पिछले कुछ वर्षों से भारत-चीन सीमा पर कुछ बदल गया है। नया बदलाव यह है कि भारत अब चीनी सैनिकों को दो टूक जवाब देता है, चाहे वो गलवान हो, डोकलाम हो या फिर तवांग हो… भारत ने चीन को उस भाषा में जवाब दिया है जो भाषा चीन को समझ आती है। भारत इस जवाब को जारी रखने के लिए सेना के आधुनिकीकरण पर भी निरंतर काम कर रहा है। पूर्वी लद्दाख में के-9 वज्र (K9 VAJRA) के पहुंचने से चीन कांप गया था और भारत अब उसे और डराने के लिए तैयार है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों चीन भारत की एक रक्षा खरीद से डर रहा है?
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100 और K9 VAJRA खरीदने की तैयारी
चीन के विस्तारवादी एजेंडे को ध्वस्त करने के अभियान में भारत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता, जिसके चलते अब भारत ने 100 मेड इन इंडिया K-9 वज्र (K9 VAJRA) हॉवित्जर टैंक खरीदने की योजना बनाई हैं। इन्हें चीन की सीमा पर तैनात किया जाएगा। ये वही तोपें हैं जिन्हें पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद भारत ने चीनी सीमा पर तैनात किया था। ये वही तोपें हैं जिनकी तैनाती से चीन की कंपकंपी छूट गई थी। अब भारत ऐसी ही 100 और तोपें ऐसे समय में खरीद रहा है, जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना ने घुसपैठ की असफल कोशिश की है और भारतीय सैनिकों ने उन्हें कूट-कूटकर वहां से भगाया है।
15 सेकेंड में दाग सकता है तीन गोले
अब आपके मस्तिष्क में प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिरकार इन तोपों में ऐसा क्या है जो दुश्मन इनका नाम सुनकर ही अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हो जाता है? इन तोपों की मारक क्षमता 38 किलोमीटर तक की है। K-9 वज्र (K9 VAJRA) टैंक 15 सेकंड में तीन गोले दागने की ताकत रखता है। ये शून्य तापमान में भी पूरी मुस्तैदी से लोहा ले सकता है। ये दुश्मन के टैंक, बंकर और सेना पर कहर बनकर टूटता है। इस टैंक में एक बार ईंधन भरने पर 480 किलोमीटर तक जा सकता है। इस टैंक का वजन 47 टन है और लंबाई 12 मीटर है जबकि ऊंचाई 2.73 मीटर है। टैंक में चालक के साथ पांच लोग सवार हो सकते हैं। K-9 वज्र किसी भी युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे करने की ताकत रखता है।
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वैसे तो K-9 टैंक को रेगिस्तान के लिए खरीदा गया था लेकिन जब इन तोपों ने अपनी क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। चीन ने जब पूर्वी लद्दाख में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की तो इसके जवाब में भारत ने भी LAC पर एक रेजिमेंट यानी 20 के-9 वज्र (K9 VAJRA) तोपों की तैनाती कर दी थी। अब इन नई तोपें को भी पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा।
मेक इन इंडिया अभियान को मिलेगी मजबूती
वर्ष 2017 में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने दक्षिण कोरिया की हानवा टेकविन नामक कंपनी से के-9 टैंक की 100 यूनिटों को खरीदने की डील की थी। इसमें से 10 तोपें भारत को तैयार मिली थी जिन्हें नवम्बर 2018 में सेना में शामिल कर लिया गया था। वहीं 90 तोपों का निर्माण मेक इन इंडिया अभियान के तहत गुजरात के सूरत में लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने किया गया था। अब भारत ने जिन 100 K-9 टैंकों को खरीदने की योजना बनाई हैं, उनका निर्माण भी भारत में ही होगा, जो मेक इन इंडिया अभियान को और मजबूती प्रदान करेगा। देखा जाये तो भारत सैन्य उपकरणों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जहां पहले सेना को आवश्यक साजो-सामान दूसरे देशों से आयात करने पड़ते थे जबकि अब इनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है, जो देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
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बताया जा रहा है कि इन टैंकों को खरीदने की अभी कोई योजना नहीं थी लेकिन चीन के साथ तनाव को देखते हुए LAC पर भारतीय सेना के बेड़ों को और मजबूत करने के लिए इन्हें तैनात किया जा रहा है। जिससे चीन अगर कोई हरकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
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