7 साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब पर लगा दिया था प्रतिबंध, फिर क्यों दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम बिक रहा है?

दिल्ली के द्वारका से सामने आए एसिड अटैक के मामले ने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। दिल्ली से हर साल एसिड अटैक के कई मामले सामने आते हैं, जिससे पता चलता है कि केजरीवाल सरकार एसिड प्रतिबंध के आदेश का पालन कराने में असफल साबित हो रही है।

Dwarka Case: Supreme Court banned acid still it is sold openly in Delhi

Source- TFI

Delhi Acid Attack: देश की राजधानी दिल्ली खास तौर पर महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर बन गया है। आए दिन दिल्ली से कोई न कोई दिल दहला देने वाली खबर सामने आ ही जाती है। ऐसी ही एक खबर अब द्वारका से सामने आयीं, जहां 17 वर्षीय एक स्कूल छात्रा पर युवकों द्वारा तेजाब से हमला किया गया। दिल्ली के द्वारका में बुधवार सुबह स्कूली छात्रा पर एक लड़के ने एसिड फेंक दिया था। इस हमले में 17 साल की छात्रा का चेहरा और शरीर का अन्य हिस्सा बुरी तरह से झुलस गया है। घायल पीड़िता का फिलहाल दिल्ली के सफदरजंग अस्‍पताल में इलाज जारी है। हमले के बाद लड़की के पिता ने बताया कि उनकी बेटी की हालत गंभीर है। एसिड उसके चेहरे और उसकी आंखों में भी चला गया है।

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Delhi Acid Attack: 17 वर्षींय स्कूली छात्रा पर हमला

यह घटना उस वक्त घटी जब छात्रा अपने स्कूल जा रही थीं। इस दौरान ही बाइक सवार दो युवक पीछे से आए और लड़की की छात्रा पर तेजाब फेंक दिया। दिल्ली पुलिस ने Delhi Acid Attack मामले पर कार्रवाई करते हुए तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इस घटना का जो मुख्य आरोपी था वो छात्रा के पड़ोस में ही रहता था। पुलिस के अनुसार कि वह छात्रा पर जबरदस्ती दोस्ती करने का दबाव बना रहा था। जानकारी ये भी मिल रही है कि तेजाब फेंकने के आरोपियों ने ऑनलाइन शॉपिंग साइट फ्लिपकार्ट से एसिड मंगाया था

Delhi Acid Attack घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर एसिड के उपयोग और ब्रिकी को लेकर चर्चाएं होने लगी है। यहां गौर करने वाली बात तो ये है कि देश में एसिड पर प्रतिबंध लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 2015 को अपने एक आदेश में देश के सभी राज्यों को एसिड की खुलेआम बिक्री पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके एक ऐसा खतरनाक ज्वलनशील पदार्थ जो आसानी से किसी की भी जिंदगी को बर्बाद कर सकता है, वो किस तरह से आसानी से उपलब्ध हो जाता है वो तो इस मामले से समझ आता ही है।

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आसानी से उपलब्ध है एसिड

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही वर्षों पहले ही तेजाब पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया हो परंतु इसका कितना पालन होता है ये सभी को मालूम है। द्वारका तेजाब हमले का ये मामला दिखता है कि आज भी कितनी आसानी से तेजाब उपलब्ध हो जाता है। भले ही आरोपियों ने छात्रा पर हमला करने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग साइट का सहारा लिया हो। लेकिन इसके इतर हकीकत सभी को मालूम है कि किस तरह से दिल्ली की गली-गली में तेजाब कितनी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

तो ऐसे में यहां प्रश्न उठता है कि इसकी जिम्मेदार कौन लेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं बनती? क्या सरकार को ये सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि ऐसी चीज किसी सूरत पर उपलब्ध न हो, जो किसी के जीवन को खतरे में डालती हों।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने घटना को लेकर कहा है कि अगर तेजाब दिल्ली से लाया गया, तो दोष दिल्ली सरकार का है। इंडिया टुडे से बात करते हुए कानूनगो ने कहा– ‘एसिड बिक्री पर प्रतिबंध लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा दी है। यह राज्य सरकार और एजेंसियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिबंध लागू हो।’

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Delhi Acid Attack : तीन साल में 32 मामले

देखा जाये तो ये दिल्ली में इस तरह की पहली घटना नहीं है। केंद्र सरकार बताती है कि दिल्ली में पिछले तीन वर्षों में तेजाब हमले के 32 मामले सामने आ चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से राज्यसभा में दिए गए डेटा के अनुसार साल 2018 से 2021 के बीच दिल्ली में तेजाब हमले की 32 घटनाएं दर्ज किए गए। 2018 में एसिड अटैक के 11 मामले सामने आए थे। वहीं 2019 में ऐसी 10 घटनाएं घटी थीं। आंकड़े देखकर पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में एसिड अटैक की घटनाओं में काफी कमी देखने को मिली थीं। लेकिन महामारी के बाद इसमें एक बार फिर से वृद्धि हो गयीं। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान तेजाब हमले के केवल दो ही मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में ये बढ़कर 9 हो गए।

ऐसे में इन मामलों को बेहद ही गंभीरता से लेने की जरूरत है। नहीं तो आने वाले समय में और मासूमों लोगों की जिंदगी बर्बाद होने का खतरा रहता है। केजरीवाल सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिल्ली में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन किया जाए।

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