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5 रुपये के रसना ने कैसे तय किया 109 करोड़ रुपये तक का सफर? ये रही पूरी कहानी

रसना ने वैसे समय में बाजार में एंट्री ली, जब कई बड़े खिलाड़ी बाजार में पहले से ही अपना वर्चस्व स्थापित कर चुके थे. इसके बावजूद रसना ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी और आज तक सबकी पसंदीदा बनी हुई है.

Devesh Sharma द्वारा Devesh Sharma
23 November 2022
in समीक्षा
रसना, Rasna

Source- Google

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‘आई लव यू रसना’ इन शब्दों से आप तो भली भांति परिचित ही होंगे और अगर नहीं भी हैं तो आज हम आपको परिचित कराएंगे। असल में ये शब्द एक ऐसी सफल कहानी को प्रदर्शित करते हैं, जो न केवल 80 और 90 के दशक में पैदा हुए बच्चों की जुबान पर चड़कर बोलते हैं बल्कि उनकी यादों में एक मिठास घोल देते हैं। यह कहानी है एक ऐसी सॉफ्ट ड्रिंक की जिसने विदेश सॉफ्ट ड्रिंक कंपनियों के बने बनाए बाजार में अपने आप को ऐसा स्थापित किया कि आज तक कोई दूसरा इसका स्थान नहीं ले पाया है. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे अहमदाबाद के एक छोटे से गांव से शुरू हुआ रसना (Rasna), आज दुनिया के 60 से अधिक देशों में अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका है।

और पढ़ें: ‘कोला बाजार’ में रिलायंस की धमाकेदार एंट्री, रसातल में पड़ी ‘कैंपा कोला’ को मिलेगी नयी उड़ान

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रसना की कहानी

अमीर हो या गरीब रसना (Rasna) ने सबके गले की प्यास बुझाई है। रसना ने लोअर मिडिल क्लास को एक सस्ता कार्बोनेटेड ड्रिंक उपलब्ध कराया। आप सोच रहे होंगे कि अचानक से हम रसना को क्यों याद कर रहे हैं। दरअसल रसना समूह के संस्थापक अरिज पिरोजशा खंबाटा का निधन 19 नवंबर को गया। 85 वर्ष की उम्र में अरिज पिरोजशा ने अंतिम सांस ली। उन्होंने लोगों को रसना के तौर पर एक अनोखा स्वाद दे दिया, जो सालों-साल तक लोगों को याद रहेगा।

अरीज पिरोजशा खंबाटा गुजरात के रहने वाले थे और एक पेशेवर फ्लेवरिस्ट थे। उन्होंने वर्ष 1976 में ‘जाफ’ नाम से गुजरात के कुछ क्षेत्रों में एक सॉफ्ट ड्रिंक की शुरूआत की। इसके दाम बहुत कम हुआ करते थे और स्थिति यह थी 5 रुपए के पैकेट में 32 ग्लास ड्रिंक बनाई जा सकती थीं। परन्तु ‘जाफ’ नाम से उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली, जिसके बाद 1979 में इसका नाम बदलकर ‘रसना’ कर दिया गया।

नाम बदले जाने के बाद इसकी लोकप्रियता भी बढ़ने लगी। लोगों ने रसना के स्वाद के कारण इसे हाथों- हाथ लिया और देखते ही देखते सॉफ्ट ड्रिंक का मतलब बन गया ‘रसना’। ये सॉफ्ट ड्रिंक अस्सी के दशक में खूब पॉपुलर हुआ। बाजार में पहले से थम्स अप, लिम्का जैसे कोल्ड ड्रिंक्स ब्रांड मौजूद थे, लेकिन रसना ने इन सबके बीच में अपनी अलग जगह बनाई।

