सृष्टि की रचना भगवान ब्रह्मा ने की, पालन भगवान विष्णु कर रहे हैं और सृष्टि के संहारकर्ता भगवान शिव हैं। इन त्रिदेवों में अगर भगवान शिव की बात करें तो भक्त उनके शिवलिंग स्वरूप से भी अत्यधिक आस्था रखते हैं। भगवान शिव की साधना अत्यंत सरल और शीघ्र फलदायी होती है। वैसे तो शिव शंभू अपने नाम जाप मात्र से ही भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं लेकिन शिवजी के प्रतीकात्मक रूप ‘शिवलिंग’ की आराधना करने से भक्तों को अधिक लाभ होता है। संस्कृत भाषा में लिंग का अर्थ चिह्न होता है अर्थात निशान या प्रतीक। इस तरह शिवलिंग का अर्थ ‘शिव का प्रतीक’ हुआ। शिवलिंग की पूजा करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। साथ ही हम शिवलिंग के विभिन्न प्रकार (types of Shivling in Hindi) के बारें में बात करने जा रहे है।
भिन्न-भिन्न प्रकार के शिवलिंग
शिवलिंग भी भिन्न-भिन्न प्रकार (types of Shivling in Hindi) के धातुओं और रत्नों आदि से निर्मित होते हैं जिनकी आराधना करने के अलग-अलग नियम और लाभ हैं। आइए जानते हैं विभिन्न प्रकार के शिवलिंग और उनसे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में।
पारद शिवलिंग- पारद शिवलिंग उत्तम शिवलिंग है जो लगभग 85 प्रतिशत पारा यानी मरकरी धातु से निर्मित होता है। इसे हमारे शास्त्रों में बहुत ही पवित्र शिवलिंग का स्थान दिया गया है। घर में रखने के लिए पारद शिवलिंग सबसे उत्तम माना जाता है। इस रूप में भगवान शिव सबसे अधिक कल्याणकारी होते हैं। पारद शिवलिंग को लेकर ऐसा भी माना जाता है कि जहां भी शिव का यह स्वरूप स्थापित होता है वहां साक्षात भोलेनाथ वास करते हैं।
स्वर्ण शिवलिंग- स्वर्ण शिवलिंग अर्थात एक ऐसा शिवलिंग जिसे सोने से निर्मित किया गया हो। मृत्यु के पश्चात् यदि कोई शिवभक्त शिव लोक की प्राप्ति करना चाहता है तो उसे अपने घर में स्वर्ण शिवलिंग रखना चाहिए और पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
खांडव शिवलिंग- मिश्री(चीनी) से निर्मित यह शिवलिंग को खांडव शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। खांडव शिवलिंग की पूरे मन से आराधना करने वाले भक्त रोग मुक्त होते हैं।
मौक्तिक शिवलिंग- ये शिवलिंग मोतियों से निर्मित होता है जिसकी आराधना करना स्त्रियों के लिए अधिक उत्तम माना गया है। मोती से निर्मित मौक्तिक शिवलिंग के पूजन से स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि तो होती ही है साथ ही सुयोग्य वर की इच्छा की भी पूर्ति होती है। इतना ही नहीं मौक्तिक शिवलिंग की आराधना करने से दाम्पत्य जीवन के दुखों का नाश होता है और पति-पत्नी के बीच के वैचारिक मतभेद भी दूर होते हैं।
स्फटिक शिवलिंग- स्फटिक शिवलिंग सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है। स्फटिक के शिवलिंग पर सच्चे मन से अभिषेक करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं अर्थात शिवजी के इस स्वरूप की आराधना करना इच्छापूर्ति के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
लौह शिवलिंग- लोहे से निर्मित शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने का विशेष लाभ बताया गया है। शिव जी के इस स्वरूप की आराधना करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। जिन भी व्यक्ति को शत्रुओं का अधिक भय सताए तो उन्हें लौह शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
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रजत शिवलिंग- रजत शिवलिंग की आराधना करना पितृ दोष से निवारण के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। शिवजी के इस रूप की पूजा करने से भक्त आर्थिक संकट से भी मुक्ति पा सकते हैं।
ताम्र शिवलिंग- ताम्र शिवलिंग के पूजन से व्यक्ति को आयु का वरदान प्राप्त होता है। अर्थात ताम्र शिवलिंग पर जल, फूल आदि से पूजन करने से व्यक्ति लंबी आयु प्राप्त करता है।
पीत शिवलिंग – पीत शिवलिंग पीतल धातु से निर्मित होता है. ये शिवलिंग पारद शिवलिंग की भांति आपको सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है। शिवजी का यह स्वरूप भी अति कल्याणकारी होता है।
नील शिवलिंग – नील शिवलिंग नीलम धातु से निर्मित होता है. अगर आप अपने सम्मान में वृद्धि की कामना रखने है तो आपको नीम शिवलिंग की उपासना करनी चाहिए. राजनीति में ऊंचाई को छूने की इच्छा रखने वाले लोग शिवजी के इस स्वरूप की आराधना कर सकते हैं।
वेणु शिवलिंग- वेणु शिवलिंग की आराधना के बारे में भी बताया गया है जिसका निर्माण बांस के द्वारा किया जाता है। वेणु शिवलिंग की आराधना करने से निसंतान मनुष्यों को संतान की प्राप्ति होती है।
पार्थिव शिवलिंग- पार्थिव शिवलिंग मिट्टी, गोबर, गुड, मख्खन आदि से निर्मित होता है। पार्थिव शिवलिंग से आपको धन-धान्य, सुख-समृद्धि, आरोग्य और संतान प्राप्ति होती है। मुख्यतः रूद्राभिषेक का पूजन इसी शिवलिंग की आराधना कर किया जाता है। पूजन के बाद इस शिवलिंग का विसर्जन कर देने के बारे में बताया गया है।
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इस महत्वपूर्ण बात का रखें ध्यान
इन 12 प्रकार के शिवलिंग (types of Shivling in Hindi) की श्रध्दा पूर्वक उपासना करने से संबंधित इच्छाओं की पूर्ति और दुखों का अंत होता है। साथ ही अनचाहे लाभ की भी प्राप्ति होती है। इन शिवलिंग को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 12 अंगुल से बड़ा शिवलिंग घर में स्थापित नहीं करना चाहिए। मंदिरों में ही 12 अंगुल से बड़े शिवलिंग स्थापित किया जाता है। घर में अधिक बड़ा शिवलिंग रखने से बचना चाहिए क्योंकि शिवलिंग बहुत ही संवेदनशील होता है। छोटे से शिवलिंग की पूजा भी यदि सच्चे मन से किया जाए तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो सकती है।
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