जानिए भारतीय नौसेना दिवस के पीछे का गौरवशाली इतिहास, जब कांप गया था पूरा पाकिस्तान

‘शत्रु में ऐसा त्राहिमाम मचाना है कि वो हम पर आक्रमण करने से पूर्व कई बार सोचे’, कुछ इस तरह भारतीय नौसेना ने अपने पराक्रम का अद्भुत परिचय दिया था।

Know the historical legacy behind Indian Navy Day

SOURCE TFI

Indian Navy Day 2022 history in Hindi 

Indian Navy Day 2022: “वे आक्रमण किये थे, स्वाभाविक था पर वे द्वारका पर आक्रमण किये, गलती किये….।” कहीं न कहीं यह भावना उन सैनिकों में उमड़ रही थी जिनकी माटी पर शत्रुओं ने आक्रमण किया था, वो भी कहीं और नहीं, कृष्ण नगरी द्वारका पर। परंतु पाकिस्तान को आभास भी नहीं था कि यह भारत है जो अपने घाव को कभी नहीं भूलता और उसका उचित प्रतिशोध भी लेता, वो भी अपनी शैली में।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे भारतीय नौसेना ने अपने पराक्रम का ऐसा अद्भुत परिचय दिया था कि आज भी 4 दिसंबर को गर्व से नौसेना दिवस मनाया जाता है।

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अविस्मरणीय विजय

सब जानते हैं कि 1971 में भारत की अविस्मरणीय विजय बहुत महत्वपूर्ण है और कैसे इसने भारतीय सुरक्षाबलों में एक नयी स्फूर्ति लाई थी, परंतु कम लोग जानते हैं कि इसकी नींव एक अन्य आक्रमण में ही पड़ चुकी थी जो वर्ष 1965 में हुआ था। तब पाकिस्तान ने हमारे पश्चिमी तटों पर धावा बोला था जिसमें से एक महत्वपूर्ण स्थान द्वारका नगरी भी था। अब इस आक्रमण में किसी मानव को क्षति तो नहीं पहुंची परंतु कहा जाता है कि कुछ गोधन की क्षति अवश्य हुई थी।

अब इसका नौसेना दिवस से क्या लेना देना है? लेना देना है, क्योंकि पाकिस्तान की क्षुधा शांत नहीं हुई थी। 1965 के युद्ध में अमेरिका से सीजफ़ायर की भीख मांगकर उन्होंने युद्ध तो रोक दिया परंतु भारत को झुकाने की खुजली अभी भी इनमें खूब थी और उन्हें यह अवसर मिला 1971 में। तब के पूर्वी पाकिस्तान [अब बांग्लादेश] के निवासी पाकिस्तानियों के अत्याचारों से तंग आकर भारत में उनका आव्रजन आवश्यकता से अधिक बढ़ने लगा। भारत इसे चाहकर भी नहीं रोक सका क्योंकि शरणार्थियों को भगाना हमारी संस्कृति में कहां है?

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पाकिस्तान का भारत पर आक्रमण

परंतु पाकिस्तान ने इसी का लाभ उठाते हुए भारत पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का झूठा आरोप लगाया। भारत ने वैश्विक समर्थन जुटाने का प्रयास किया परंतु सोवियत संघ और कुछ हद तक इजरायल को छोड़कर कोई आगे नहीं आया। इसी बीच पाकिस्तान ने एक बार फिर जोश में आकर होश खोते हुए 3 दिसंबर 1971 को भारत पर आक्रमण कर दिया।

अब आक्रमण पर भारत चुप तो बैठने वाला नहीं था, सो नौसेना ने 4 और 5 दिसंबर की रात को हमले की योजना बनाई, क्योंकि पाकिस्तान के पास बमबारी करने के लिए विमान नहीं था। स्ट्राइक ग्रुप की कमान कमांडर बबरु भान यादव को सौंपी गई और उन्हें मानो खुला हाथ दे दिया गया। इस सम्पूर्ण ऑपरेशन का नाम रखा गया ऑपरेशन त्रिशूल, जिसे Operation Trident भी कहा जाता है। अब अर्थ स्पष्ट था– भोले के रुद्रगणों का तांडव होने वाला था।

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शत्रु करने लगे त्राहिमाम

4 दिसंबर 1971 को कराची स्ट्राइक ग्रुप के नेतृत्व में भारत ने तीन मिसाइल बोट निर्घाट, वीर और निपत को कराची की ओर तेज गति से भेजा। भारतीय नौसेना ने चार पाकिस्तानी जहाजों को उस दौरान डुबो दिया, जिसमें PNS खैबर भी एक प्रमुख जहाज था।

इस ऑपरेशन का स्पष्ट उद्देश्य था कि शत्रु में ऐसा त्राहिमाम मचाना है कि वे हम पर आक्रमण करने से पूर्व कई बार सोचे। इस पूरे प्रकरण में भारत के किसी भी नौसैनिक को तनिक भी नुकसान नहीं हुआ, वहीं पाकिस्तान आज भी अपने नुकसान को सार्वजनिक करने से कतराता है और अभी तो PNS गाजी पर प्रकाश भी नहीं डाला है हमने। आगे के समय में कमांडर बीबी यादव और उनके अधिकतम अफसरों को उनकी वीरता के लिए वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें कमांडर यादव को देश का दूसरा सर्वोच्च वीरता सम्मान, महावीर चक्र दिया गया।

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मई 1972 में वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों के सम्मेलन में यह फैसला लिया गया था कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के प्रयासों और उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day 2022) मनाया जाएगा। इस तरह आज भी यह दिन हमारे देश के अदम्य साहस का गौरवशाली प्रतीक है।

Sources – India’s Wars : A Military History [1947 – 1971]

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