जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बनेंगे देश के अगले CJI, क्या बन पाएंगे?

इतना हंगामा क्यों मचा है?

जस्टिस चंद्रचूड़

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देश के नीति निर्माण भी भिन्न भिन्न प्रकार से तय होते हैं। राजनीति का नीति निर्माण अलग, न्यायपालिका का नीति निर्माण अलग, सैन्य प्रशासन का नीति निर्माण अलग। ऐसे में न्यायपालिका के चुनाव भी शीघ्र अतिशीघ्र होने हैं, जिसमें तय मानकों और वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ संभावित तौर पर भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे एवं लगभग डेढ़ से दो वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट की बागडोर संभालेंगे।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की काफी अनोखी रूपरेखा रही है और ऐसा माना जाता है कि वो आने वाले समय में भारतीय न्यायपालिका पर काफी प्रभाव डाल सकते हैं। परंतु कुछ ऐसी घटनाएं भी घटित हुई है, जिससे एक संदेश ये भी जाता है कि शायद सब कुछ ठीक नहीं है।

वो कैसे? असल में वर्तमान CJI, जस्टिस उदय उमेश ललित से अनुरोध किया गया है कि वो अपने उत्तराधिकारी का नाम केंद्र सरकार को सूचित करें। यह आम प्रक्रिया है और यह व्यक्ति का निजी मत है, जिसका किसी से कोई लेना देना नहीं है। आम तौर पर वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के पश्चात जो सबसे वरिष्ठ जज होगा, उसी को पद मिलेगा। परंतु CJI के पास भी विकल्प है कि वो अपना उत्तराधिकारी चुने और इस बात को केन्द्रीय विधि मंत्रालय द्वारा काफी सार्वजनिक किया गया है। इसके पीछे भी कारण हैं।

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बार काउंसिल ने जारी की प्रेस रिलीज

इसके अतिरिक्त अभी हाल ही में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की छवि खराब करने के लिए “निहित स्वार्थ वाले कुछ लोगों” द्वारा किए गए प्रयासों की निंदा की है। डी वाई चंद्रचूड़ भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ आरोप लगाने वाले एक व्यक्ति द्वारा लिखित पत्र की निंदा करते हुए बीसीआई ने कहा, “यह न्यायपालिका के कामकाज और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने के लिए एक घृणित और दुर्भावनापूर्ण प्रयास के अलावा कुछ भी नहीं है।”

ये तो कुछ भी नहीं है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने जस्टिस चंद्रचूड़ पर अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “देश और भारतीय बार को डॉक्टर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर पूरा भरोसा है। माननीय डॉक्टर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की न्यायपालिका के लिए एक संपत्ति हैं और उन्हें उनके ज्ञान, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए जाना जाता है।” काउंसिल ने यह भी कहा कि देश के लोग इस समय इस तरह की पोस्ट के पीछे की सच्चाई और कारण को समझने के लिए काफी समझदार हैं।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि “हमारे न्यायाधीशों को इस तरह के निंदनीय और निराधार हमलों के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए आगे नहीं आना चाहिए लेकिन बार यहां न्यायपालिका की रक्षा करने के लिए है ताकि वह बिना किसी डर या पक्षपात के स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके ताकि हमारे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट हमारे संविधान और लोकतंत्र की रक्षा कर सकें।”

विवादों से रहा है चंद्रचूड़ का नाता

अब प्रश्न यह उठता है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास तो अनेक पत्र आते हैं, जिनमें से कई तो बिना पढ़े ही कचरे के डब्बे में चले जाते हैं, फिर इस पत्र पर ही क्यों ध्यान दिया गया और इसे सार्वजनिक क्यों किया गया? क्या ये आरोप वास्तव में निराधार थे या सत्य कुछ और ही है? असल में जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी कार्यशैली के लिए कम और विवादों में घिरे रहने के लिए अधिक जाने जाते हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने लगभग एक वर्ष पूर्व एक व्याख्यान में कहा था कि “योग्यता की संकीर्ण अवधारणा” उच्च जाति के व्यक्तियों को उनके “स्पष्ट” जाति विशेषाधिकार को छिपाने की अनुमति देती है।” यहां शब्दों की जटितला आपके समझ को प्रभावित कर सकती है, अतः इस कथन का सरलीकरण आवश्यक हो जाता है।

माननीय न्यायाधीश का कहना था कि “उच्च जाति के लोगों ने अपनी जाति के आधार पर योग्यता और विशेषाधिकार प्राप्त किया है और आज के युग में जाति आधारित योग्यता और विशेषाधिकार जैसे आरक्षण को खत्म करने की उनकी मांग “योग्यता की संकीर्ण अवधारणा” को प्रदर्शित करती है।” अभी तो हमने मोहम्मद ज़ुबैर एवं विवाहोत्तर संबंधों पर इनके विचारों पर प्रकाश भी नहीं डाला है।

ऐसे में जस्टिस चंद्रचूड़ के CJI बनने से पूर्व ऐसी खबरें शुभ संकेत तो नहीं हैं। सर्वोत्तम न्यायालय को अविलंब इसका खंडन करना चाहिए और यदि ऐसा नहीं है तो फिर खेल कुछ और ही है और वो क्या है, ये CJI यू यू ललित और चंद्रचूड़ महोदय ही जाने। क्योंकि एक ओर चीफ जस्टिस से अपना उत्तराधिकारी चुनने की बात कही जा रही है तो दूसरी ओर बार काउंसिल स्वयं उनका पक्ष लेता दिख रहा है। ऐसे में स्थिति क्या होगी यह आने वाले कुछ ही समय में पता चल जाएगा।

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