भारत का इतिहास काफ़ी प्रतिभाशाली रहा है. भारत ने अपने विकास के क्रम में कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया. वस्तुतः भारत की भूमि में संसाधन की मात्रा इतनी अधिक है कि हमने कभी दूसरे देश की भूमि पर अपनी कुदृष्टि नहीं डाली किंतु वहीं दूसरी ओर भूखे नंगे विदेशी आक्रांता भारत पर आक्रमण करते रहे और भारत को लूटते रहे. पहले गजनी, फिर मुगल और फिर अंग्रेजों ने भारतवासियों के मनोबल को इतना नकारात्मक रूप से प्रभावित किया कि पराक्रमी योद्धाओं को जन्म देने वाले भारत की भूमि में आवेदन निवेदन वाली मानसिकता के लोग जन्म लेने लगे.
इसी मानसिकता की देन थी कि आज़ादी के पश्चात भारत को सरदर्द के रूप में पाकिस्तान मिला. मूलतः पाकिस्तान के जन्म का आधार ही भारत के अस्तित्व को समाप्त करना था लेकिन इस बात को भलीभांति जानते हुए भी उस समय कुछ महत्वपूर्ण पदों पर आसीन राजनेताओं ने पाकिस्तान को लेकर अपना व्यवहार सौंहार्दपूर्ण रखा. नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तानी सेना Bleed India with thousand cut सिद्धांत पर कार्य करते हुए लगातार भारत का रक्त बहाती रही और भारत के कर्ताधर्ता पाकिस्तान के प्रति भर भर कर प्रेम बरसाते रहे.
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भारत को शांतिदूत बनाने के क्रम में भारत की विदेश नीति भी डिफेंसिव बनाई गई थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि 1947 के बाद से पाकिस्तान ने भारत पर घोषित रूप से तीन बार आक्रमण किया. जिसमें भारत तो विजयी हुआ ही किंतु युद्ध में काफी नुकसान भी हुआ. यह नुक़सान और भी कम होता यदि पाकिस्तान को प्रेम दिखाने के बजाय शुरू से ही भारत ने उसपर लगाम लगायी होती। किंतु मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने वाले हमारे तत्कालीन राजनेता इतना होने के बावजूद भी पाकिस्तान से संबंध की उम्मीद रखते थे. इतना ही नहीं, हमारे भोले रजनेताओं ने तो अपने सपनों में उस चीन से भी शांति की गारंटी ले रखी थी, जिसके सामानों की गारंटी वास्तविकता तक में नही होती है.
फिर क्या, मगरमच्छ पर भरोसा करोगे तो मरोगे ही! जब चीन ने 1962 में हमला किया तो हिंदी चीनी भाई भाई कहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई. पूर्व में मिले इतने सबक के बावजूद भी भारत की सत्ता में बैठी कांग्रेस ने पाकिस्तान के विरुद्ध कोई कड़े कदम नही उठाए. कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम इस कदर उस पर हावी था कि 26/11 के हमले के बाद आतंकियों को पकड़े जाने और यह सिद्ध हो जाने के बाद कि वे पाकिस्तानी थे, कांग्रेस की सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाए. लेकिन कहते हैं न परिवर्तन संसार का नियम है अतः परिवर्तन तो होना ही था.
इसी क्रम में भारत में सत्ता परिवर्तन हुआ। वर्ष 2014 में मोदी सरकार आयी और साथ ही पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की नीतियों में मूलभूत सुधार आए. भारत ने पाकिस्तान को लव लेटर लिखने की बजाए उसे उसी की भाषा में जवाब देना शुरू किया. भारत ने अपनी विदेश नीति में भी परिवर्तन करते हुए डिफेंसिव से डिफेंसिव ऑफेन्स नीति को अपनाया. अब भारत ने पूरे विश्व को उसी भाषा में जवाब देना प्रारम्भ किया, जिस भाषा में वे समझते हैं. फिर क्या पाकिस्तान, क्या चीन, क्या यूरोपीय देश और क्या ही अमेरिका, भारत अब इन शक्तियों की ईंट से ईंट बजाने में भी पीछे नहीं हटता है.
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परिणामस्वरूप आतंक परस्त पाकिस्तान की अब ऐसी घिग्घी बंधी है कि वह भारत से बातचीत करने के लिए तड़प रहा है. याद करिए अभिनंदन का वो प्रकरण जब इमरान खान की सरकार भारत के भय के कारण उन्हें ससम्मान भारत भेजा था. नया भारत, चीन, यूरोपीय देशों समेत अमेरिका तक को चेतावनी देने से पीछे नही हटता है. हाल ही में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को F-16 फ़्लीट के क्रम में पैसे देने की बात को लेकर भारत के रक्षा मंत्री ने सीधे अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन से बातचीत की और भारत के पक्ष को बड़ी सख्ती के साथ अमेरिका के समक्ष रखा. उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि बातचीत के दौरान मैंने पाकिस्तान के F-16 बेड़े के लिए पैकेज प्रदान करने के हाल ही में लिए गए अमेरिकी निर्णय पर भारत की चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए सेक्रेटरी ऑस्टिन बातचीत जारी रखने के लिए तत्पर हैं.
वस्तुतः इससे पहले भी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कई बार वैश्विक मंचों पर यूरोपीय देशों समेत अमेरिका को धो चुके हैं. रूस से तेल लेने के क्रम में जब यूरोपीय देशों ने उनसे मानवीय एवं नैतिकता का हवाला देते हुए तेल न लेने की बात कही थी तो उन्होंने यूरोपीय देशों को ऐसा आइना दिखाया था कि वे कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह गए थे.
ज्ञात हो कि एक मज़बूत राष्ट्र के उदय में शासन कर रहे नेता का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है. यदि देश के नेता का मनोबल मज़बूत होता है और साथ ही साथ उसकी राजनीतिक सूझबूझ अच्छी होती है तो उसके द्वारा लिए गए फैसले से पूरे देश का कद बढ़ता है. वर्तमान में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर एक नयी कहानी लिख रहा है. भारत की ताकत, भारत के फैसले, मोदी सरकार का स्टेप अब हर चीज दुनिया के देशों के लिए मायने रखने लगी है. भारत की कद में हिमालय जैसी वृद्धि हुई है. देश की जीडीपी दुनिया में सबसे बेहतर स्थिति में है. भारत अब किसी भी तरह के फैसले लेने से पहले हिचकता नहीं है. यही कारण है कि भारत अब लव लेटर लिखने की बजाए sword उठाकर अपने दुश्मनो को चारों खाने चित्त कर रहा है.
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