किसी महापुरुष ने एक समय कहा था, “जब किसी का काम नहीं खराब कर सकते तो उसका नाम खराब कर दो।” प्रतिष्ठा अपने आप में बहुत मूल्यवान है, इसे हटा दिया तो काफी कुछ हाथ से गया समझो। ये बात कहीं न कहीं चीन भी जानता है, इसीलिए अब CCP भारत की बढ़ती छवि को धूमिल करने के लिए नये-नये पैंतरे अपना रही है।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे अपने ही प्रपंचों की असफलता से हताश चीन अब भारत के स्वास्थ्य संरचना में सेंध लगा रहा है और कैसे यह कुकृत्य भारत के लिए चिंताजनक होते हुए भी चीन की कुंठा का सार्वजनिक प्रदर्शन है।
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AIIMS में कोहराम
हाल ही में दिल्ली के बहुप्रतिष्ठित AIIMS में कोहराम मच गया जब उसके सर्वर हैक होने की सूचना सार्वजनिक हुई। यह सर्वर लगभग एक हफ्ते तक ठप रहा और इसके कारण अस्पताल का काम भी बहुत प्रभावित हुआ।
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन (IFSO) यूनिट के सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि AIIMS के कुल पांच मुख्य सर्वर को हैक किया गया था। FSL की टीम अब डाटा लीक की जांच कर रही है। उधर, IFSO के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल का कोई भी डेटा गायब नहीं हुआ है। यह पहली बार हैकिंग का मामला IFSO द्वारा संभाला जा रहा है।
इसके अतिरिक्त हैकरों ने AIIMS के पांच सबसे महत्वपूर्ण सर्वरों को निशाना बनाते हुए उन्हें हैक कर लिया था। इसके बदले हैकरों ने AIIMS से 200 करोड़ रुपये की फिरौती क्रिप्टो करेंसी में मांगी थी। अब सामने आया है कि हैक किए गए डेटा को इंटरनेट के गुप्त हिस्से डार्क वेब पर इन्हें बेच दिया गया है। कहा जाता है कि डार्क वेब पर AIIMS डेटा के नाम से 1600 बार सर्च किया गया है।
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सारा किया कराया चीन का था
क्या आपको पता है कि ये सारा किया कराया चीन का था? यह कैसे संभव है? तो चलिए इस पर भी ध्यान केंद्रीत करते हैं। अब ये घटना राष्ट्रीय सुरक्षा एवं हमारे स्वास्थ्य संरचना के लिए तो बिल्कुल भी शुभ नहीं है और इसकी जांच होना आवश्यक है। परंतु क्या ये केवल हमारी अक्षमता का ही परिणाम है? पूर्णतया तो नहीं। कहते हैं कि चीनियों द्वारा किया गया साइबर अटैक का उद्देश्य देश की मेडिकल सेवाओं को ठप करना और फिरौती की रकम वसूल करना था। परंतु इस हमले के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं, क्योंकि AIIMS में हाई प्रोफाइल लोगों का भी इलाज होता है और उनके स्वास्थ्य संबंधित डिटेल भी होते हैं। साइबर हमले से स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो जाती हैं और मरीजों की जान खतरे में आ जाती है। मेडिकल डेटा न मिलने से मरीजों के जरूरी ऑपरेशन रुक जाते हैं।
अब चीन ऐसा क्यों करेगा? इसका स्पष्ट कारण है– भारत द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य का कायापलट। कोविड से जो ज्वाला चीन ने भड़काई, उस पर भारत ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी अद्भुत स्वास्थ्य संरचना से जो सैलाब लाया उसका आज भी कोई तोड़ नहीं है। अन्य देश हमारे लोगों की मृत्यु का उपहास उड़ा रहे थे, हमारी संस्कृति को अपमानित कर रहे थे, परंतु हमने वैक्सीन पद्धति पर अपना कार्य जारी रखा।
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चीन कोविड से पूरी तरह उभर नहीं पाया
ये तब था, जब अनेकों देश और स्वास्थ्य संगठन हमारे कार्यशैली और हमारी क्षमता पर संदेह करते थे, परंतु सबको गलत सिद्ध करते हुए भारत ने न केवल कोविड की महामारी पर नियंत्रण प्राप्त किया, अपितु संसार को भी आचरण एवं सेवा का पाठ पढ़ाया।
और चीन क्या कर रहा था? जहां दो लहरों के बाद ही भारत कोविड से लड़ने में आवश्यकता से अधिक सक्षम हो गया, वहीं आज भी चीन कोविड से पूरी तरह उभर नहीं पाया है और तरह-तरह की नीतियों से अपने नागरिकों का जीना हराम कर रखा है। ऐसे में वह भारत के स्वास्थ्य संरचना को हानि पहुंचाकर केवल अपनी सार्वजनिक कुंठा दिखा रहा है। ये कहना कोई गलत नहीं होगा कि भारत के विनाश में ही चीन की विजय है, परंतु ये कार्य अब उसके लिए इतना भी सरल नहीं है, भले ही कभी-कभी इनका भाग्य चमक जाए।
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