा को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज च्वाहण और आनंद शर्मा ने इस्तीफे के बाद उनसे मुलाकात की थी। ज्ञात हो कि ये नेता कांग्रेस नेतृत्व के विरुद्ध आवाज उठाने वाले जी-23 गुट का हिस्सा हैं। आपको बताते चलें कि बीते शुक्रवार 26 अगस्त को गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए आजाद ने सरेआम कांग्रेस पार्टी की एक-एक कमी गिनाई थी। अपने लंबे पत्र के माध्यम से उन्होंने कांग्रेस को आईना दिखाने और यह बताने के प्रयास किए कि कांग्रेस किन वजहों से मौजूदा समय में बर्बादी की स्थिति में पहुंची है।
परंतु कांग्रेस तो कांग्रेस है, ऐसा प्रतीत होता है कि उसने तो अपने अस्तित्व को पूरी तरह से मिटाने का ही निश्चय कर लिया है। इसलिए तो गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेता के पार्टी छोड़ने और सरेआम यूं कमियों को उजागर करने के बाद भी कांग्रेस ने इससे सबक नहीं लिया। इसके विपरीत पार्टी यह दिखाने की कोशिश करती रही कि उन्हें गुलाम नबी आजाद जैसे बड़े नेता के जाने के बाद भी कोई फर्क ही नहीं पड़ा हैं। आजाद के इस्तीफे के बाद कई कांग्रेसी नेता मैदान में उतर आए और आजाद को ही कोसते हुए नजर आने लगे। लेकिन भले ही कांग्रेस कितना भी यह दिखाने की कोशिश क्यों न कर लें कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा परंतु हकीकत यही है कि इसका प्रभाव पार्टी पर काफी हद तक पड़ रहा है और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में तो कांग्रेस पूरी तरह से बिखरती हुई नजर आ रही है। ऐसे में अब कांग्रेस को कहीं न कहीं गुलाम नबी आजाद की ताकत का एहसास अवश्य हो रहा होगा।
और पढ़ें: गुलाम नबी आजाद ने छोड़ दी कांग्रेस, अब और कितने होंगे डूबती हुई पार्टी से ‘आजाद’?
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।