Narayan Murthy on India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आज पूरी दुनिया भारत को एक अलग नजरिए से देखती है। बड़े से लेकर हर छोटे स्तर तक के कार्यों को मोदी सरकार ने महत्व दिया है लेकिन शायद देश के अरबपति नारायण मूर्ति को ये सबकुछ दिख नहीं रहा है, इसीलिए तो वो भारत की एक अलग ही छवि अपने मन-मस्तिष्क में लेकर घूम रहे हैं और वही छवि दुनिया के आगे प्रस्तुत भी कर रहे हैं। आईटी की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने अपने एक हालिया बयान में भारत में वास्तविकता का अर्थ भ्रष्टाचार, गंदी सड़कें और प्रदूषण बताया है। उनके बयान से तो ऐसा ही लगता है कि मानों नारायण मूर्ति हमेशा से ही एक गुप्त कम्युनिस्ट थे परंतु अब वे खुलकर सामने आ रहे हैं।
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एन आर नारायण मूर्ति का बयान (Narayan Murthy on India)
Narayan Murthy on India: हाल ही में विजयनगरम जिले के राजम में जीएमआर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रजत जयंती वर्ष समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि वास्तविकता यह है कि आप क्या बनाते हैं? भारत में वास्तविकता का अर्थ होता है भ्रष्टाचार, गंदी सड़कें, प्रदूषण और कई बार बिजली न होना। वहीं सिंगापुर में वास्तविकता का अर्थ है स्वच्छ सड़कें, प्रदूषण मुक्त वातावरण और बहुत सारी बिजली की उपलब्धता। इसलिए उस नई वास्तविकता को बनाने की जिम्मेदारी आपकी है।
Narayan Murthy on India: नारायण मूर्ति के इस बयान पर अगर ध्यान दिया जाए तो उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, गंदी सड़कें, प्रदूषण और कई बार बिजली न होना भारत की वास्तविकता है। लेकिन क्या ये सभी बातें सही हैं? चलिए एक बार को मान लेते हैं कि देश के एक दो शहरों में प्रदूषण का स्तर अधिक है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन उनका ये कहना कि देश की सड़कें स्वच्छ नहीं हैं या भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, ये सभी बातें कहां तक सही हैं?
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सच्चाई से परिचित नहीं हैं नारायण मूर्ति
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और केंद्रीय भूतल और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को बनाया गया। तब से ही देश में सड़कों की स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिला है, जिससे आप भी सहमत होंगे। सभी हाईवे, एक्सप्रेसवे, सड़कों आदि की स्थिति में सुधार देखने को मिला है। ये केवल दिल्ली, मुंबई जैसे बड़ों शहरों तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि छोटे शहरों की स्थिति भी आज सुधरी है। इतना ही नहीं भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क बनाने में कामयाब हुआ है।
कुछ दिनों पूर्व ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ऑस्ट्रेलिया गए थे और यहां उन्होंने एक भाषण में बताया था कि मुझे मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनवाने का अवसर मिला है और इस प्रोजेक्ट की तरह बांद्रा-वर्ली सी लिंक प्रोजेक्ट के साथ-साथ कई प्रोजेक्ट पूर्ण कामयाबी के साथ पूरे कर लिए है। आगे नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत का रोड नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चुका है। गडकरी के इस बयान से ये बात भी स्पष्ट हो जाती है कि परिवहन विभाग देश की स्थिति में निरंतर सुधारने में जुटा हुआ है। नारायण मूर्ति की इस तरह की बातों से तो ऐसा ही लगता है कि मानों वो कई सालों में इन्फोसिस से बाहर ही नहीं निकले हैं। इसलिए शायद उन्होंने जमीनी स्तर पर होने वाले विकास पर ध्यान नहीं दिया।
