जब सत्ता हाथ में होती है तो लोग भ्रष्टाचार और अनैतिकता की पराकाष्ठा को पार कर जाते हैं। इसी अनैतिकता में अनेकों ऐसे कार्य भी हो जाते हैं, जो कि इतिहास में धब्बा बनते हैं। कांग्रेस पार्टी पर भ्रष्टाचार के दागों की एक लंबी लिस्ट है। पार्टी पर आरोप है कि जीप घोटाले से लेकर यूपीए सरकार में रहने तक 2G घोटाले में उनके नेताओं की बड़ी भूमिका थी। इन सबमें भी कांग्रेस पार्टी जिन पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के कार्यकाल को भारत का स्वर्णिम काल बताती रही है, उनके राज में उनके ही बेटे संजय गांधी ने कई घोटाले किए थे और वो कभी पकड़ में नहीं आए क्योंकि उनके पीछे सत्ता का संरक्षण था।
संजय गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का दाहिना हाथ माना जाता था। वो जो सलाह देते थे, इंदिरा गांधी वही करती थीं। यह भी कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल भी संजय की सलाह पर ही लगाया था, जिसमें फिर संजय गांधी ने जनता पर अत्याचारों की पराकाष्ठा को पार कर दिया था। आप सभी तो संजय गांधी के अत्याचारों से भली-भांति परिचित होंगे लेकिन इस लेख में आज हम आपको उनके घोटालों के बारे में बताएंगे।
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मारुति घोटाले में नाम
दरअसल, कार कंपनी मारुति की स्थापना से भी पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम ‘मारुति घोटाले’ में आया था, जब 1971 में उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। यह आरोप सीधे-सीधे इंदिरा गांधी पर नहीं बल्कि संजय गांधी पर था और इंदिरा गांधी तक इसकी आंच इसलिए आई थी क्योंकि उन्होंने अपनी सरकार में मशीनरी का इस्तेमाल कर संजय को लाभ पहुंचाया था।
1973 में संजय गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज़ प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया। हालांकि, उनके पास इसके लिए ज़रूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। इससे पहले काम करने का कोई अनुभव भी नही था, वो बहुत से प्रस्ताव बनाते और कारपोरेशन को सौंपते थे। लेकिन उन्हें कार को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिल चुका था और साथ ही ज्यादा मात्रा में कार के उत्पादन करने के लाइसेंस भी उन्हें जारी कर दिया गया था। कंपनी को इंदिरा सरकार की ओर से टैक्स, फंड और जमीन आदि को लेकर काफी छूट मिली। कंपनी बाज़ार में उतारने लायक एक भी कार नहीं बना सकी और 1977 में बंद कर दी गई थी, जिसे फिर बाद में शुरू किया गया लेकिन तब तक इसके जरिए संजय जमकर भ्रष्टाचार कर चुके थे।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और कैंपा कोला घोटाला
हमने आपको पहले ही बताया है कि संजय गांधी की सलाह को खूब तवज्जों मिलती थी। इंदिरा गांधी को संजय गांधी ने सपना दिखाया कि देश में पहली स्वदेशी छोटी कार बनाई जाए, इसीलिए इंदिरा ने संजय के प्लान पर हामी भरी थी लेकिन संजय का प्लान को गाड़ी बनाने का नहीं बल्कि बड़े भ्रष्टाचार का था। जिसके कारण यह प्रोजेक्ट 1977 में बंद कर दिया गया।
कुछ इसी तरह 1976 में तेल के गिरते दामों के मद्देनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांगकांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को 13 करोड़ का चूना लगा था। ऐसा कहा गया था कि इस घपले में इंदिरा और संजय का भी हाथ था, जिसके कारण जनता को नुक़सान हुआ था। इसके अलावा कैंपा कोला घोटाले में भी संजय का नाम आता है।
ज्ञात हो कि संजय गांधी की हत्या के बाद सारे मामले दब गए लेकिन यह सच है कि संजय गांधी ने भ्रष्टाचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इंदिरा को आपातकाल की सलाह देने से लेकर देश में जबरन नसबंदी लागू करने और जनता को सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या आदि के लिए उकसाने में संजय माहिर थे। वर्ष 1977 में उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी लेकिन सरकार बदलने के बाद 1980 में फिर उनकी हनक देखने को मिली थी।
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