चीन की हालत काफी बेकार है। वैश्विक मंचों पर भारत उसे लगातार ‘ठेठाते’ आ रहा है। कोरोना के बाद से ही चीजे चीन के पक्ष में नहीं है, जिसका नतीजा यह हुआ है कि अब पूरी दुनिया ही चीन को नकारने लगी है। बड़े देश तो बड़े देश हैं, अब छोटे देशों ने भी चीन को हर जगह ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया है। हाल ही में अफ्रीका के कई देशों ने चीन की खबर ली थी, जिसके बाद अब खबर है कि 9 लाख की आबादी वाले एक देश ने पूर्ण रूप से आधिकारिक तौर पर चीन का ‘बॉयकॉट’ कर दिया है।
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‘हमें चीन की जरूरत नहीं’
दरअसल, छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर उन्हें बर्बाद करने में चीन को महारत हासिल है। अभी तक दुनिया के कई देशों को वह अपने दम पर बर्बाद कर चुका है। पाकिस्तान और श्रीलंका तो इसके हालिया उदाहरण हैं। फिजी में भी चीन कुछ ऐसा ही करना चाहता था लेकिन फिजी की सरकार ने अब चीन की सिट्टी पिट्टी गुम कर दी है। ध्यान देने योग्य है कि चीन औऱ फिजी के बीच वर्ष 2011 में एक सुरक्षा समझौता हुआ था।
इसके तहत फिजी के पुलिस अधिकारियों को चीन में प्रशिक्षण दिया गया और चीनी अधिकारियों को तीन से छह महीने के लिए अटैचमेंट प्रोग्राम के तहत फिजी में तैनात किया गया। सितंबर 2021 में, फिजी में एक चीनी पुलिस संपर्क अधिकारी की नियुक्ति भी हुई थी। इस नियुक्ति को दोनों देशों के रक्षा सबंधों में मजबूती देने वाले फैसले के रुप में देखा गया था। लेकिन फिजी के नागरिकों को चीन के साथ हुआ यह समझौता रास नहीं आया और वे इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए।
पिछले लंबे समय से फिजी में चीन के विरूद्ध आंदोलन चल रहा था लेकिन अब फिजी के हित को ध्यान में रखते हुए फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका ने इस समझौते को ही रद्द कर दिया है। फिजी के प्रधानमंत्री ने कहा कि फिजी पुलिस फोर्स की सहायता के लिए हमें चीन के सरकारी सुरक्षाकर्मियों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, उनके देश की प्रणाली अलग है। लोकतंत्र की हमारी प्रणाली और न्याय प्रणाली अलग हैं। इसलिए हम उनके पास वापस जाएंगे, जिनके पास समान प्रणाली है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे अन्य देशों के अधिकारी रह सकते हैं क्योंकि उनकी व्यवस्था फिजी के समान है। यानी फिजी ने अब आधिकारिक तौर पर चीन को टाटा गुडबाय कर दिया है।
चीन की लग गई!
ध्यान देने योग्य है कि चीन खुद को महाशक्ति बनाने पर उतारु है। इसके अलावा चीन की डेब्ट ट्रैप नीति काफी खतरनाक है, जिसमें अगर एक बार कोई देश फंस गया तो उसके लिए उससे निकलना आसान नहीं होता है। चीन तो पहले छोटे देशों अपने कर्ज के जाल में फंसाता है और फिर पूरे देश को अपने नियत्रंण में लेने की उसकी रणनीति रहती है या ड्रैगन ऐसे देशों की मजबूरी का फायदा उठाकर वहां अपने सैन्य ठिकाने बना लेता है।
चीन लागातार पूरे विश्व में अपने सैन्य ठिकानों को विस्तारित करने की कोशिश में लगा हुआ है। चीन की इस चाल को लेकर भारत समेत तमाम वैश्विक देश दुनिया के छोटे देशों को सतर्क करते आए हैं और पिछले कुछ समय में इसका परिणाम भी देखने को मिला है। अफ्रीका के छोटे देशों के साथ-साथ दुनिया के अन्य छोटे देश भी अब चीन की लंका लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस सूची में फिजी नवीनतम उदाहरण है।
बता दें कि फिजी प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश है। इस देश की कुल आबादी लगभग साढे 9 लाख है। वहीं, भारत का फिजी से पुराना संबंध है। फिजी से भारत का संबंध तब से है जब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था। उस दौरान अंग्रेजों ने बड़ी संख्या में भारतीय लोगों को फिजी भेजा था। जिसमें अधिकतर नागरिक यूपी और बिहार से थे, जिसके चलते फिजी में भोजपुरी का भी काफी प्रभाव है और फिजी की लगभग 30 प्रतिशत आबादी भी हिंदू है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फिजी में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। यही इसी फिजी ने लगभग 142 करोड़ की आबादी वाले चीन को ठेंगा दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि ‘बेटा हमें तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है।’
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