अगर रसना के मार्केट शेयर की बात की जाए तो 80 के दशक में इसका मार्केट शेयर 50 प्रतिशत था, जो 2004 में बढ़कर 90 प्रतिशत, 2009 में 93 प्रतिशत और 2010 में 97 प्रतिशत तक हो गया। वर्ष 2011 में कंपनी का कारोबार 3.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, बीते वक्त में कंपनी की आय में कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2021 में कंपनी का कारोबार 135 करोड़ रुपए से गिरकर 109 करोड़ तक पहुंच गया है। यही नहीं, अब रसना धीरे-धीरे दुनियाभर के 60 से अधिक देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है।

और पढ़ें: एनर्जी ड्रिंक्स: जब समाधान बेचने के लिए समस्या बनाई गई, केस स्टडी

कई दिग्गजों ने किए हैं विज्ञापन

ज्ञात हो कि अरिज पिरोजशा खंबाटा एक बिजनेस फैमिली से संबंध रखते थे इसलिए वो शुरूआत से ही जानते थे कि बाजार में ग्राहक किस तरह से बनाना है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने रसना के दाम ऐसे रखे कि गरीब से गरीब आदमी इसे खरीद सके। इसीलिए आप देखत होंगे कि बाजार में 1 रुपए में भी रसना की पैकिंग मिल जाती है। बता दें कि बाजार बनाने के लिए खंबाटा ने उन लोगों को चुना, जिनकी संख्या भारत में अधिक है और वो है- मध्यमवर्ग।

आज के समय में तो मार्केट में कई प्रकार के सॉफ्ट ड्रिंक्स उपलब्ध हैं और टीवी, मोबाइल की स्क्रीन भी कई प्रकार के विज्ञापनों से भरी रहती है परन्तु दूरदर्शन के समय में रसना का विज्ञापन स्क्रीन की जान हुआ करता था और इसमें हिंदी सिनेमा, क्रिकेट की दुनिया के सभी दिग्गजों ने विज्ञापन किए हैं, जिनमें से तरुणी सचदेवा, अनुपम खेर, ऋतिक रोशन, कपिल देव, परेश रावल, जेनिलिया डिसूजा और वीरेंद्र सहवाग जैसी हस्तियां शामिल रही हैं।

रसना ने अपनी पहचान बनाए रखा

आपको बताते चलें कि कई प्रकार की विदेशी साफ्ट ड्रिंक्स के आने के बाद भी बाजर में रसना अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। कंपनी के वर्तमान विस्तार की बात की जाए तो देशभर में कंपनी के 9 प्लांट हैं और 26 डिपो के साथ कंपनी का एक बहुत बड़ा वितरण नेटवर्क है। इसके अलावा 200 सुपर-स्टॉकिस्ट और 5,000 स्टॉकिस्ट हैं। कुल मिलाकर कंपनी के पास 16 लाख आउटलेट्स का नेटवर्क है। 1990 के दशक में भारत में बाहरी कंपनियों के आने के बाद रसना ने कोका-कोला और पेप्सी नाम की कई बड़ी कंपनियों से न केवल प्रतिस्पर्धा की बल्कि अपना एक अलग महत्व भी बनाए रखा। इसके अलावा रसना जैसी गुणवत्ता वाली सॉफ्ट ड्रिंक कोई नहीं दे पाया है।

यदि रसना की सफल कहानी के बारे में निष्कर्ष निकालने की बात की जाए तो इसके बारे में जितने भी शब्द बोले या लिखे जाए, कम हैं। परन्तु अगर एक पंक्ति में कहना हो तो यही कहा जा सकता है कि आज के समय के छोटे व्यापार करने वाले युवाओं को रसना से सीखने की आवश्यकता है। इसके अलावा इससे यह भी सीखा जा सकता है कि भारत के अंतिम व्यक्ति को किस तरह से अपने साथ लाया जा सकता है।

और पढ़ें: श्रद्धा हत्याकांड: भारत में डेटिंग ऐप्स की भयानक सच्चाई

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10 November 2025

भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक चेतना और राष्ट्र की आत्मा का उद्घोष रहा है। यह...

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