Bulk Drug Park: नरेंद्र मोदी सरकार में आत्मनिर्भरता की ओर भारत सतत रूप से अग्रसर है, चाहे वो सेमीकंडक्टर क्षेत्र की बात हो या फिर एयरोस्पेस की बात हो या फिर देश के लिए अति महत्वपूर्ण रक्षा क्षेत्र की बात हो, भारत लगातार नये आयामों को छूता जा रहा है। फार्मास्युटिकल API जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तो भारत लगातार तीव्रता के साथ अपने कदम को बढ़ाता जा रहा है। API यानी एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और इसके लिए चीन पर निर्भरता को समाप्त कर देने के लिए भारत ने पहली नींव भी रख दी है। इस लेख में हम इसी संबंध में पूरे विस्तार से जानेंगे।
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API को लेकर आत्मनिर्भरता
इस बात को समझना होगा कि दवाओं के निर्माण में जिन तत्वों यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट्स की आवश्यकता पड़ती है उसके लिए वर्तमान में भारत चीन पर निर्भर करता है लेकिन भारत सरकार के प्रयासों और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते रहने की तीव्र गति के कारण चीन पर से यह निर्भरता जल्द ही या तो समाप्त हो जाएगी या फिर नगण्य हो जाएगी।
दरअसर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 10 अक्टूबर को अपने गृह राज्य गुजरात के भरूच जिले के जंबूसर में बल्क ड्रग पार्क (Bulk Drug Park) की नींव रखी, यह नींव देश के पहले BDP के लिए रखी गयी। जान लेना होगा कि केंद्र सरकार की एक योजना के तहत ऐसे तीन Bulk Drug Park (BDP) को देशभर में विकसित किया जाना है जिसकी लागत तीन हजार करोड़ रुपये होगी। योजना के तहत बल्क ड्रग पार्क के लिए देश के तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश को सैद्धांतिक रूप से अनुमति दी गयी थी और अब इन तीन राज्यों में से एक गुजरात में Bulk Drug Park (BDP) की नींव रख दी गयी है। नीति आयोग की देखरेख में स्थापित होने वाले इन पार्कों के कारण अततः देश को API के क्षेत्र में अत्मनिर्भर होने का अवसर मिल रहा है।
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Bulk Drug Park के बारे में
अत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने की दृष्टि से देखें तो बल्क ड्रग पार्क (Bulk Drug Park) एक महत्वपूर्ण सहायक होगा। बल्क ड्रग पार्क में ही दवाइयों को तैयार करने में उपयोग होने वाले तरह-तरह के तत्वों यानी एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स को बनाया जाएगा, ऐसा अपने देश के अंदर ही होगा। Bulk Drug Park की स्थापना के पीछे सरकार की ऐसी सोच है कि घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सके साथ ही अंतरराष्ट्रीय रूप से दवा बनाने और उसके उत्पादन के मामले में भारत शीर्ष पर आ जाए।
यह समझना कठिन नहीं है कि देश को बल्क ड्रग पार्क की कितनी आवश्यकता है, इसे और अच्छे से समझने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जो बताया है उस पर ध्यान देना होगा। हाल में ही स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि चीन पर भारत की निर्भरता दवा बनाने के लिए कुल 53 प्रकार के API के लिए थी। अब 35 तरह के API को देश में ही निर्मित किया जा रहा है। बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि बचे हुए 18 API के साथ हर एक API को यहीं बल्क ड्रग पार्कों में ही निर्मित किया जाए।
एक फार्मास्युटिकल उत्पाद का सबसे प्रमुख घटक उसका कच्चा माल होता है यानी API जिसके महत्व को पहले की सरकारों ने समझना और उसे गंभीरता से लेना आवश्यक नहीं समझा और धीरे-धीरे चीन पर निर्भर होता चला गया। कोविड के दौरान चीन और अमेरिका पर निर्भरता भारत को अपनी निर्यात नीतियों में एक निश्चित सीमा से आगे नहीं जाने देती थी। चीन दुनिया के API उत्पादन और निर्यात का लगभग 20% हिस्सा नियंत्रित कर बड़े पैमाने पर दवा उद्योग की नींव स्थापित करता है।
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हो रहा है परिवर्तन
लेकिन अब धीरे-धीरे सबकुछ परिवर्तित हो रहा है। प्रोत्साहन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI Scheme) के तहत 35 एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स (API) का देश में ही उत्पादन शुरू कर दिया गया। इन सभी API के लिए भारत 90 प्रतिशत तक आयात पर निर्भर रहा है। इस बारे में अगर विशेषकर चीन की बात करें तो केंद्र सरकार ने लोकसभा जानकारी दी थी कि भारतीय दवा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में दवा निर्माण के लिए आवश्यक API को चीन से मंगाया जिसकी लागत 240 करोड़ डॉलर थी। रिपोर्ट में कहा गया कि तब 76 प्रतिशत तत्व भारत ने अकेले चीन से ही आयात किया जिसमें से 90 प्रतिशत API की खपत भारत में उपयोग में लायी जाने वाली दवाइयों में होती थीं।
आत्मनिर्भरता के साथ-साथ जीविका से भी यह योजना संबंधित है, वो कैसे? तो ध्यान देना होगा कि तीन बल्क ड्रग पार्कों के बन जाने से जीविका के अपार अवसर भी मिलेंगे। हिमाचल प्रदेश में 50 हजार लोगों को जीविका के अवसर मिलेंगे तो वहीं आंध्र प्रदेश में 60 हजार से भी अधिक और गुजरात में 40 हजार से अधिक लोगों के लिए उनकी जीविका का रास्ता खुलेगा।
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फार्मा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही कई कदम उठाए जा चुके हैं। साल 2021 की बात करें तो सरकार ने तब फार्मा उद्योग के लिए PLI योजना शुरू की थी जो कि 15,000 करोड़ रुपये की थी। जिसके तहत प्रोत्साहन के लिए पात्र चिह्नित की गयीं 55 कंपनियों में सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा, डॉ. रेड्डीज लैब के साथ ही ल्यूपिन, सिप्ला और कैडिला हेल्थकेयर जैसी कंपनियां शामिल हैं। कुल मिलाकर API जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकार के द्वारा उठाए गए कदम भारत को विकास की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
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