OIC यानी ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कंट्रीज़, यह एक ऐसा मंच है जो पूरी दुनिया के मुसलमानों का मसीहा बनता फिरता है लेकिन इसकी सारी हेकड़ी चीन के सामने निकल जाती है। इसका सारा मुसलमान प्रेम धरा का धरा रह जाता है। भारतीय मुसलमानों को लेकर यह जितनी मुखरता से भारत की आलोचना करता है, उतना ही चीन के उइगर मुसलमानों के लिए इसका मुंह जैसे सिल जाता है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट पर किसी का मुंह नहीं खुल रहा है
तभी तो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट आने के बाद भी OIC देशों के मुंह से चूं तक नहीं निकली, जिसमें साफ़-साफ़ यह कहा गया है कि चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों के विरुद्ध किया गया कृत्य क्राइम अगेन्स्ट ह्यूमानिटी की श्रेणी में आता है। OIC की बेशर्मी तो देखिए संयुक्त राष्ट्र की स्पष्ट रिपोर्ट के बाद भी वो इसे इस कदर अनदेखा कर रहा है जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। ऐसे कृत्य OIC के घटिया चरित्र को दिखाने के लिए पर्याप्त हैं।
खुद को मुस्लिम उम्मे की संयुक्त आवाज़ कहने वाले OIC का जन्म मोरक्को में 1969 में हुआ था इसमें कुल 57 सदस्य है, जिसमें सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, एवं पाकिस्तान जैसे प्रमुख देश हैं। पाकिस्तान की मजबूरी से तो हर कोई वाक़िफ़ है कि वह चीन के विरुद्ध नहीं बोल सकता है लेकिन क़तर और साउदी का चीन प्रेम थोड़ा अचंभित ज़रूर करता है, सउदी अरब खुद को मुस्लिम दुनिया का नेता भी कहता है लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट आने के बाद वह चुप्पी साधे हुए है।
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क्या है संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार की रिपोर्ट में जिसमें उसने चीन के उइगर मुसलमानों के विरुद्ध किये गये कृत्य को मानवता के विरुद्ध अपराध बताया गया है ?
उइगर मुसलमान चीन के पश्चिम क्षेत्र शिनजीयांग प्रांत में रहने वाला समुदाय है जो अपने देश के सत्ताधारियों द्वारा क्रूरता का शिकार हो रहा है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि उइगर मुसलमान समुदाय के लोगों को कुर्सी से बांध कर बुरी तरह से पीटा जा रहा है, महिलाओं से साथ रेप जैसी घटनाएं आम हो गयी हैं, रात-रात भर जगाकर उनके चेहरे पर पानी डालकर पूछताछ की जा रही है, उन्हें अपनी ही सरकार द्वारा बनाये गये डिटेन्शन सेंटर में बिना उनकी इच्छा के उन्हें अमानवीय रूप से रखा जा रहा है। उन्हें दाढ़ी रखने तक की अनुमति नहीं है, उनके इस्लामिक आर्किटेक्चर में मस्जिदों को तोड़कर चीन के पारम्परिक विधा में बनाया जा रहा है, दरिंदगी की हदों को पार करते हुए डिटेन्शन कैम्प में परिवार नियोजन के नाम पर उइगर लोगों को जबरन दवाइयां और इंजेक्शंस लगाए जा हैं। गर्भपात, गर्भनिरोधक एवं नसबंदी जैसे चीजों को भी उन पर मनमाने रूप से थोपा जा रहा है।
आखिर कौन हैं उइगर मुसलमान?
उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं जिनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है। उइगर अपनी स्वयं की भाषा बोलते हैं जो कि बहुत अधिक तुर्की भाषा के समान ही है और उइगर स्वयं को सांस्कृतिक एवं जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब पाते हैं। उइगर मुस्लिमों को चीन में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त 55 जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक माना जाता है।
हालांकि चीन उइगर मुसलमानों को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और यह अस्वीकार करता है कि वे स्वदेशी समूह हैं। वर्तमान में उइगर जातीय समुदाय की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहती है। उइगर मुसलमानों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी रहती है। उइगर मुसलमानों के साथ इतना अन्याय होने के बाद भी OIC देशों के कान पर जू नहीं रेंग रही, भारत में स्वतंत्रता और सम्मानपूर्वक रह रहे सो कॉल्ड भारतीय लिबरल मुसलमानों का भी कुछ ऐसा ही हाल है।
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