कहते हैं कुछ भी सदैव के लिए विद्यमान नहीं रहता और ये बात चीन के लिए भी लागू होती है। यदि शी जिनपिंग को लग रहा था कि वह अनंतकाल तक चीन के राष्ट्राध्यक्ष रहेंगे तो यह निस्संदेह उनकी बचकानी सोच का परिणाम था। परंतु जो सूचनाएं अभी मिल रही हैं वो इस बात का परिचायक है कि चीन में सब कुछ ठीक नहीं है। इस समय अटकलें पूरे जोर पर हैं कि चीन में व्यापक बदलाव होने वाला है जिसमें शी जिनपिंग के हाथ से सत्ता सदैव के लिए छिन सकती है।
वो कैसे? असल में अगर वर्तमान मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शी जिनपिंग को चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ने नजरबंद कर दिया है और उन्हें पदच्युत करने की पूरी तैयारी कर ली है। विश्वास मानिए बीजिंग में कुछ ऐसा ही हो रहा है।
अब आपको लग रहा है कि ये सब क्या बकवास है? परंतु सत्य इससे कुछ अधिक भिन्न नहीं है। यदि ऐसा न होता तो अचानक से सभी घरेलू फ्लाइट चीन में क्यों रद्द हो जाती? पर उस बारे में बाद में।
और पढ़े: जल्द ही चीन बन जाएगा ‘पाकिस्तान’, प्रत्येक दिन बद से बदतर हो रही स्थिति
SCO सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे शी जिनपिंग
पिछले दो वर्षों से जिनपिंग अपने गृह निवास से बाहर नहीं निकले। कुछ निजी कारणों से और अधिकतम कोविड की कृपा से। अब जब ऐसी महामारी निकालोगे, जिसके कारण संसार भर में थू थू हो, तो कौन सा नेता अपने घर से निकलना पसंद करेगा? रही सही कसर Sinovac के सुपरफ्लॉप स्टेटस ने पूरी कर दी और इसके कारण वे विश्व के किसी नेता को छोड़िए, CCP के अपने नेताओं तक से नहीं मिलने को तैयार थे।
परंतु कई वर्षों वे आखिरकार उज्बेकिस्तान में प्रस्तावित SCO सम्मेलन में भाग लेने के लिए एक विशेष फ्लाइट में राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में हिस्सा लेने गए। परंतु इस सम्मेलन के संस्थापक होने के बाद भी न तो उन्होंने किसी के साथ वार्तालाप की और न ही किसी के साथ उन्होंने विचार विमर्श किया। यहां तक कि अपने पालतू पाकिस्तान का हालचाल भी नहीं पूछा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंख मिलाने की बात तो छोड़ ही दीजिए।
परंतु जिस बात ने कई लोगों को सर्वाधिक चकित किया वह था जिनपिंग का अपने ‘परम मित्र’ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी वार्तालाप नहीं करना। उन्होंने एक औपचारिक डिनर तक नहीं किया, क्योंकि चीनी अधिकारियों के अनुसार ‘कोविड संबंधी समस्याओं’ से वे दूर रहना चाहते थे। परंतु कई विश्लेषकों का मानना है कि स्थिति तो कुछ और ही थी।
चीन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा?
अब हो भी क्यों न चीन के राष्ट्राध्यक्ष के अंदर ये आशंका प्रारंभ से रही है। 2020 के TFI के एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार चीन में ऐसे कई लोग हैं जो जिनपिंग के अत्याचारी शासन से असन्तुष्ट हैं और वे शीघ्र अतिशीघ्र उन्हें सत्ता से पदच्युत करना ही चाहेंगे।
और पढ़े: चिप के खेल में चीन को मात देना चाहता है भारत? यह सबसे बढ़िया वक्त है
TFI के विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अंश अनुसार,
“चीन में लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता, कानून के शासन और संविधानवाद की आवाजें तेज़ हो रही हैं। ये दावा किया है Cai Xia ने, जो चीन के सेंट्रल पार्टी स्कूल में वरिष्ठ प्रोफेसर रह चुकी हैं और पोलित ब्यूरो की पूर्व सदस्य हैं। उनका वक्तव्य इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे पहले चीन में सरकारी पद पर रह चुके किसी भी बड़े अधिकारी ने इतना मुखर होकर जिनपिंग का विरोध नहीं किया था।
