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योगी राज में मदरसे आखिरी सांस ले रहे हैं

योगी सरकार तो अवैध मदरसों के खिलाफ लगातार सख्ती दिखाते हुए कदम उठा ही रही है। इसके बाद अब केंद्र सरकार ने भी मदरसों को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए कक्षा आठवीं तक के छात्रों की छात्रवृत्ति पर रोक लगा दी है।

Vaishali Shukla द्वारा Vaishali Shukla
30 November 2022
in चर्चित, मत
Madarsa Scholarship Madrasas are breathing their last in Yogi’s UP

Source- TFI

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Madarsa Scholarship: क्या योगी सरकार के राज में मदरसे अपने आखिरी दिन गिन रहे हैं? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसों को नष्ट करने का निश्चय कर लिया हैं? यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं, जो योगी सरकार के मदरसों को लेकर सख्त कार्रवाई को लेकर उठते ही रहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान अवैध मदरसों को लेकर सख्ती दिखाते हुए कई कदम उठा रही है। इसके बाद अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी मदरसों (Madarsa Scholarship) को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

और पढ़े: आधुनिक समस्याओं के लिए आवश्यक है ‘योगी समाधान’, अब होगा वक्फ संपत्तियों का पूरा हिसाब

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मदरसों में स्कॉलरशिप पर लगी रोक

दरअसल, केंद्र सरकार ने मदरसों में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति बंद करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार के अनुसार, निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत एक से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी तरह से मुफ्त कर दी गई है, इसलिए मदरसों में छात्रवृत्ति (Madarsa Scholarship) देने का कोई भी औचित्य नहीं है। अब प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप (Madarsa Scholarship) केवल कक्षा नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को ही मिलेगी।

आपको बता दें कि अब तक कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ने वाले छात्रों को 1 हजार रुपये जबकि कक्षा छठीं से आठवीं के छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों के आधार पर छात्रवृत्ति दी जाती थी। पिछले साल करीब 5 लाख बच्चों ने इस स्कॉलरशिप का लाभ उठाया था, जिसमें 16,558 मदरसे सम्मिलित थे। मदरसों में कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों को बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की तरह ही दोपहर का भोजन, यूनिफार्म, किताबें मुफ्त में उपलब्ध करायी जाती है।

और पढ़े: मुस्लिम कट्टरपंथियों के लिए योगी आदित्यनाथ ने ‘रामबाण’ निकाला है

मदरसों का सर्वे

देखा जाये तो मदरसों की अवैध और आतंकी गतिविधियों तक में शामिल होने की खबरें सामने आती ही रहती हैं, जिस कारण ही योगी सरकार इनको लेकर सख्ती दिखाती है। इसके लिए योगी सरकार के द्वारा कई चरणों में काम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वे कराने का निर्णय भी लिया था।

दरअसल, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसे पहले से ही चल रहे हैं। उसी के विपरीत गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की भी संख्या भी तेज़ी से बढ़ गई थी। इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की आड़ में यहां अनेकों अवैध काम भी होते थे और इसकी शिकायतें और सूचनाएं सरकार को मिल रही थीं। जिसके बाद ही सरकार की ओर से मदरसों का सर्वे कराने का बड़ा कदम उठाया गया था।

इस सर्वे में कई बड़ी बातें निकलकर सामने आयी हैं, जिस पर गौर करना बेहद ही आवश्यक है। जानकारी के अनुसार सर्वे के दौरान उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 8496 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। सर्वे के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मदरसों के आय का स्रोत पता लगाने के भी निर्देश दिए थे, जिसमें यह बात निकलकर सामने आई है कि मदरसों को जकात के माध्यम से धन प्राप्त होता है। जकात का मतलब मुस्लिमों द्वारा दिया गया दान है। जांच के दौरान पता चला कि कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, मुंबई,  हैदराबाद के साथ-साथ सऊदी अरब और नेपाल में बसे हुए मुस्लिम भी इन मदरसों को दान देते हैं। ये जानकारी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री धर्मपाल सिंह के द्वारा मिली थी।

मंत्री धर्मपाल सिंह ने इस विषय पर विभागीय अफसरों के साथ एक ख़ास बैठक भी की थी, जहां ये पता चला कि नेपाल की सीमा से लगे हुए सिद्धार्थनगर में 500, बलरामपुर में 400, लखीमपुर खीरी में 200, महराजगंज में 60 के साथ-साथ बहराइच और श्रावस्ती में 400 से अधिक मदरसे बिना मान्यता के ही चलाये जा रहे हैं। खबरों की मानें तो इन मदरसों में से अधिकतर ऐसे हैं, जो पिछले दो दशक में तैयार हुए है जिस कारण से इनकी जांच की जा रही है। केवल इतना ही नहीं सर्वे में यह तथ्य भी निकलकर सामने आया कि देवबंद का मशहूर 156  साल पुराना दारुल उलूम मदरसा भी गैर मान्यता प्राप्त है।

योगी सरकार लगातार अवैध मदरसों के विरुद्ध सख्त रवैया अपनाती आयी हैं। कुछ महीनों पूर्व ही योगी सरकार ने फैसला लिया था कि उत्तर प्रदेश में नए मदरसों को अब कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा। वहीं इससे पहले वर्ष 2017 में भी योगी सरकार ने राज्य के 46 मदरसों को प्राप्त होने वाली अनुदान राशि पर रोक लगा दी थी। यह रोक डीआईओएस की रिपोर्ट के बाद लगाई गयी थी, क्योंकि इन मदरसों के खिलाफ मानकों के हिसाब से काम न करने की शिकायत की गयी थी।

और पढ़े: अवैध मदरसे और मजार- देवभूमि को नष्ट करने वाले तत्वों को मात देने के लिए तैयार हैं सीएम धामी

असम में भी मदरसों के खिलाफ कार्रवाई

वैसे देखा जाये तो केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि भाजपा शासित कई राज्यों में अवैध मदरसों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिसमें एक राज्य असम भी शामिल है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी योगी मॉडल को फॉलो करते हुए अवैध मदरसों के विरुद्ध कदम उठा रहे हैं। असम सरकार लगातार अवैध रूप से चल रहे मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए लगाम कसने में जुटी है। बीते महीनों असम में सरकारी बुलडोजर चलने की कई खबरें सामने आयी थीं। असम सरकार के द्वारा वर्ष 2020 में मदरसों को अनुदान देना बंद हो चुका था। इस निर्णय के बाद से राज्य में अब तक करीब 800 मदरसे बंद हो गए थे।

कई मदरसों में शिक्षा की आड़ में विदेशी फंडिंग के माध्यम से किस तरह देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है, यह किसी से छिपा नहीं है। कई मदरसों का अतीत दागदार रहा है। कई आतंकियों के पकड़े जाने के बाद उनका मदरसा कनेक्शन भी सामने आ चुका है। यही कारण है कि अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग लगातार उठती रहती है। इसलिए योगी सरकार के साथ केंद्र सरकार भी मदरसों को लेकर सख्त है, जिससे ऐसा लग रहा है कि कम से कम उत्तर प्रदेश में तो मदरसे आखिरी सांसे ले रहे हैं।

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