वहीं अगर भ्रष्टाचार की बात करें तो पिछले कई सालों से भारत में भ्रष्टाचार का स्तर काफी कम हुआ है। पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के नए भ्रष्टाचार संवेदन सूचकांक (CPI 2021) में भारत एक अंक ऊपर 85वें स्थान पर पहुंचा गया। इस सूचकांक के अनुसार न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार और कमजोर संस्थानों वाले देशों में, बल्कि स्थापित लोकतांत्रिक देशों में भी अधिकारों और नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था को तेजी से कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस रिपोर्ट में देशों को शून्य (अत्यधिक भ्रष्ट) और 100 (अत्यंत पादर्शिता) के पैमाने पर स्थान बांटा गया है, जिसमें भारत को 40 अंक प्राप्त हुए हैं।औ
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इन आंकड़ों के हिसाब से साफ पता चलता है कि देश में भ्रष्टाचार का स्तर गिर रहा है। देखा जाए तो मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014 से लेकर अब तक यानी 8 सालों में भ्रष्टाचार का एक भी बड़ा मामला सामने नहीं आया है। हां यह बात सही है भ्रष्टाचार पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है। निचले स्तर पर अभी भी कुछ छोटे-मोटे भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं। लेकिन इस कारण पूरे देश में भ्रष्टाचार के होने की बात करना ये सही नहीं है। इन सभी आकड़ों की अनदेखी करके जब अपने ही देश के लिए नारायण मूर्ति इस तरह की बातें कर रहे हैं तो लगता है वो सच्चाई से बिल्कुल भी वाकिफ नहीं है।
जब सुनाया था वामपंथी से सफल पूंजीवादी बनने का किस्सा
कुछ वर्षों पुराना एक किस्सा में नारायण मूर्ति से बताया था कि कैसे एक समय तक वो भी भ्रमित वामपंथी हुआ करते थे फिर घटना ने उन्हें सफल पूंजीवादी में बदल दिया था, जिसके बाद उन्होंने इंफोसिस को बनाया।
साल 2020 में आईआईटी मुंबई के द्वारा आयोजित टेक फेस्ट में उपस्थित होने वाले लोगों को एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए अपना एक अनुभव साझा किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि वो एक भ्रमित वामपंथी से कैसे एक दृढ़ दयालु पूंजीवादी बन गए थे।
नारायण मूर्ति ने 1974 में एक सर्बिया और बुल्गारिया के सीमाई कस्बे निस की घटना बताई थी, जब ट्रेन में सफर के दौरान एक लड़की से चर्चा करना उनको बहुत भारी पड़ गया था। मूर्ति ने बताया, ‘हम दोनों बुल्गारिया में लोगों के जीवन के बारे में चर्चा कर रहे थे। लेकिन शायद उस लड़की के साथ मौजूद लड़के को किसी बात पर मेरे से नाराजगी हो गयी और उसने पुलिस बुला ली। जिसके बाद बुल्गारिया के सुरक्षाकर्मियों ने मेरा पासपोर्ट और सामान छीनकर मुझे एक छोटे से कमरे में डाल दिया था। मैंने इस दौरान पांच दिन बिना खाए-पिए निकाले। बाद में उन्होंने मुझे एक मालगाड़ी में गार्ड वाले कंपार्टमेंट में बैठा दिया। वहां बैठने के बाद एक गार्ड ने कहा कि मित्र तुम भारत देश से हो इस कारण तुम्हें छोड़ा जा रहा है, लेकिन तुम्हारा पासपोर्ट इस्तांबुल पहुंचने के बाद ही मिलेगा। नारायण मूर्ति आगे कहते हैं कि इस घटना ने मुझे एक भ्रमित वामपंथी से दृढ़ दयालु पूंजीवादी बनने का संकेत दिया।
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जरा सोचिए, जिस भारत देश से होने की वजह से वो इस मुसीबत से बाहर निकले थे। उन्हें तब केवल इसलिए छोड़ा गया था क्योंकि वो भारत के थे। परंतु वहीं नारायण मूर्ति आज उसी देश की छवि को दुनिया के सामने ये कहकर खराब करने की कोशिश कर रहे हैं कि खराब सड़कें और भ्रष्टाचार ही भारत की वास्तविकता है। शायद उन्होंने देश में होने वाले विकास से अपनी आंखे मूंद रखी हैं। उनके इस बयान से तो ऐसा ही लगता है कि नारायण मूर्ति हमेशा से एक वामपंथी ही थे और वो अपने आप को बदल नहीं पाए।
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