Xia जिस सेन्ट्रल पार्टी स्कूल में पढ़ाती हैं, वह चीन का एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है। यहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे में इस संस्थान की एक वरिष्ठ प्रशिक्षक द्वारा दिया गया बयान उस टकराव को दिखाता है, जो सरकार और पार्टी के भीतर चल रहा है।”
केवल उतना ही नहीं, Xia ने उसी वर्ष जून में The Guardian अख़बार को दिए अपने एक बयान में शी जिनपिंग को “माफिया बॉस” और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को “पॉलिटिकल जॉम्बी” कहा था। हालांकि तब उनको और उनके परिवार को लगातार मिल रही धमकियों के कारण उन्होंने The Guardian से इस बयान को न छापने का अनुरोध किया था। परंतु उनके इंटरव्यू का ऑडियो लीक हो गया और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया जिसके कारण उन्हें देश भी छोड़ने पर विवश होना पड़ा।
जिनपिंग के खिलाफ पहले से ही इस बात को लेकर कई लोगों के अंदर नाराजगी थी कि उन्होनें CCP जनरल सेक्रेटरी के पद के लिए निर्धारित कार्यकाल को बढ़ा दिया था। लेकिन कोरोना वायरस को न संभाल पाने के कारण पार्टी में अब उनके प्रति विरोध बढ़ता ही जा रहा है। पार्टी से निष्कासित पूर्व प्रोफेसर ने बताया, “शी के शासन के तहत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन के लिए प्रगति में सहायक नहीं रह गई है। वास्तव में यह चीन की प्रगति के लिए एक बाधा बन गई है। मेरा मानना है कि मैं एकमात्र ऐसी नहीं हूं जो इस पार्टी को छोड़ना चाहती है। अधिकांश लोग इस पार्टी को छोड़ना चाहेंगे।”
और पढ़े: SCO में भारत की धमक – चीन और पाकिस्तान को उनके मुखिया के सामने ही धो दिया
अब वैश्विक मीडिया को इस बात का कोई आभास नहीं है कि आखिर बीजिंग में चल क्या रहा है। कई लोगों को अब भी लगता है कि ये सब कोरी बकवास है। हो सकता है कि सत्य भी न हो परंतु बिना आग के धुआं तो नहीं निकलेगा ना? और सत्य कहें तो जिनपिंग के जो कर्म हैं, उस अनुसार तो वे एक तीसरे कार्यकाल के योग्य भी नहीं हैं और इस दिशा में CCP के वरिष्ठ राजनेता पहले ही लग चुके हैं।
Chinese netizens have stormed Social Media timelines with reports that Beijing is under military seizure. The world, though, has no idea of what’s happening because the city is eventually cut off from the world.
चीनी सोशल मीडिया के अनुसार, शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली प्रशासन की तख्तापलट, जिसकी ओर न्यूज Highland Vision के इस ट्वीट ने भी संकेत दिए हैं –
北京惊传:14日习出访中亚,当天下午胡温成功说服前任常委宋平,并在当天晚上控制了中 央 警 卫 局。单线通知了江曾和在京中 央 委 员,原来的常委们,以举手表决行式,罢黜了他的军权,当他知道后,16日晚返京,在机场被控制,现软禁在中 南 海 家中,十九届七 中全会将宣布真像。暂无法求证。 pic.twitter.com/bVUQMwToZg
— 新高地官推 官网:https://www.newhighlandvision.com/ (@5xyxh) September 22, 2022
इस ट्वीट के अनुसार चला जाए तो पूर्व चीनी राष्ट्राध्यक्षों हू जिंताओ और वेन जियाबाओ ने चीन की वर्तमान अवस्था को देखते हुए सोचा होगा कि बस बहुत हो गया। इसके पश्चात उन्होंने एक रोडमैप तैयार किया कि कैसे जिनपिंग के अंतर्गत कार्यरत CGB का नियंत्रण अपने हाथों में लिया जाए। ये एक प्रकार से SPG यानि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप है जिसका कार्य है CCP के हाईकमान को उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रदान करना। तो स्पष्ट शब्दों में जिनपिंग समरकन्द सम्मेलन में अपनी भद्द पिटवा रहे थे और उनके पैरों तले ही उनका साम्राज्य धसका दिया गया। हू और वेन ने CGB को ठीक उसी तरह अपने नियंत्रण में लिया जैसे एकनाथ शिंदे ने रातों रात उद्धव ठाकरे के जबड़े से शिवसेना और सत्ता हथिया ली। संयोग ऐसे भी होते है बंधु।
पहले से तैयार था रोडमैप?
