Somnath Mandir Kahan Hai : सोमनाथ मंदिर कहाँ है : इतिहास एवं रोचक तथ्य
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Somnath Mandir Kahan Hai में साथ ही इससे जुड़े इतिहास एवं रोचक तथ्य के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह मंदिर भारत में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला माना जाता है। यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। प्राचीन समय में इस मंदिर को कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा बार-बार ध्वस्त करने के बाद वर्तमान हिंदू मंदिर का पुनर्निर्माण वास्तुकला की चालुक्य शैली में किया गया।सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास और इसकी वास्तुकला और प्रसिद्धि के कारण इसे देखने के लिए देश और दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास –
गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका उल्लेख किया था,जिससे प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने सन 1024 में अपने पांच हजार सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और उसकी सम्पत्ति लूटकर मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उस दौरान सोमनाथ मंदिर के अंदर लगभग पचास हजार लोग पूजा कर रहे थे, गजनवी ने सभी लोगों का कत्ल करवा दिया और लूटी हुई सम्पत्ति लेकर भाग गया। इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका दोबारा निर्माण कराया।
सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर अपना कब्जा किया तो सोमनाथ मंदिर को पाँचवीं बार गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1702 में आदेश दिया कि यदि हिंदू सोमनाथ मंदिर में दोबारा से पूजा किए तो इसे पूरी तरह से ध्वस्त करवा जाएगा। आखिरकार उसने पुनः 1706 में सोमनाथ मंदिर को गिरवा दिया। इस समय सोमनाथ मंदिर जिस रूप में खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया था और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।
रोचक तथ्य –
- सोमनाथ मंदिर शिव भत्तिफ़ के लिए बहुत मत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहीं पर पहला ज्योतिर्लिंग स्थापित हुआ था उसके बाद रामेश्वरम, द्वारका, वाराणसी में स्थापित किया गया था।
- ऐसी मानना है कि आगरा में रखे हुये देवद्वार सोमनाथ से लाए गए थे जिसे आक्रमणकारी महमूद गजनवी इसे लूटकर ले गया था।
- सोमनाथ मंदिर में रखा प्राचीन शिवलिंग हवा में तैरता था यह इसमें व्याप्त चुम्बकीय गुण के कारण हुआ था। जिसे देखकर मोहमद गजनवी अंचभित रह गया था।
- इसकी ऊंचाई 150 फीट और इनमें सभा मंडपम नृत्य मंडपम और गर्भगृह भी है। इसके शिखर पर 10 टन वजनी कलश रखा हुआ है और इसके ध्वजपोल की ऊंचाई लगभग 27 फीट है।
- सोमनाथ मंदिर के दक्षिणी भाग में एक बाण स्तंभ है। जो कि कोई साधारण स्तंभ नहीं है बल्कि इस पर तीर लगा हुआ है। इस स्तंभ पर लिखे अभिलेखों के अनुसार दक्षिण ध्रुव और इस मंदिर के मध्य पृथ्वी का कोई भी भाग टापू और पहाड़ मौजूद नहीं है।
- यहां पर तीन नदियों का संगम त्रिवेणी स्थित है। कपिला, हिरण और सरस्वती जिसमें नहाकर श्रद्धालु पाप व रोगमुक्त हो जाते हैं।
सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचें –
हवाई जहाज से –
सोमनाथ का निकटतम हवाई अड्डा दीव एयरपोर्ट है जो सोमनाथ से लगभग 63 किमी दूर है। दीव से सोमनाथ नियमित बसों, लक्जरी बसों या कम्यूटर बसों से पहुंचा जा सकता है। पोरबंदर हवाई अड्डा सोमनाथ से 120 किमी और राजकोट हवाई हड्डा 160 किमी दूर है।
बस द्वारा –
सोमनाथ कई छोटे शहरों से घिरा हुआ है जो बस सेवाओं, गैर-एसी दोनों के साथ-साथ लक्जरी एसी बसों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राजकोट, पोरबंदर और अहमदाबाद जैसे अन्य नजदीकी स्थानों से भी बस द्वारा सोमनाथ जाया जा सकता है।
ट्रेन द्वारा –
सोमनाथ से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है, जो सोमनाथ से 5 किमी की दूरी पर है। यह स्टेशन मुंबई, अहमदाबाद और गुजरात के अन्य शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। यहां प्रतिदिन 14 जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। फिर वहां से आटो, टैक्सी के जरिए सोमनाथ मंदिर जाया जा सकता है।
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