जैसे ही CGB का नियंत्रण हू और वेन के हाथों में आया उन्होंने जियांग जेंग और सेंट्रल स्टैन्डिंग कमेटी को तुरंत टेलीफोन के माध्यम से इस परिवर्तन के बारे में सूचित किया। इस प्रस्ताव को निर्विरोध पारित किया गया और जिनपिंग जब तक चीन आए वे ‘पदच्युत’ किए जा चुके थे। अभी के लिए उन्हें हिरासत में लेकर नजरबंद रखा गया है जिसके कारण बीजिंग से जाने वाली सभी घरेलू उड़ानें रद्द प्रतीत होती है-
क्या इसमें गलवान घाटी में मिली चीन को पराजय की भी भूमिका है? हो भी सकता है क्योंकि जिनपिंग की हठधर्मिता कोविड के अतिरिक्त इस विषय पर सबसे अधिक देखने को मिली थी। बता दें कि 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर विवाद को लेकर PLA ने भारत पर धावा बोल दिया, परंतु गलवान घाटी में उसे ऐसा मुंहतोड़ जवाब मिला कि उसके असंख्य सैनिक मारे गए। इस हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों को वीरगति प्राप्त हुई और आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कम से कम 50 से अधिक चीनी सैनिक तो अवश्य मारे गए थे, परंतु आज भी चीन अपने मृतकों की वास्तविक संख्या बताने से कतराता है।
ये तो कुछ भी नहीं है। वास्तव में चीनी पीएलए को युद्ध में धकेलने वाले कोई और नहीं बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के महासचिव शी जिनपिंग हैं। CCP के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद से CCP के वर्तमान जनरल-सेक्रेटरी शी जिनपिंग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में सबसे अधिक ताकतवर बनना चाहते हैं। इसलिए जिनपिंग ने न केवल CCP बल्कि इसकी सशस्त्र शाखा- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पर कई तिकड़म भिड़ाकर अपनी पूरी पकड़ बना ली। इसी क्रम में CCP के महासचिव के रूप में 2012 में पदभार संभालने और फिर मार्च 2013 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने चीन का तीसरा सबसे ताकतवर पद यानि केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के अध्यक्ष पद को भी अपने नाम कर लिया था।
और पढ़े: भारत तो झुका नहीं, चीन अवश्य लाइन पर आ गया
उन्होंने स्वयं को चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के कमांडर-इन चीफ के रूप में भी स्थापित किया है। वस्तुतः इसका मतलब है कि शी जिनपिंग पीएलए के सभी कार्यों यानि युद्ध की घोषणा से लेकर सैनिकों की तैनाती और यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों के प्रमोशन देने तक सब कुछ तय करते हैं।
परंतु इसका परिणाम क्या निकला? ढाक के तीन पात! परंतु जो सुधर जाए वो जिनपिंग कहाँ? वर्ष 2015 में शी जिनपिंग ने PLA में कुछ संगठनात्मक परिवर्तनों को अंजाम दिया। चीन में सात सैन्य क्षेत्रों को पांच थिएटर कमांड में पुनर्गठित किया गया था जो कि कथित तौर पर क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए निर्धारित किए गए थे। प्रत्येक थिएटर कमांड थल सेना, वायु सेना, नौसेना और पारंपरिक मिसाइलों से अपने स्वयं के पैकेज से सुसज्जित था। लेकिन यहां सभी सेनाओं पर नियंत्रण के लिए एक नया संयुक्त कमान और नियंत्रण तंत्र को भी सबसे शीर्ष स्तर पर स्थापित किया गया था- Central Military Commission (सीएमसी)। सीएमसी एक सर्व-शक्तिशाली निकाय है जो क्षेत्रीय संकटों और TCs के साथ युद्ध की तैयारी के साथ-साथ किसी भी स्थिति को अपने नियंत्रण में करने के लिए समन्वय स्थापित करता है और CMC के अध्यक्ष कौन हैं? शी जिनपिंग स्वयं।
यही नहीं, शी जिनपिंग ने Director of Political Work और Discipline Inspection Commission के सचिव को CMC में नियुक्त किया है। शी जिनपिंग यह स्पष्ट कर रहे हैं कि PLA CCP की एक सशस्त्र शाखा से ज्यादा कुछ अधिक न रहे और PLA अपनी सीमा न भूले।
इतने बदलाव करने के बाद उन्होंने PLA को कई युद्ध में झोंक दिया। PLA के सैनिकों की अनुभवहीनता, कम शारीरिक क्षमता और टूटे हुए मनोबल को किनारा रखते हुए CCP महासचिव ने उन्हें कठिन संघर्षों में घसीटना शुरू कर दिया। इसका प्रारंभ डोकलाम से हुआ जब पीएलए के सैनिकों को भारतीय सेना के अनुभवी सैनिकों के खिलाफ खड़ा किया गया था। तब भी चीनी PLA को मैदान छोड़ कर जाना पड़ा था। परंतु शी जिनपिंग तब भी नहीं माने औए वह विश्व को दिखाना चाहते थे कि उन्होंने कैसे विश्व स्तरीय सैन्य बल खड़ा किया है। हां भैया, इतना विश्व स्तरीय कि गलवान घाटी में डंडे और पत्थरों से भारतीय सैनिकों से लड़ने गए थे और उसमें भी बुरी तरह कूटे गए। इसीलिए यदि जिनपिंग को वास्तव में पदच्युत कर सत्ता परिवर्तन की ओर चीन बढ़ रहा है तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि एक न एक दिन तो ये होना ही था और इसके दोषी स्वयं शी जिनपिंग ही है और फैलाइए कोविड, और बजाइए साम्राज्यवाद की ढपली।
और पढ़े: चीन की जालसाजी जर्मनी को भारत के पक्ष में ला रहा है
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.